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गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों का मौसम सबसे खतरनाक मौसम होता है क्योंकि इस समय बहुत ही तेज गर्म हवाएं चलती हैं। इनसे बचने के लिए हम सभी का मन करता है की ठंडी और खुसबुदार छाया में बैठ कर आराम करने का। 

यही आराम हम बाहर बाग बागीचो में ढूंढतेहै ,लेकिन अगर आप थोड़ी सी मेहनत करे तो आप इन ठंडी छाया वाले फूलों का अपने घर पर भी बैठ कर आनंद ले सकते है।

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowers to plant in the summer season:)

गर्मियों के मौसम की एक खास बात यह होती है को यह पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय होता है। तेज धूप में पौधे अच्छे से अपना भोजन बना पाते है।

साथ ही साथ उन्हें विकसित होने में भी कम समय लगता है। ऐसे में आप गेंदे का फूल , सुईमुई का फूल , बलासम का फूल और सूरज मुखी के फूल बड़ी ही आसानी से अपने घर के गार्डन में लगा सकते है। 

इससे आपको घर पर ही गर्मियों के मौसम में ठंडी और खुसबुदार छाया का आनंद मिल जायेगा।अब बात यह आती है की हम किस प्रकार इन फुलों के पौधों को अपने घर पर लगा पाएंगे। 

इसके लिए सबसे पहले आपको मिट्टी, फिर खाद और उर्वरक और अंत में अच्छी सिंचाई करनी होगी। साथ ही साथ हमे इन पौधों की कीटो और अन्य रोगों से भी रोकथाम करनी होगी। तो चलिए अब हम आपको बताते है आप प्रकार इन मौसमी फुलों के पौधों लगा सकते है।

गर्मियो में फूलों के पौधें लगाने के लिए इस प्रकार मिट्टी तैयार करें :-

mitti ke prakar

इसके लिए सबसे पहले आप जमीन की अच्छी तरह से उलट पलट यानी की पाटा अवश्य लगाएं।खेत को अच्छे से जोतें ताकि किसी भी प्रकार का खरपतवार बाद में परेशान न करे पौधों को।

मौसमी फूलों के पौधों के बीजों के अच्छे उत्पादन के लिए जो सबसे अच्छी मिट्टी होती हैं वह होते हैं चिकनी दोमट मिट्टी।इन फुलों को आप बीजो के द्वारा भी लगा सकते है और साथ ही साथ आप इनके छोटे छोटे पौधें लगाकर रोपाई भी कर सकते हैं। 

इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी का भी आप इस्तेमाल कर सकते है बीजों को पैदावार के लिए। इसके लिए आप 50% दोमट मिट्टी और 30% खाद और 20% रेतीली मिट्टी को आपस में अच्छे से तैयार कर ले। 

एक बार मिट्टी तैयार हो जाने के बाद आप इसमें बीजों का छिड़काव कर दे या फिर अच्छे आधा इंच अंदर तक लगा देवे। उसके बाद आप थोड़ा सा पानी जरूर देवे पौधों को।

गर्मियों में फूलों के पौधों को इस प्रकार खाद और उर्वरक डालें :-

khad evam urvarak

मौसमी फूलों के पौधों का अच्छे से उत्पादन करने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का इस्तमाल करे न की रासायनिक खाद का। रासायनिक खाद से पैदावार अच्छी होती है लेकिन यह खेत की जमीन को धीरे धीरे बंजर बना देती है। 

इसलिए अपनी जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का ही इस्तमाल करे। यह फूलों के पौधों को सभी पोषक तत्व प्रोवाइड करवाती है।

100 किलो यूरिया और 100 किलो सिंगल फास्फेट और 60 किलो पोटाश को अच्छे मिक्स करके संपूर्ण बगीचे और गार्डन में मिट्टी के साथ मिला देवे। खाद और उर्वरक का इस्तेमाल सही मात्रा में ही करे । ज्यादा मात्रा में करने पर फुल के पौधों में सड़न आने लगती है।

