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फसल

लीची की खेती कैसे करें: लीची की  किस्में और खेती का सही तरीका

लीची की खेती कैसे करें: लीची की किस्में और खेती का सही तरीका

Litchi Cultivation: लीची की उन्नत खेती की विधि लीची एक स्वादिष्ट और रसीला फल होता है, जिसकी गुणवत्ता उत्कृष्ट होती है। लीची का वैज्ञानिक नाम लीची चिनेंसिस है, वनस्पति रूप से यह सैपिंडेसी (Sapindaceae) परिवार से संबंधित है। लीची की फसल भारत में कई स्थानों पर उगाई जाती है। लीची की खेती के लिए विशेष जलवायु परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, लेकिन यह पौधा मिट्टी को लेकर बहुत अधिक चयनशील नहीं होता। यह पौधा वायरल रोगों से भी बहुत कम प्रभावित होता है। इस लेख में हम आपको लीची की उन्नत खेती की विधि ( Litchi Cultivation )के बारे में जानकारी...
 ब्लूबेरी की खेती से कमाई – 3000 पौधों से सालाना 60 लाख रुपए तक मुनाफा

ब्लूबेरी की खेती से कमाई – 3000 पौधों से सालाना 60 लाख रुपए तक मुनाफा

भारत में अब किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ अमेरिकन ब्लूबेरी (Blueberry Farming) जैसी हाई-वैल्यू फसलों की ओर भी बढ़ रहे हैं। ब्लूबेरी एक ऐसा फल है जिसे दुनिया भर में सुपरफूड कहा जाता है। इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर हेल्थ-कॉन्शियस और फिटनेस पसंद लोगों के बीच।महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के पंचगनी इलाके में एक किसान ने ग्रीनहाउस में ब्लूबेरी की खेती शुरू की। उन्होंने बताया कि ब्लूबेरी उगाना उतना मुश्किल नहीं है जितना लोग समझते हैं। पौधे लगाने के बाद यह 10 साल तक फल देता है और प्रति पौधा औसतन 2–5 किलो तक उत्पादन मिलता...
रजनीगंधा (Tuberose) की व्यावसायिक खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

रजनीगंधा (Tuberose) की व्यावसायिक खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

रजनीगंधा, जिसे ट्यूबरोज (Tuberose) के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत सुगंधित फूल है जो अपनी सुंदरता और गंध के कारण पुष्प बाजार में बहुत अधिक मांग में रहता है। यह न केवल सजावट व पूजा-पाठ के लिए उपयोगी है, बल्कि इससे इत्र व परफ्यूम भी बनाए जाते हैं। इसकी खेती किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय सिद्ध हो सकती है। इस लेख में हम रजनीगंधा की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी विस्तारपूर्वक 1500 शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं।रजनीगंधा की खेती में किए जाने वाले प्रमुख कार्य 1. रजनीगंधा की प्रमुख किस्में (Varieties)रजनीगंधा की किस्में मुख्यतः दो प्रकार...
अंगूर में लगने वाले प्रमुख रोग लक्षण और प्रबंधन के उपाय

अंगूर में लगने वाले प्रमुख रोग लक्षण और प्रबंधन के उपाय

अंगूर में लगने वाले प्रमुख रोगअंगूर के बाग में कीटों के साथ साथ रोगों का भी प्रकोप होता है। रोगों के कारण अंगूर की उपज में काफी हद तक कमी आती है। अंगूर की बीमारियों मुख्य रूप से मौसम की स्थिति, इनोकुलम (बीमारी का इतिहास) की उपस्थिति और बेलों की संवेदनशीलता पर निर्भर करती है। इसका मतलब है कि एक बीमारी एक साल में विनाशकारी हो सकती है। इस लेख में हम आपको अंगूर में लगने वाले प्रमुख रोग, लक्षण और प्रबंधन के उपाय के बारे में जानकारी देंगे।     डाउन मिल्ड्यू (Downy Mildew): Plasmopara viticola लक्षण:Image-   https://drive.google.com/file/d/1REWO-ShU5FKtfeYgY0_jsTI_EVRtUYaH/view रोग से प्रभावित पत्तियों की...
जरबेरा फूल की खेती - जलवायु, मिट्टी, फसल उत्पादन से जुडी सम्पूर्ण जानकारी

जरबेरा फूल की खेती - जलवायु, मिट्टी, फसल उत्पादन से जुडी सम्पूर्ण जानकारी

जरबेरा बहुवर्षीय कर्तित पुष्प वर्ग का पौधा है। जरबेरा एक खूबसूरत और आकर्षक फूल है, इसकी उत्पत्ति स्थल अफ्रीका को माना जाता है। इसकी खेती अलंकृत बागवानी में सजावट एवं गुलदस्ता बनाने के लिए की जाती है। छोटी किस्म की प्रजातियों को गमलों में शोभाकारी किनारी के रूप में भी उगाया जाता है। इसके कर्तित पुष्प लगभग एक सप्ताह तक तरोताज़ा बने रहते हैं। इसकी लगभग 70 प्रजातियाँ हैं जिसमें 7 का उत्पत्ति स्थल भारत या आस पास का माना गया है। इस लेख में हम आपको जरबेरा फूल की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी देंगे। जरबेरा की खेती के लिए जलवायु...
जिरेनियम की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

जिरेनियम की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

जिरेनियम एक सुगंधित पौधा है, जिससे निकलने वाला तेल इत्र, साबुन और कॉस्मेटिक उद्योगों में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। इसकी खुशबू गुलाब जैसी होती है, और यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी काफी लोकप्रिय है। भारत में जिरेनियम तेल की कीमत लगभग ₹20,000 प्रति लीटर तक है, लेकिन घरेलू उत्पादन बेहद कम है—सिर्फ 2 टन। वहीं, देश को 20 टन तेल आयात करना पड़ता है। ऐसे में जिरेनियम की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है।कम निवेश, ज़्यादा मुनाफाजिरेनियम की खेती में लागत कम होती है, क्योंकि इसे बहुत ज़्यादा सिंचाई या रासायनिक खाद की आवश्यकता...