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कीटनाशक

जैविक खेती का प्रमुख आधार ट्राइकोडर्मा क्या है ? इसके प्रयोग की विधि एवं लाभ क्या क्या है ?

जैविक खेती का प्रमुख आधार ट्राइकोडर्मा क्या है ? इसके प्रयोग की विधि एवं लाभ क्या क्या है ?

ट्राइकोडर्मा  एक भिन्न फफूँद है, जो मिट्टी में पाया जाता है। यह जैविक फफूँदीनाशक है, जो मिट्टी एवं बीजों में पाये जाने वाले हानिकारक फफूँदों  का नाश कर पौधे को स्वस्थ एवं निरोग बनाता है ।ट्राइकोडर्मा के कई उपभेदों को पौधों के कवक रोगों के खिलाफ जैव नियंत्रण एजेंटों के रूप में विकसित किया गया है। ट्राइकोडर्मा पौधों में रोगों को कई तरह से प्रबंधित करता है यथा एंटीबायोसिस, परजीवीवाद, मेजबान-पौधे के प्रतिरोध को प्रेरित करना और प्रतिस्पर्धा शामिल हैं।  अधिकांश जैव नियंत्रण एजेंट टी. एस्परेलम, टी. हार्ज़ियनम, टी. विराइड, और टी. हैमैटम प्रजातियों के हैं।  बायोकंट्रोल एजेंट आम...
कृषि और बागवानी में ट्राइकोडर्मा के चमत्कारिक फायदे

कृषि और बागवानी में ट्राइकोडर्मा के चमत्कारिक फायदे

ट्राइकोडर्मा कवक की एक प्रजाति है जो पौधों पर अपने विविध लाभकारी प्रभावों के कारण कृषि और बागवानी में निरंतर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कवक का यह बहुमुखी समूह अपने माइकोपरसिटिक, बायोकंट्रोल और पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले गुणों के लिए बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही  है। 1. माइकोपैरासिटिक क्षमताएंट्राइकोडर्मा प्रजातियां निपुण माइकोपैरासाइट हैं, जिसका अर्थ है कि वे अन्य कवक के विकास को परजीवीकृत और नियंत्रित करते हैं। यह विशेषता कृषि में विशेष रूप से मूल्यवान है, जहां मिट्टी से पैदा होने वाले रोगज़नक़ फसल को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाते हैं। वही ट्राइकोडर्मा की विविध प्रजातियां...
फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग करते समय बरतें सावधानी, हो सकता है भारी नुकसान

फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग करते समय बरतें सावधानी, हो सकता है भारी नुकसान

फसलों पर कीटों का हमला होना आम बात है। इसलिए लोग पिछली कई शताब्दियों से कीटों से छुटकारा पाने के लिए फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग करते आ रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से देखा गया है कि किसानों ने रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ा दिया है। साथ ही जैविक कीटनाशकों का प्रयोग तेजी से कम हुआ है। बाजार में उपलब्ध सभी कीटनाशकों को प्रमाणिकताओं के आधार पर बाजार में बेंचा जा रहा है, इसके बावजूद रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से फसलों को नुकसान होता है और किसान इससे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। फसलों...
आईपीएफटी ने बीज वाले मसाले की फसलों में ​कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों के सुरक्षित विकल्प के रूप में जैव-कीटनाशक विकसित किया

आईपीएफटी ने बीज वाले मसाले की फसलों में ​कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों के सुरक्षित विकल्प के रूप में जैव-कीटनाशक विकसित किया

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन और पेट्रो-रसायन विभाग के अंतर्गत आने वाले कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीएफटी) ने आईसीएआर—राजस्थान के अजमेर में स्थि​त राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीएसएस) के साथ मिल कर एंटो-पैथोजेनिक फंगस वर्टिसिलियम लेकेनी पर आधारित जैव-कीटनाशक की नई ऐक्वीअस सस्पेन्शन निर्माण तकनीक सफलतापूर्वक विकसित की। आईपीएफटी के निदेशक श्री जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह जैव-कीटनाशक सूत्रीकरण बीज की फसलों (मेथी, जीरा और धनिया) में विभिन्न कीटों को नियंत्रित करने के लिए बहुत प्रभावी पाया गया है। यह सूत्रीकरण में लंबे समय तक जीवन है, उपयोगकर्ता और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और इसे विशेष रूप...
 उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति को सरकार तैयार 

 उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति को सरकार तैयार 

खरीफ बुवाई के मौसम के दौरान कृषक समुदाय को उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उर्वरक उद्योग के हितधारकों के साथ बैठक की। इस अवसर पर श्री गौड़ा ने कोरोना महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सरकार के साथ सहयोग करने के लिए उद्योग जगत के हस्तियों को धन्यवाद दिया। श्री गौड़ा ने कहा कि मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया है कि आगामी खरीफ फसल के लिए उर्वरक की उपलब्धता पर्याप्त रहे। सभी बाधाओं के बावजूद, उर्वरक उद्योग द्वारा इकाइयों...
फसलों को कीट रोगों से होता है 20 फीसदी नुकसान

फसलों को कीट रोगों से होता है 20 फीसदी नुकसान

उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष फसलो में कीट, रोग तथा खरपतवारों द्वारा लगभग 15 से 20 प्रतिशत क्षति होती है। इसमें से लगभग 33 प्रतिशत खरपतवारों, 26 प्रतिशत रोगों, 20 प्रतिशत कीटों, 7 प्रतिशत भण्डारण के कीटों, 6 प्रतिशत चूहों तथा 8 प्रतिशत अन्य कारक सम्मिलित हैं। इस क्षति को रोकने के लिये फसलों में कीट, रोग एवं खरपतवार नियंत्रण की नई तकनीक की जानकारी सभी किसानों को होना आवश्यक है। रसायन मुक्त कीट प्रबंधन निष्क्रिय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन (आई0पी0एम0) को लोकप्रिय बनाना तथा कृषकों को कृषि रक्षा सम्बन्धी तकनीकी विधि की सामयिक जानकारी देना । गुणवत्तायुक्त कृषि रक्षा रसायनों...