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बारिश के चलते बुंदेलखंड में एक महीने लेट हो गई खरीफ की फसलों की बुवाई

बारिश के चलते बुंदेलखंड में एक महीने लेट हो गई खरीफ की फसलों की बुवाई

झांसी। बुंदेलखंड के किसानों की समस्या कम होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। पहले कम बारिश के कारण बुवाई नहीं हो सकी, अब बारिश बंद न होने के चलते बुवाई लेट हो रहीं हैं। इस तरह बुंदेलखंड के किसानों के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। मौसम खुलने के 5-6 दिन बाद ही मूंग, अरहर, तिल, बाजरा और ज्वर जैसी फसलों की बुवाई शुरू होगी। लेकिन बुंदेलखंड में इन दिनों रोजाना बारिश हो रही है, जिससे बुवाई काफी पिछड़ रही है।

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बारिश से किसानों पर पड़ रही है दोहरी मार

- 15 जुलाई को क्षेत्र के कई हिस्सों में करीब 100 एमएम बारिश हुई, जिससे किसानों ने थोड़ी राहत की सांस ली और किसान खेतों में बुवाई की तैयारियों में जुट गए। लेकिन रोजाना बारिश होने के चलते खेतों में अत्यधिक नमी बन गई है, जिसके कारण खेतों को बुवाई के लिए तैयार होने में वक्त लगेगा। वहीं शुरुआत में कम बारिश के कारण बुवाई शुरू नहीं हुई थी। इस तरह किसानों को इस बार दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।

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नमी कम होने पर ही खेत मे डालें बीज

- खेत में फसल बोने के लिए जमीन में कुछ हल्का ताव जरूरी है। लेकिन यहां रोजाना हो रही बारिश से खेतों में लगातार नमी बढ़ रही है। नमी युक्त खेत में बीज डालने पर वह बीज अंकुरित नहीं होगा, बल्कि खेत में ही सड़ जाएगा। इसमें अंकुरित होने की क्षमता कम होगी। बारिश रुकने के बाद खेत में नमी कम होने पर ही किसान बुवाई कर पाएंगे।

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रबी की फसल में हो सकती है देरी

- खरीफ की फसलों की बुवाई लेट होने का असर रबी की फसलों पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। जब खरीफ की फसलें लेट होंगी, तो जाहिर सी बात है कि आगामी रबी की फसल में भी देरी हो सकती है।
बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में आकस्मिक रूप से आई बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से रायडा, तारामीरा, ईसबगोल और जीरा जैसी फसलें नष्ट हो गई हैं। होली पर्व के तुरंत उपरांत फसलों की कटाई होनी थी। इस बार किसान भाई बेहतर आमदनी की आस में बैठे थे। वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के समूचे अरमानों पर पानी फिर गया है। बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से राजस्थान के किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा है। जालौर एवं बाड़मेर जनपद में बेहद कृषि रकबे में फसलों पर इसका प्रभाव देखने को मिला है। आकस्मिक आन पड़ी इस विपत्ति से निराश किसानों द्वारा केंद्र सरकार से समुचित आर्थिक मदद देकर हानि की भरपाई करने की मांग व्यक्त की है।

इतने अरब रुपये की फसल हुई तबाह

जालौर कृषि विभाग के उपनिदेशक आरबी सिंह का कहना है कि यहां सर्वाधिक इसबगोल की फसल को हानि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इसबगोल की फसल 80 फीसद तक तबाह हो गई है। साथ ही, अरण्डी, तारामीरा, जीरा, सरसों, गेंहू की 30 फीसद फसल नष्ट हो गई है। दावे के अनुसार जनपद में 35600 हेक्टेयर में खड़ी 2.13 अरब रुपये की फसल खराब हो गई है। किसानों के समक्ष आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे वक्त में जालोर के सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष सुनील साहू द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर समुचित आर्थिक सहायता की मांग की है। साथ ही, बाड़मेर जनपद मुख्यालय के समीप के गांवों सहित गुड़ामालानी, सेड़वा, धोरीमन्ना, चौहटन, बायतु में बारिश एवं ओलावृष्टि से दर्जनों गांवों में किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं हैं। होली के पावन पर्व के तुरंत बाद फसलों की कटाई जरूरी थी। किसान अच्छी आय की उम्मीद लगाए इंतजार में थे। लेकिन, बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है।

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मध्य प्रदेश में भी बेमौसम बारिश बनी किसानों की मुसीबत

