किसानों की आमदनी बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा पशुपालन के साथ-साथ मछली पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसी उद्देश्य के तहत मध्य प्रदेश के इंदौर में "अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जल कृषि सम्मेलन 2025" का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण तथा मत्स्य मंत्री श्याम सिंह राणा ने राज्य में मछली पालन को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और झींगा पालन के लिए सब्सिडी बढ़ाने का सुझाव भी रखा।
मत्स्य मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि हरियाणा में मछली पालन के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। जहां 2014-15 में केवल 70 एकड़ भूमि पर मछली पालन होता था, वहीं वर्तमान में राज्य की लगभग 5900 एकड़ खारे पानी वाली भूमि को झींगा और मछली पालन के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।
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मंत्री राणा ने बताया कि हरियाणा अब कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी एक उभरता हुआ राज्य बन चुका है। मछली पालन न केवल रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बन रहा है, बल्कि यह किसानों की आय बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इनलैंड (भूमि से घिरे) राज्यों में हरियाणा मछली उत्पादन में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देश में दूसरे स्थान पर है।
उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग का उद्देश्य प्रदेश के अधिक जल क्षेत्रों को मछली पालन के तहत लाना, प्राकृतिक जल स्रोतों में मछलियों के संरक्षण को बढ़ावा देना, किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीज और तकनीकी सहायता प्रदान करना तथा विपणन प्रणाली को सशक्त बनाकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है।
सम्मेलन में मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत हरियाणा में अब तक 2719 लाभार्थियों को 203 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। वर्ष 2024-25 में 5900 एकड़ भूमि पर झींगा पालन किया गया, जिससे 15,468 टन झींगा उत्पादन हुआ। यह खेती अब 15 जिलों में की जा रही है।
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कृषि मंत्री ने बताया कि वर्ष 2024-25 में 52,392 एकड़ भूमि को मत्स्य पालन के तहत लाया गया, जिससे 2.16 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ। इस क्षेत्र में सरकार ने बजट में भी वृद्धि की है और चालू वित्तीय वर्ष में मत्स्य विभाग का बजट बढ़ाकर 214.76 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
श्याम सिंह राणा ने कहा कि सरकार ने सौर ऊर्जा सब्सिडी की सीमा 10 किलोवाट से बढ़ाकर 30 किलोवाट कर दी है, जिससे अधिकतम 9 लाख रुपये की सहायता मिलेगी।
अमृत सरोवर योजना के तहत 2244 तालाबों में से 444 तालाबों की नीलामी पूरी हो चुकी है, जिन्हें मछली पालन के लिए प्रयोग में लाया जाएगा। किसानों को सुविधा देने के लिए तीन मोबाइल जल परीक्षण वैन उपलब्ध कराई जाएंगी।
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि झींगा पालन के लिए सब्सिडी 14 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 25 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की जाए और सोलर सिस्टम तथा तालाबों के सुधार को भी योजना में शामिल किया जाए, ताकि किसानों को अधिक लाभ मिले और उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सके।