सीवीड की खेती के लिए आई नई तकनीक, सरकार से भी मिलेगी सहायता

इन दिनों बाजार में सीवीड (समुद्री सिवार या शैवाल) की मांग तेजी से बढ़ी है। जिसके कारण इसकी मांग को पूरा करने के लिए बहुत सी संस्थाएं नई तकनीकों की खोज में जुटी हैं। सीवीड की खेती आमतौर पर समुद्र पर फैलाई गई रस्सी में की जाती है। इसके साथ ही समुद्र में जाल फैलाकर भी सीवीड की खेती की जाती है। लेकिन इस प्रकार सीवीड की खेती करने में भारी खर्चा आता है जिसके कारण सीवीड की खेती करना बेहद मुश्किल हो गया है। इन सब के बावजूद केंद्र सरकार सीवीड की खेती करने के लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। ताकि देश में सीवीड की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। सरकार ने अपने आंकड़ों से बताया है कि भारत में शैवाल की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनका इस्तेमाल लगभग 221 तरह के पदार्थ बनाने में होता है। इसलिए इसकी खेती करने से किसानों को भरपूर मुनाफा हो सकता है।

सीवीड की खेती की तकनीक

यह तकनीक बेंगलुरु स्थित एक
स्टार्टअप ने विकसित की है। जिसे 'सी सिक्स एनर्जी' के नाम से जाना जाता है। स्टार्टअप के संस्थापक ने बताया है कि उन्होंने कई ऐसे तरीके विकसित किए हैं जिनसे बड़ी मात्रा में बेहद आसानी से सीवीड उगाई जा सकती है और उनसे कई उपयोगी पदार्थ बनाए जा सकते हैं।

स्टार्टअप ने तैयार किया सी कंबाइन

सीवीड की खेती करने के लिए स्टार्टअप ने सी कंबाइन तैयार किया है। यह एक ऐसा यंत्र है जो समुद्र में सीवीड की कटाई करता है और दोबारा बीज रोप देता है। जिसे अगली बार के लिए सीवीड उगाने में आसानी होती है। यह यंत्र बेहद व्यवस्थित तरीके से सीवीड की कटाई करता है।

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सीवीड की खेती के लिए सरकार कर रही है प्रोत्साहित

सरकार सीवीड के किसानों को इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि किसान भाई ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सीवीड की खेती करें। इसके लिए सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 5 साल की परियोजना पर काम कर रही है। इस योजना के अंतर्गत सरकार 640 करोड़ रुपए खर्च करने वाली है। इस राशि से सरकार देश के तटीय राज्यों के मछुआरों को शैवाल के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार का उद्देश्य है कि सीवीड की खेती में पुरुषों के साथ-साथ महिलायें भी आगे आएं और इस खेती में बराबर से भागीदार हों। इसके साथ ही सरकार शैवाल उत्पादन बढ़ाने के लिए राफ्ट बनाने के लिए सहायता भी दे रही है। सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत राफ्ट और मोनोलिन/ट्यूबनेट बनाने के लिए किसानों और मछुआरों को क्रमशः 1500 रुपये और 8000 रुपये की व‍ित्‍तीय सहायता कर रही है। सरकार का अनुमान है कि यह मदद निश्चित रूप से किसानों को सीवीड की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने में मददगार साबित होगी। जिससे देश मएब सीवीड के उत्पादन को बढ़ाया जा सकेगा साथ ही बाजार में सीवीड की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति भी की जा सकेगी।