गर्मियों में फूलों के पौधों की इस प्रकार सिंचाई करे :-

phool ki sichai

गर्मियों में पौधों को पानी की काफी आवश्यकता होती है। इसके लिए आप नियमित रूप से अपने बगीचे में सभी पौधों की समान रूप से पानी की सिंचाई अवश्य करें। 

पौधों को सिंचाई करना सबसे महत्वपूर्ण काम होता है, क्योंकि बिना सिंचाई के पौधा बहुत ही काम समय में जल कर नष्ट हो जायेगा। 

इसी के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए की गर्मियों के मौशम में पौधों को बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं और वहीं दूसरी तरफ सर्दियों के मौसम में फूलों को काफी कम पानी की आवश्यकता होती है। 

इन फूलों के पौधों की सिंचाई के लिए सबसे अच्छा समय जल्दी सुबह और शाम को होता है।सिंचाई करते समय यह भी जरूर ध्यान रखे हैं कि खेत में लगे पौधों की मिट्टी में नमी अवश्य होनी चाहिए ताकि फूल हर समय खिले रहें। क्यारियों में किसी भी प्रकार का खरपतवार और जरूरत से ज्यादा पानी एकत्रित ना होने देवे।

गर्मियों के फुलों के पौधों में लगने वाले रोगों से बचाव इस प्रकार करे :-

phoolon ke rogo se bachav

गर्मियों के समय में ना  केवल पौधों को गर्मी से बचाना होता है बल्कि रोगों और कीटों से भी बचाना पड़ता है।

  1. पतियों पर लगने वाले दाग :-

इस रोग में पौधों पर बहुत सारे काले और हल्के भूरे रंग के दाग लग जाते है। इस से बचने के लिए ड्यूथन एम 45 को 3 ग्राम प्रति लिटर में अच्छे से घोल बना कर 8 दिनों के अंतराल में छिड़काव करे। इस से सभी काले और भूरे दाग हट जाएंगे।
  1. पतियों का मुर्झा रोग :-

इस रोग में पौधों की पत्तियां धीरे धीरे मुरझाने लगती है और बाद में संपूर्ण पौधा मरने लग जाता है।इस से बचाव के लिए आप पौधों के बीजों को उगाने से पहले ट्राइको टर्म और जिनॉय के घोल में अच्छे से मिक्स करके उसके बाद लगाए। इस से पोधे में मुर्झा रोग नहीं होगा।
  1. कीटों से सुरक्षा :-

जितना पसंद फूल हमे आते है उतना ही कीटो को भी। इस में इन फूलों पर कीट अपना घर बना लेते है और भोजन भी। वो धीरे धीरे सभी पतियों और फुलों को खाना शुरू कर देते है। इस कारण फूल मुरझा जाते है और पोधा भी। इस बचाव के लिए आप कीटनाशक का प्रति सप्ताह 3 से 4 बार याद से छिड़काव करे।इससे कीट जल्दी से फूलों और पोधें से दूर चले जायेंगे।

गर्मियों में मौसम में इन फुलों के पौधों को अवश्य लगाएं अपने बगीचे में :-

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल - सूरजमुखी (sunflower)
  1. सुरजमुखी के फुल का पौधा :-

सूरजमुखी का फूल बहुत ही आसानी से काफी कम समय में बड़ा हो जाता है। ऐसे में गर्मियों के समय में सुरज मुखी के फूल का पौधा लगाना एक बहुत ही अच्छी सोच हो सकती है। 

आप बिना किसी चिंता के आराम से सुरज मुखी के पौधे को लगा सकते हैं। गर्मियों के मौसम में तेज धूप पहले से ही बहुत होती है और सूरज मुखी को हमेशा तेज धूप की ही जरूरत होती हैं।

  1. गुड़हल के फूल का पौधा :-

गर्मियों के मौसम में खिलने वाला फूल गुड़हल बहुत ही सुंदर दिखता है घर के बगीचे में।गुड़हल का फूल बहुत सारे भिन्न भिन्न रंगो में पाया जाता हैं। 

