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फसल

शरदकालीन गन्ने की खेती : उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक किस्मों से पाएं अधिक मुनाफा

शरदकालीन गन्ने की खेती : उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक किस्मों से पाएं अधिक मुनाफा

जानें — कौन-सी गन्ने की किस्में देंगी बेहतरीन पैदावार, रोगों से सुरक्षा और अधिक शर्करा प्रतिशतभारत में गन्ने की खेती सदियों से किसानों की आय का प्रमुख स्रोत रही है। यह एक महत्वपूर्ण नकदी फसल (Cash Crop) है, जिसका उपयोग न केवल चीनी उद्योग में होता है, बल्कि गुड़, शीरा (molasses), इथेनॉल और पशु चारे जैसी कई उप-उत्पादों के निर्माण में भी किया जाता है। देश में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य गन्ने के प्रमुख उत्पादक हैं। यदि किसान समय पर बुआई, उचित किस्म का चयन, संतुलित उर्वरक प्रबंधन और...
सरसों की खेती - सरसों की इन उन्नत किस्मों से बढ़ेगा सरसों का उत्पादन

सरसों की खेती - सरसों की इन उन्नत किस्मों से बढ़ेगा सरसों का उत्पादन

तिलहन फसलों की पैदावार और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए देशभर के कृषि विश्वविद्यालय निरंतर नई-नई उन्नत किस्मों के विकास पर कार्य कर रहे हैं। इसी क्रम में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार को सरसों के अनुसंधान एवं विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहायक महानिदेशक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, ग्वालियर में आयोजित अखिल भारतीय राया एवं सरसों अनुसंधान कार्यकर्ताओं की 32वीं बैठक में प्रदान किया गया।सरसों की खेती: सरसों की उन्नत...
भारत में सिसल की खेती की विस्तृत जानकारी

भारत में सिसल की खेती की विस्तृत जानकारी

सिसल एक शुष्क जलवायु में उगाया जाने वाला पत्ती रेशा उत्पादक पौधा है, जिसकी पत्तियाँ मोटी, लंबी (1 से 1.5 मीटर), और रसीली होती हैं। इनकी सतह पर एक मोमयुक्त परत होती है, जिससे यह मरूद्भिद (xerophytic) पौधों की श्रेणी में आता है। एक स्वस्थ सिसल पौधा अपने औसतन 10–12 वर्षों के जीवनकाल में 200–250 पत्तियाँ देता है। इससे निकाला गया रेशा रस्सी, सुतली, कार्पेट बैकिंग, ब्रश और अन्य औद्योगिक उत्पादों में उपयोग किया जाता है।उपयुक्त जलवायु:सिसल अधिक तापमान सहन कर सकता है और 50°C तक जीवित रह सकता है। इसके लिए 60–125 सेमी वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त हैं। हालांकि, इसकी...
जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों क्या है? कैसे इसकी खेती से होगी उत्पादन में वृद्धि?

जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों क्या है? कैसे इसकी खेती से होगी उत्पादन में वृद्धि?

भारत में वर्तमान में जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की व्यावसायिक खेती पर चर्चा हो रही है, क्योंकि केंद्र सरकार ने इसकी खेती की अनुमति दी है।यह समझना आवश्यक है कि जीएम सरसों क्या है और इसके लाभ क्या हो सकते हैं। पिछले वर्ष केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी ने जीएम सरसों की खेती को मंजूरी दी, जिससे यह बहस शुरू हो गई।कई किसान संगठनों, एनजीओ और पर्यावरण संस्थाओं ने इस फैसले का विरोध किया। विरोध करने वालों का मानना है कि जीएम सरसों से भारत की खेती को नुकसान हो सकता है।हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का तर्क...
स्टीविया की खेती कैसे करें: लाभ, किस्में, जलवायु और मिट्टी की संपूर्ण जानकारी

स्टीविया की खेती कैसे करें: लाभ, किस्में, जलवायु और मिट्टी की संपूर्ण जानकारी

स्टीविया एक उपोष्णकटिबंधीय बहुवर्षीय पौधा है जो अपनी पत्तियों में मीठे स्टिविओल ग्लाइकोसाइड्स का उत्पादन करता है, जिसके कारण इसे 'चीनी तुलसी' या 'मौ तुलसी' भी कहा जाता है।उच्च अक्षांशों पर उगाए गए पौधों में मीठे ग्लाइकोसाइड्स का प्रतिशत अधिक होता है। इस पौधे का उपयोग प्राकृतिक मिठास (खाद्य) के उत्पादन के लिए, क्लोरोफिल, फाइटोस्टेरॉल्स (गैर-खाद्य: चिकित्सा) के स्रोत के रूप में किया जा सकता है।इसके औषधीय उपयोगों में रक्त शर्करा को नियंत्रित करना, उच्च रक्तचाप को रोकना, त्वचा विकारों का उपचार, और दांतों के सड़न को रोकना शामिल हैं।स्टीविया से प्राप्त यौगिक को मधुमेह पीड़ितों के लिए सबसे...
टपिओका फसल की खेती: भूमि की तैयारी, किस्में और उपज की जानकारी

टपिओका फसल की खेती: भूमि की तैयारी, किस्में और उपज की जानकारी

टपिओका एक उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण स्टार्च युक्त जड़ वाली फसल है और इसे मुख्य रूप से दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में उगाया जाता है।इसे सत्रहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था और इस फसल ने केरल में निम्न आय वर्ग के लोगों के बीच खाद्य संकट को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इसकी भूमिगत कंद स्टार्च से भरपूर होती है और मुख्य रूप से पकाने के बाद खाई जाती है। टपिओका से बने प्रसंस्कृत उत्पाद जैसे चिप्स, सागो और वर्मिसेली देश में भी लोकप्रिय हैं।यह आसानी से पचने योग्य होने के कारण मुर्गी और...