किसान वैसे ही कई सारी चुनौतियों से जूझते रहते हैं। वहीं, अब बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि की वजह से मध्य प्रदेश के किसानों के समक्ष भी संकट पैदा हो गया है। खेतों में खड़ी लहलहाती फसल ओलावृष्टि की वजह से मुरझा सी गई है। विभिन्न स्थानों पर फसल 80 फीसदी तक बर्बाद हो गई है। भोपाल से चिपके खजूरी कलां गांव में असमय वर्षा के चलते किसानों की गेहूं की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। पीड़ित किसान फिलहाल फसल मुआवजा और फसल बीमा पर आश्रित हैं। सरकार से यही मांग की जा रही है, कि शीघ्र ही उन्हें न्यूनतम लागत के खर्च की धनराशि प्राप्त हो जाए। किसानों भाइयों का यह दर्द एमपी के विभिन्न जनपदों से भी सामने आ रहे हैं। मालवा, विदिशा एवं आगर की भी यही स्थिति है।
इस राज्य में बारिश और ओलावृष्टि से ग्रसित किसानों को मिलेगी 15 हजार रूपए एकड़ के हिसाब से सहायक धनराशि

इस राज्य में बारिश और ओलावृष्टि से ग्रसित किसानों को मिलेगी 15 हजार रूपए एकड़ के हिसाब से सहायक धनराशि

पंजाब राज्य में बेमौसम बारिश होने की वजह से सर्वाधिक हानि गेहूं की फसल को हुई है। अब ऐसी स्थिति में यहां के किसान भाइयों को प्राकृतिक आपदा से संरक्षण देने के लिए शीघ्र ही सरकार की ओर से फसल बीमा योजना जारी की जाएगी। पंजाब में अचानक बारिश और ओलावृष्टि से लाखों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल चौपट हो गई है। जिसकी वजह से किसानों को प्रचंड आर्थिक हानि पहुंची है। परंतु, इसी कड़ी में राज्य के किसानों हेतु एक राहत भरा समाचार सुनने को मिला है। मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसल को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने बताया है, कि जिन किसानों की फसल वर्षा और ओलावृष्टि से नष्ट हुई है, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, निरंतर आ रही फसल बर्बादी के समाचारों के मध्य सीएम मान ने रविवार को वर्षा से प्रभावित हुए जनपदों का दौरा किया। मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने बठिंडा, पटियाला, मुक्तसर और मोगा जनपद में जाकर प्रभावित किसानों का हाल चाल जाना। विशेष बात यह है, कि इन चारों जनपदों में ही सर्वाधिक गेहूं की फसल को हानि पहुंची है। बहुत सारे जनपदों में तो 70 प्रतिशत से भी अधिक फसलों की तबाही हुई है। बारिश सहित तीव्र हवा चलने की वजह से गेहूं की फसल खेत में गिर पड़ी है। फिलहाल, किसानों को इस गिरी हुई गेंहू की फसल की कटाई करने में बेहद परेशानी होगी।

किसानों की हजारों एकड़ फसल हुई बर्बाद

सीएम मान ने मीडिया के माध्यम से बताया है, कि बेमौसम बारिश से राज्य के किसानों को बेहद हानि हुई है। ऐसे में वे किसानों के दर्द को भली भाँति समझ सकते हैं। उन्होंने कहा है, कि निरीक्षण के उपरांत आई प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है, कि हजारों एकड़ में लगी फसल नष्ट हुई है। ये भी पढ़े: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल

घर के हानि होने की स्थिति में 95,100 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया है, कि जिन किसानों की 75 फीसद फसल नष्ट हो चुकी है। उन किसानों को 15 हजार रुपयए प्रति एकड़ के भाव से सहायता धनराशि दी जाएगी। साथ ही, जिन किसान भाइयों की फसल में हानि 33 से 75 प्रतिशत के मध्य हुई है, उनको 6750 रुपये प्रति एकड़ के भाव से सहायता धनराशि प्रदान की जाएगी। साथ ही, मजदूरों को घर के नुकसान होने पर 95,100 रुपये की सहायक धनराशि प्रदान की जाएगी।

केंद्र सरकार द्वारा जारी फसल बीमा योजना कागजों तक ही सीमित : भगवंत मान

बतादें, कि पंजाब राज्य में बेमौसम बारिश की वजह से सर्वाधिक गेहूं की फसल को हानि हुई है। अब ऐसी स्थिति में यहां के किसान भाइयों को प्राकृतिक आपदा से संरक्षण देने के लिए अतिशीघ्र ही सरकार के माध्यम से फसल बीमा योजना चालू की जाएगी। सीएम मान के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा चल रही फसल बीमा योजना से किसानों को कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। वह केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। यही कारण है, कि पंजाब सरकार के लिए किसानों और मजदूरों का विकास पहली प्राथमिकता है।
प्रचंड बारिश और भयावय बाढ़ से पीड़ित किसानों ने फसल बर्बादी को लेकर सरकार से क्या मांग की