गुड़हल का सबसे ज्यादा लगने वाला लाल फूल का पौधा होता है। यह न केवल खूबसूरती के लिए लगाया जाता है बल्कि इस से बहुत अच्छी महक भी आती है।

  1. गेंदे के फूल का पौधा :-

गेंदे का फूल बहुत ही खुसबूदार होता है और साथ ही साथ सुंदर भी। गेंदे के फूल का पौधा बड़ी ही आसानी से लग जाता है और इसे आप अपने घर के गार्डन में आराम से लगाकर सम्पूर्ण घर को महका सकते है।।

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  1. बालासम के फूल का पौधा :-

बालासाम का पौधा काफी सुंदर होता है और इसमें लगने वाले रंग बिरंगे फूल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। यह फूल बहुत ही कम समय में खेलना शुरू हो जाते हैं यानी की रोपाई के बाद 30 से 40 दिनों के अंदर ही यह पौधा विकसित हो जाता है और फूल खिला लेता है।

सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ (Sunflower Farming in Hindi)

सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ (Sunflower Farming in Hindi)

सूरजमुखी किसानों के लिए बहुत ही मूल्यवान फसल मानी जाती हैं। सूरजमुखी की फसल से जुड़े विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां जिसको जानकर आप सूरजमुखी के बहुत सारे फायदे से जागरूक हो जाएंगे। किसानों के अनुसार सूरजमुखी एक तिलहनी फसल है। किसानों का यह कहना है कि सूरजमुखी की फसल बेहतर मुनाफा देने वाली फसल है। जिसको आम भाषा में नकदी फसल भी कहा जाता है। प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार सूरजमुखी की पहली खेती उत्तराखंड के पंतनगर में हुई थी जिसका समय लगभग 1969 था। किसान सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी और जायद इन तीनों मौसमों में करते हैं। आइये जानते हैं सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ । कुछ सालों के अनुमान से यह कहा जा सकता है, कि सूरजमुखी की खेती किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है। तथा किसान इसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि भी कर रहे हैं जिससे वह उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। 

सूरजमुखी की कटाई मई महीने के अंत में ऐसे करें

किसान के लिए सूरजमुखी की फसल बहुत ही फायदेमंद होती है। इसीलिए वह इसकी खास देखभाल करते हैं और इसकी कटाई पर भी विशेष रूप से ध्यान देते हैं। ताकि इस फसल को किसी भी तरह का कोई नुकसान ना हो, जिससे उनको आगे नुकसान सहना पड़े। किसान सूरजमुखी की बुवाई फरवरी के महीने से करना शुरू कर देते हैं ताकि मई के आखिरी महीने में वह इस की कटाई कर अच्छी फसल को प्राप्त कर सकें। यदि सूरजमुखी की बुवाई सही टाइम पर ना करें। तो भारी बारिश हो जाने के बाद पैदावार में काफी हद तक नुकसान भी हो सकता है। सूरजमुखी की फसल की कटाई मई के अंत में करना बहुत ही उचित होता है। 

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सूरजमुखी के लिए जलवायु और भूमि

सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ - sunflower farm -सूरजमुखी के लिए जलवायु और भूमि 

 सूरजमुखी की खेती के लिए अच्छी जलवायु और भूमि की बहुत ही आवश्यकता होती है। सूरजमुखी की फसलें खरीफ रबी जायद तीनों मौसमों में इसकी खेती की जाती है। सूरजमुखी की खेती के लिए शुष्क जलवायु की बहुत ही आवश्यकता होती है। सूरजमुखी की खेती आप किसी भी भूमि में कर सकते हैं। सूरजमुखी की खेती के लिए अम्लीय एवम क्षारीय भूमि उचित नहीं होती खेती के लिए। वैसे तो आप किसी भी मिट्टी में सूरजमुखी की खेती कर सकते हैं। लेकिन सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे उचित दोमट मिट्टी होती है। 

