बागवानी किसानों को कीट प्रबंधन के लिए राज्य सरकार देगी 75% तक अनुदान

Published on: 10-Jun-2025
Updated on: 10-Jun-2025

किसानों की आय में वृद्धि और बागवानी फसलों की गुणवत्ता व उत्पादकता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए “बगीचों एवं फसलों में कीट प्रबंधन योजना” को मंजूरी दी है। 

इस योजना के अंतर्गत किसानों को आम, लीची, अमरूद, केला और पपीता जैसी फसलों में कीट और रोगों से बचाव के लिए अनुदानित दर पर छिड़काव की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। 

इस कार्य को राज्य सरकार द्वारा अधिकृत सेवा प्रदाताओं के माध्यम से किया जाएगा, जो वैज्ञानिक रूप से अनुशंसित कीटनाशकों का प्रयोग करेंगे।

वृक्षवार और एकड़वार अनुदान की व्यवस्था

इस योजना के तहत विभिन्न फसलों पर छिड़काव के लिए अलग-अलग अनुदान तय किया गया है:

  • आम: प्रथम छिड़काव पर 57 रुपये और द्वितीय पर 72 रुपये प्रति वृक्ष की दर से 75% अनुदान मिलेगा। अधिकतम 112 वृक्षों तक छिड़काव की सुविधा मिलेगी।
  • लीची: पहले छिड़काव पर 162 रुपये और दूसरे पर 114 रुपये प्रति वृक्ष की दर से सहायता दी जाएगी। अधिकतम 84 वृक्षों को शामिल किया जा सकता है।
  • अमरूद: प्रथम छिड़काव पर 33 रुपये और द्वितीय पर 45 रुपये प्रति वृक्ष की दर से 75% अनुदान मिलेगा। अधिकतम 56 वृक्षों तक लाभ सीमित रहेगा।
  • केला और पपीता: प्रथम छिड़काव के लिए 50% या 2150 रुपये प्रति एकड़ और द्वितीय छिड़काव के लिए 50% या 2000 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान मिलेगा।

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किसानों के लिए इस योजना के फायदे 

यह योजना किसानों को जैविक और टिकाऊ कृषि की दिशा में भी प्रोत्साहित करेगी क्योंकि कीट प्रबंधन में संतुलित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। 

पारंपरिक कृषि विधियों के साथ आधुनिक तकनीकों का समावेश किसानों को कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त करने की दिशा में प्रेरित करेगा। 

इसके साथ ही सरकार द्वारा चयनित सेवा प्रदाता किसानों को उचित समय पर छिड़काव सेवा उपलब्ध कराएंगे, जिससे कीटों पर नियंत्रण प्रभावी ढंग से हो सकेगा।

राज्य के हजारों छोटे और सीमांत किसान, जो अब तक संसाधनों के अभाव में कीट नियंत्रण नहीं कर पाते थे, अब इस योजना से सीधे लाभान्वित होंगे। 

इससे फल उत्पादन में होने वाले नुकसान को रोका जा सकेगा और निर्यात गुणवत्ता के फलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, योजना के तहत किसानों को कीट प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों से प्रशिक्षित भी किया जाएगा ताकि वे भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें।

यह पहल न केवल किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य में सहायक होगी बल्कि बिहार को बागवानी फसलों के उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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