प्रचंड बारिश और भयावय बाढ़ से पीड़ित किसानों ने फसल बर्बादी को लेकर सरकार से क्या मांग की

किसानों के अनुसार सबसे ज्यादा धान की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। किसान का एक एकड़ धान पर अब तक 20-25 हजार रुपये खर्च आ चुका है। मूसलाधार बारिश और बाढ़ के चलते बहुत से खेतों में किसानों को एक भी दाने की उम्मीद नहीं है। किसानों की यह मांग है, कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। क्योंकि, एक एकड़ से लगभग 30 क्विंटल धान की बर्बादी हुई है। निरंतर बारिश और बाढ़ ने जनपद में भयंकर तबाही मचाई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार 24 हजार हेक्टेयर फसल को अत्यंत क्षति पहुँची है। संबंधित रिपोर्ट सरकार के लिए भेज दी गई है, जिन किसानों के खेतों में जलभराव है, उनकी ज्यादा समस्याएं बढ़ गई हैं। फसल पर प्रति एकड़ हजारों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद किसानों के हाथ खाली हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पीड़ित किसान मुआवजे की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। धान की फसल सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई है। 19 हजार 578 हेक्टेयर में खड़ी धान की फसल पूर्णतय बर्बाद हो चुकी है। इसके अतिरिक्त गन्ना, मक्का व बाकी फसलों को भी हानि हुई है। किसान संगठनों ने 60 हजार एकड़ के हिसाब से मुआवजे की गुहार की है।

किसान धान पर प्रति एकड़ हजारों की लागत लगा बैठा है

किसानों ने कहा है, कि सबसे अधिक नुकसान धान की फसल में देखा गया है। एक एकड़ भूमि पर अब तक 20-25 हजार रुपये का खर्च आ चुका है। इतना ही नहीं कुछ खेत ऐसे भी हैं, जहां किसानों को एक भी दाने की आशा नहीं रही है। किसानों की मांग है, कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये मुआवजा प्रदान किया जाए। क्योंकि, एक एकड़ से लगभग 30 क्विंटल धान की क्षति हुई है। किसानों की मांग है, कि सरकार अतिशीघ्र प्रभावित इलाकों की गिरदावरी करवा कर पीड़ित किसानों का मुआवजा उपलब्ध कराया जाए। ये भी पढ़े: बिहार में धान की दो किस्में हुईं विकसित, पैदावार में होगी बढ़ोत्तरी

किसानों ने अपनी दुखभरी दास्ताँ की जाहिर

पूर्णगढ़ के किसान मांगे राम का कहना है, कि उनकी पांच एकड़ धान की फसल पूर्णतय खत्म हो चुकी है। खेतों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। बारिश व बाढ़ के पानी ने फसलों को बर्बाद करके रख दिया है। खेत की तरफ देखकर केवल मायूसी हाथ लग रही है। अगली फसल की बुवाई समय पर हो पाएगी इसकी भी कोई उम्मीद नहीं है।

खेतों में केवल जलभराव ही जलभराव

पूर्णगढ़ के किसान नवनीत ने कहा है, कि जिन खेतों में हरी भरी फसलें लहलहा रही थी, आज उन फसलों की जगह पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। बतादें, कि तकरीबन एक सप्ताह से जलभराव की स्थिति है। निकासी की भी समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। दरअसल, लगभग तीन एकड़ फसल क्षतिग्रस्त हो चुकी है। किसानों को मुआवजा देकर सरकार आर्थिक सहयोग करे।

किसान को प्रति एकड़ हजारों खर्च करने पर भी निराशा हाथ लगी

किसान विनोद कुमार ने बताया है, कि फसल की अच्छी पैदावार की आशा पर किसान भविष्य की योजना तय करता है। अगर फसल ही बर्बाद हो गई तो किसान के पास कुछ भी नहीं बचता है। किसान भाई अब तक प्रति एकड़ धान पर हजारों रुपये खर्च कर चुके हैं। इसके बावजूद भी किसान के हाथ खाली हैं। किसानों का बजट पूर्णतय बिगड़ चुका है। सरकार को आर्थिक सहायता के लिए आगे आना चाहिए। ये भी पढ़े: हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें