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सूरजमुखी की फसल के लिए खेत को किस प्रकार तैयार करते हैं:

सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ : सूरजमुखी की फसल को तैयार करने के लिए किसान निम्न प्रकार से खेत को तैयार करते हैं जैसे: किसान सूरजमुखी की खेती जायद मौसम में करते हैं जिससे उनको नमी वाली भूमि की प्राप्ति हो सके। किसान भूमि की ऊपरी परत को चीरकर जुताई करने तथा बीज बोने की प्रक्रिया को शुरू करते है। खेत की पहली जुताई किसान हल द्वारा करते हैं। तीन से चार दिन बाद खेत की जुताई कल्टीवेटर से करना जरूरी होता है। मिट्टी का  भुरभुरा पन समय-समय पर देखते रहना चाहिए ताकि उस में नमी बरकरार रहे। 

सूरजमुखी की बुवाई:

surajmukhi ki buvai - सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ 

 सूरजमुखी की अच्छी फसल को प्राप्त करने के लिए आपको कुछ इस तरह से बुवाई करनी चाहिए: सर्वप्रथम आपको सबसे पहले बीज को रात में भिगोकर रखना होगा। भिगोने के बाद आपको करीबन 3 से 4 घंटा बीज को छांव में रखना होगा। शाम होने पर आपको सुखाई हुई बीज को बोना शुरू कर देना चाहिए। सूरजमुखी की फसल के लिए बीज की अलग-अलग मात्रा की आवश्यकता पड़ती है। इसमें आपको संकुल या सामान्य बीजों की आवश्यकता पड़ती है।फसल की बुवाई के लिए आपको करीबन 12 से 15 किलोग्राम प्रति हैक्टर बीज लेना चाहिए। यदि आपको यह आभास हो जाए। कि बीज में जमाव की गुणवत्ता नहीं है तो आपको ज्यादा से ज्यादा बुवाई के लिए बीज लेनी चाहिए। सूरजमुखी की बुवाई के लिए लगभग 2 से 2.5 ग्राम थीरम प्रतिकिलो ग्राम बीज को शोधित कर लेना चाहिए।

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सूरजमुखी फसल की सिंचाई का समय:

फसल की अच्छी प्राप्ति के लिए सिंचाई का समय समय पर ध्यान रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। किसान सूरजमुखी फसल की पहली सिंचाई बुवाई करने के बाद 20 से 25 दिन के उपरांत करते हैं।किसान यह सिंचाई छिड़काव के रूप में भी करते हैं।10 से 15 दिन के बीच इसकी दोबार सिंचाई करनी होती है। सूरजमुखी फसल की सिंचाई करीबन 5 से 6 बार करनी होती है।जब खेतों में सूरजमुखी के फूल निकल आए तो हल्की सिंचाई करने चाहिए। ताकि पौधे जमीन में ना गिर सके। यदि आप भारी सिंचाई करेंगे तो पानी के प्रभाव से पौधे गिरने लगेंगे। 

सूरजमुखी की फसल के लिए मिट्टी की मात्रा :

सूरजमुखी की फसल के लिए लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है। नत्रजन की टापड्रेसिंग करने के बाद पौधों पर यह मिट्टी चढ़ाई जाती है।किसान हमेशा इस चिंता में रहते हैं। कि सूरजमुखी का पौधा ना गिर जाए, क्योंकि यह  आकार में बहुत बड़ा होता है।जिसकी वजह से किसान को इनके गिरने का भय लगा रहता है।मिट्टी चढ़ाने से इनका संतुलन बराबर बना रहता है। 

