ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन न केवल एक परंपरागत कार्य है, बल्कि यह किसानों के लिए एक स्थायी आय का मजबूत स्रोत भी बन चुका है।
किसानों की आय को बढ़ाने और बेरोजगारी की समस्या को कम करने के उद्देश्य से सरकार निरंतर कई योजनाएं चला रही है। इन्हीं प्रयासों की श्रृंखला में बिहार सरकार ने "देशी गौ-पालन प्रोत्साहन योजना" की शुरुआत की है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य देशी नस्ल की गायों जैसे साहिवाल, गिर और थारपारकर को प्रोत्साहन देना और देशी दूध उत्पादन को बढ़ावा देना है।
इस योजना के तहत किसान, बेरोजगार युवक-युवतियाँ और इच्छुक व्यक्ति देशी गायों की डेयरी यूनिट स्थापित कर सकते हैं। डेयरी इकाई की स्थापना दो विकल्पों में की जा सकती है – दो गायों या चार गायों की यूनिट।
इसके लिए सरकार की ओर से आर्थिक सहायता यानी अनुदान दिया जाएगा। योजना का मुख्य आकर्षण यह है कि इसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC), अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों को 75% तक का अनुदान मिलेगा, जबकि अन्य वर्गों को 50% तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
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यह योजना न केवल देसी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि शुद्ध दूध की उपलब्धता बढ़ाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करने का भी एक कारगर माध्यम है। देशी गायों का दूध आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से अत्यधिक गुणकारी माना जाता है, जिससे स्वास्थ्य को अनेक लाभ होते हैं।
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इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक लाभार्थियों को 25 जुलाई 2025 तक ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है। आवेदन प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से आसान और पारदर्शी बनाया गया है।
आवेदक (http://dairy.bihar.gov.in](http://dairy.bihar.gov.in) पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। योजना का संचालन राज्य के सभी जिलों में जिला गव्य विकास पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा।
आवेदन करते समय यह ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है कि सभी दस्तावेज स्पष्ट और सही रूप से अपलोड किए गए हों, क्योंकि गलत या अधूरे दस्तावेज वाले आवेदन स्वतः निरस्त कर दिए जाएंगे।
यदि किसी को योजना से संबंधित और जानकारी चाहिए या आवेदन प्रक्रिया में सहायता की आवश्यकता हो, तो वे अपने जिले के गव्य विकास पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही, टोल फ्री नंबर 18003456681 पर कॉल करके भी मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।
देशी गौ-पालन प्रोत्साहन योजना ग्रामीण युवाओं और किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह न केवलआत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने वाला भी साबित हो सकता है।
अगर आप पशुपालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने की सोच रहे हैं, तो यह योजना आपके लिए एक बेहतरीन शुरुआत हो सकती है।