धान की फसल के बाद भी किसान कर सकते हैं आलू की खेती, जाने सम्पूर्ण जानकारी
आलू की खेती रबी के मौसम में बड़े पैमाने पर की जाती है। उत्तर प्रदेश में आलू की खेती सबसे ज्यादा की जाती है। आलू की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। आलू की बुवाई का कार्य छोटे किसानों द्वारा हाथ से किया जाता हैं वही बड़े किसानों द्वारा मशीन से बुवाई का कार्य किया जाता हैं। अब किसानों द्वारा आलू की खेती धान की कटाई के बाद भी की जा सकती हैं। इस लेख में हम आपको आलू की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकरी देंगे।
आलू की बुवाई के लिए भूमि की तैयारी
आलू की बुवाई के लिए सबसे पहले भूमि की अच्छे तरीके से जुताई होनी चाहिए। खेत की जुताई के बाद आलू की रोपाई से पहले उसमे जैविक खाद को भी मिलाया जाता हैं ताकि आलू की उर्वरकता अच्छे से हो सके। आलू की खेती करने से पहले भूमि की कम से कम दो से तीन बार जुताई करनी चाहिए। अंतिम जुताई से पहले खेत में 4 से 5 ट्राली गोबर की खाद डालनी चाहिए और बाद में जुताई करके उसे खेत में अच्छी तरीके से मिला दे, ताकि पूरे खेत में खाद फ़ैल जाये और भूमि को ज्यादा उपजाऊ बनाया जा सके। इस खाद के प्रयोग से खेत की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी और आलू के उत्पादन में भी इजाफा होगा।
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आलू की बुवाई का सबसे अच्छा समय क्या हैं
आलू की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय सितम्बर से अक्टूबर के बीच का महीना माना जाता है। यानी जब धान की कटाई पूरी हो जाती हैं इसके तुरत बाद यदि किसान आलू की खेती करना चाहे तो कर सकता है। 15 सितम्बर से 15अक्टूबर के बीच का समय आलू की बुवाई के लिए बेहतर माना जाता हैं। साल में आलू की बुवाई दो बार की जाती हैं। सितम्बर माह से आलू की बुवाई को अगेती बुवाई माना जाता है। किसान नवंबर से दिसंबर के महीने में भी आलू की पछेती रोपाई करते है।
आलू की फसल में कितनी बार सिंचाई की जानी चाहिए
आलू की बुवाई के बाद खेत में 3 - 4 सिंचाई की जानी चाहिए। यदि आलू की फसल में ज्यादा पानी लगाया जायेगा तो फसल खराब भी हो सकती है। आलू की फसल में हमेशा हल्की से माध्यम सिंचाई ही करनी चाहिए। आलू की खुदाई के कुछ दिन पहले से ही सिंचाई को रोक देना चाहिए। अगर सिंचाई का कार्य रोका नहीं जाता हैं तो इससे फसल को भारी नुक्सान पहुंच सकता हैं। आलू के खेत में सिर्फ इतना ही पानी देना चाहिए जिससे मिट्टी में नमी रह सके। यदि आपको लगता हैं की आलू के पौधे पीले पड रहे हैं, तो उसी समय खेत में पानी देना बंद कर दे।
क्या आलू की खेती में ज्यादा लागत आती हैं
आलू की खेती में अन्य फसलों के मुकाबले ज्यादा लागत नहीं आती हैं।आलू की खेती छोटे किसान भी लाभ उठाने के लिए कर सकते है। आलू की खेती भारत के बहुत से राज्यों में सामान्य रूप से करी जाती है। आलू की फसल का उत्पादन किसान द्वारा साल में दो बार किया जा सकता हैं आलू की खेती में बहुत ही कम पानी की आवश्कता रहती है। यदि किसान रासायनिक पदार्थो का उपयोग करके उत्पादन नहीं करना चाहते हैं तो वो जैविक खाद का भी उपयोग कर सकते हैं या फिर गोबर खाद का भी उपयोग किसानो द्वारा किया जा सकता है।
आलू की खुदाई कब की जाती हैं
आलू की खुदाई मध्य मार्च के महीने में करी जाती हैं। आलू की खुदाई का सही समय मध्य मार्च ही माना जाता है। आलू की फसल लगभग 60 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं, लेकिन ज्यादा से ज्यादा समय 90-110 दिन का समय आलू की फसल को पकने में लगता है। आलू की खुदाई के बाद कम से कम आलू को कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए ताकि आलू को विभिन्न रोगों से बचाया जा सके। आलू की फसल को कई प्रकार के रोगों से बचाने के लिए किसानों द्वारा आलू को कोल्ड स्टोर जैसी जगहों पर स्टॉक कर दिया जाता हैं, ताकि आलू की कीमत बढ़ने पर आलू को स्टोर से निकाला जा सके और उन्हें अच्छी कीमतों पर बेचा जा सकें।