सूरजमुखी फसल की सुरक्षा:

surajmukhi ki suraksha - सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ 

 फसल को कीटनाशक कीटों से सुरक्षा प्रदान करने तथा दीमक से बचाने के लिए कई तरह के रसायनों का प्रयोग किसान फसल की सुरक्षा के लिए करते हैं। किसान फसलों की सुरक्षा के लिए मिथाइल ओडिमेंटान में लगभग 1 लीटर तथा 25ई सी साथ ही साथ फेन्बलारेट 750 मिली लीटर  प्रति हैक्टर के साथ लगभग 800 से 100 लीटर पानी में मिक्स कर फसलों पर छिड़काव करते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा सूरजमुखी फसलों की सुरक्षा कीटों से होती है। इस पोस्ट में हमने सूरजमुखी फसल से जुड़ी विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां आपको दी है। जैसे मई के महीने में किस प्रकार सूरजमुखी फसल की कटाई कैसे करें, जलवायु और भूमि की उपयोगिता,  बुवाई तथा सिंचाई आदि की पूर्ण जानकारी, हमारी इस पोस्ट में मौजूद है। यदि आप हमारी दी हुई जानकारी से पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं। तो कृपया आप ज्यादा से ज्यादा हमारी इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें।

खाने का तेल होगा सस्ता

खाने का तेल होगा सस्ता

पिछले कुछ समय से आम उपभोक्ताओं की शिकायत रही है, कि खाने के तेल के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। सरकार की तरफ से भी कहा गया कि मलेशिया से आने वाले पाम आयल पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के कारण ऐसा हुआ है। लेकिन, अब उम्मीद बंधती दिख रही है, कि खाने के तेल के दाम में गिरावट आ सकती है। लेकिन, सवाल यह भी है कि क्या किसानों को इससे फायदा होगा या नुकसान ? खबर यह है, कि सूरजमुखी उगाने वाले कई राज्यों, जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा में अभी सूरजमुखी के बीज निकालने का समय आ गया है। भारत हर साल करीब 2 लाख टन सूरजमुखी तेल का उत्पादन करता है। लेकिन, इस बीच खबर यह है, कि तिलहन की मांग में कमजोरी आई है, न सिर्फ सूरजमुखी बल्कि सरसों, सोयाबीन, मूंगफली की कीमत में भी कमी देखी गयी है। दूसरी तरफ, पाम आयल की मांग में तेजी देखी जा रही है।
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जानकारों की माने तो, अभी से ठीक 6 महीना पहले जहां सूरजमुखी तेल की कीमत 2,500 डॉलर प्रति टन थी, वहीं यह करीब आधा घटकर 1,360 डॉलर प्रति टन रह गया है। माना जा रहा है, कि यह विदेशों से तेल आने के कारण हुआ है, विदेश से आने वाला यह तेल ही किसानों को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि उसकी कीमत ११२ रूपये प्रति किलो तय की गयी है। दूसरी तरफ, किसानों को एक किलो सूरजमुखी बीज निकालने में 40 रूपये का खर्च बैठता है। यानी, उसकी कीमत हो गयी 152 रूपये। तो सवाल है, कि वह 112 रूपये वाली कीमत का मुकाबला कैसे करेगा ? जाहिर है, ऐसे में किसान सूरजमुखी का तेल बनाने से अधिक उसके अन्य प्रोडक्ट बनाना पसंद करेंगे, जिससे कि उनका मुनाफ़ा बढ़ सके। सूरजमुखी से अन्य कई प्रोडक्ट, जैसे मुर्गी दाना और पशु आहार आदि भी बनाए जाते हैं। एक और समस्या है, विदेश से आने वाले सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क नहीं है। हां, यह कोटा के तहत जरूर लाया जा रहा है, इस वजह से सप्लाई कम हो गया है और विक्रेता इसका फायदा उठा रहे हैं। जाहिर है, भारत में तिलहन उत्पादन तभी बढ़ सकता है, जब किसानों को उनकी उपज का मूल्य बेहतर मिलेगा। विदेश से आने वाले पाम आयल, सूरजमुखी के मुकाबले सस्ता पड़ता है, इस वजह से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार को कीमत में अन्तर के बारे में सोचना होगा।