फसलों की ऐसी दयनीय स्थिति कभी नहीं देखी

किसान चूहड़ सिंह का कहना है, कि फसलों की ऐसी दयनीय स्थिति आज तक नहीं देखी। हालांकि, बाढ़ विगत समय में भी आती रही हैं। परंतु, इतनी फसलीय बर्बादी कभी भी नहीं हुई, इस बार तो ज्यादा हद हो गई। उनकी 12 एकड़ के आसपास फसल पूर्णतय बर्बादी की कगार पर है। लाखों रुपये की हानि हो चुकी है। बजट पूर्णतय ड़गमगा चुका है। खेतों की तरफ देखकर कलेजा मुह को आता है। कृषि उपमंडल अधिकारी डॉ. राकेश पोरिया का कहना है, कि बाढ़ व बारिश की वजह से जिले के प्रत्येक खंड में हानि हुई है। सबसे अधिक हानि धान की फसल में हुई है। हमने रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेज दी है। किसानों से परस्पर संपर्क साधा जा रहा है। विभाग की टीम खेतों में जाकर लगातार हानि का मुआयना कर रही है। प्रभावित फसलों का मुआवजा निर्धारित करना सरकार के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आता है।
सब्जियों के साथ-साथ मसालों के बढ़ते दामों से लोगों की रसोई का बिगड़ा बजट

सब्जियों के साथ-साथ मसालों के बढ़ते दामों से लोगों की रसोई का बिगड़ा बजट

बेमौसम बारिश के चलते राजस्थान और गुजरात में जीरे की फसल को काफी क्षति पहुंची थी। ऐसी स्थिति में पैदावार प्रभावित होने से इसकी कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही है। भारत में महंगाई से हड़कंप मचा हुआ है। हरी सब्जियों से लगाकर खाने- पीने के ज्यादातर चीजें महंगाई की चरम सीमा पर हैं। परंतु, लोगों की निगाह सिर्फ टमाटर पर ही अटकी हुई है। आम जनता को को ऐसा लग रहा है, कि केवल टमाटर ही महंगा हुआ है। अन्य खाद्य पदार्थ पहले के भाव पर ही बिक रहे हैं। परंतु, इस तरह की कोई बात नहीं है। टमाटर के अलावा भी बहुत सारे ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनकी कीमतों में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी हुई है। ये खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जिसके बिना स्वादिष्ट एवं लजीज व्यंजन बन ही नहीं सकते हैं। अर्थात भोजन स्वादहीन हो जाएगा।

अदरक, टमाटर और हरी मिर्च के बढ़ते दामों से लोग परेशान

दरअसल, हम मसालों की बात कर रहे हैं।
अदरक, टमाटर और हरी मिर्च के बढ़ते दामों की वजह से महंगे हो रहे मसालों पर किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा है। जबकि, मसालों के भाव में भी काफी ज्यादा वृद्धि होने से रसोई का बजट ड़गमगा गया है। विशेष बात यह है, कि मसालों के अंतर्गत सर्वाधिक जीरा महंगा हो गया है। इसकी कीमत थोक भाव से लेकर रिटेल बाजार में भी महंगी हो गई है। इससे सब्जी एवं दाल में तड़का लगाने वालों का बजट ड़गमगा गया है। ये भी पढ़े: जानें अदरक की कीमत में इतना ज्यादा उछाल किस वजह से आया है

लोगों ने सब्जी व दाल में जीरे का तड़का लगाना तक बंद कर दिया है

हालांकि, जीरे के अतिरिक्त अजवाइन एवं सौंफ की कीमतें भी बढ़ गई हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनकी खरीदारी करने से पूर्व एक बार भाव जरूर पूछ रहे हैं। वहीं, महंगाई की वजह से कई लोगों ने सब्जी और दाल में जीरे का तड़का लगाना भी बंद कर दिया है। जानकारों ने बताया है, कि विगत मार्च माह में हुई बेमौसम बारिश के चलते राजस्थान और गुजरात में जीरे की फसल को हानि पहुंची था। अब ऐसी स्थिति में पैदावार प्रभावित होने से इसकी कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त काजू और बादाम भी काफी महंगे हो गए हैं।

मसाले कितने महंगे हो गए हैं

बतादें, कि पहले जीरे की कीमत 500 से 600 रुपये किलो थी। जो अब बढ़कर 700 से 750 रुपये हो गया है। इसी प्रकार अजवाइन 250 से 300 रुपये किलो बिकता था। लेकिन, फिलहाल इसकी कीमत 400 रुपये तक पहुँच गई है। साथ ही, सौंफ भी 100 रुपये तक महंगा हो गया है। अब एक किलो सौंफ का भाव 360 रुपये किलो तक पहुँच गया है, जो कि पहले 250 रुपये था।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया

भारत में आज मौसम का मिजाज कुछ बदला हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार, बहुत सारे राज्यों में आज बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है, जिसके बाद शीतलता का एहसास होगा। वहीं, केरल और तमिलनाडु में भी आने वाले दो दिनों तक भारी बारिश का अंदाजा है। नवरात्रि के दौरान दिल्ली-यूपी समेत अन्य राज्यों में भी मौसम ने तासीर बदल दी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश की आशंका जताई गई है। वहीं, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में भी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड में बर्फबारी शुरू हो चुकी है। केदारनाथ धाम में बीते रविवार को सीजन की पहली बर्फबारी हुई। जबकि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, मुजफ्फराबाद में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हल्की बारिश होगी। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में भी बारिश की संभावना है। इसके अतिरिक्त राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी हल्की बारिश होगी। वहीं, कोकण, गोवा, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, महाराष्ट्र, बिहार समेत पं बंगाल और तटीय कर्नाटक में भारी बारिश की संभावना है।

आगामी 24 घंटों में मौसम कैसा रहेगा

मौसम विभाग के अनुसार, तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप और तटीय कर्नाटक में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। वहीं, पश्चिमी हिमालय पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी हो सकती है। वहीं, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश के साथ छिटपुट ओलावृष्टि संभव है। वहीं, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तरी बिहार में हल्की बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अतिरिक्त उत्तरी मध्य प्रदेश, दक्षिणी कोंकण एवं गोवा और रायलसीमा में हल्की बारिश की संभावना है।

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दिल्ली में आज मौसम कैसा रहने वाला है

मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बारिश हो सकती है, जिसके चलते अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री की गिरावट देखी जा सकती है। इसके बाद ठंड का भी एहसास होगा।

यूपी में मौसम का क्या मिजाज रहेगा

मौसम विभाग के अनुसार 17-18 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश के लगभग 50 जिलों में गरज और चमक के साथ बूंदाबांदी से हल्की बारिश की आशंका है. वहीं रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल और बदायूं में गरज हल्की से मध्यम बारिश होने के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।

मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा मौसम

मौसम विभाग के अनुसार, मध्य प्रदेश के बहुत सारे जिलों में हल्की वर्षा होने की संभावना जताई है। वहीं, विगत 24 घंटों के दौरान राज्य के उज्जैन, ग्वालियर , चंबल एवं जबलपुर संभागों के जनपदों में कहीं-कहीं बारिश हुई है।

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राजस्थान में मौसम कैसा रहेगा

राजस्थान में फिर से बारिश की संभावना हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस सप्ताह के आखिर तक एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है। राजस्थान के अधिकतर क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
आने वाले दिनों में मौसम के चलते किसानों को नुकसान या होगा शानदार लाभ

आने वाले दिनों में मौसम के चलते किसानों को नुकसान या होगा शानदार लाभ

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि सर्दियों ने फिलहाल दस्तक दे दी है। वर्तमान में तापमान फसलों के अनुकूल होने पर फायदा होगा। वहीं, तापमान अनुकूल ना होने की वजह से फसल में झुलसा जैसी समस्या का खतरा हो सकता है। भारत में फिलहाल मौसम में बदलाव हो रहा है। गर्मियों के पश्चात अब तीव्रता से सर्दी के मौसम ने दस्तक दे ड़ाली है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल भारत में मानसून काफी सामान्य रहा। मानसून का सामान्य रहना कृषकों के लिए काफी शानदार समाचार था। दरअसल, इसकी वजह से फसलों को शानदार बारिश मिली जिसके परिणामस्वरूप फसलों का उत्पादन भी अच्छा हुआ।  राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो आज सुबह तापमान में कमी देखी गई, जिससे ठंड भी बढ़ी है। IMD के अनुसार, तो दिल्ली में दिसंबर के प्रथम सप्ताह का तापमान सामान्य रहेगा। वहीं, तापमान में ज्यादा गिरावट की संभावना काफी कम है। मौसम विभाग के अनुसार, 4 दिसंबर तक राजधानी दिल्ली का अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक रहेगा। 

आने वाले दिनों में ठंड बढ़ने से फसलों को होगा फायदा  

खबरों की मानें तो आगामी दिनों में ठंड काफी बढ़ेगी। फसलों में ठंड से तब तक लाभ होता है, जब तक तापमान फसल की सहनशीलता के अनुकूल हो। सर्दी के दिनों में फसलों में रोगों एवं कीटों का संक्रमण कम होता है। फसलों में पौष्टिक तत्वों का संचय भी काफी बढ़ता है। साथ ही, फसलों का उत्पादन भी बढ़ जाता है। साथ ही, जब फसलों के मुताबिक तापमान नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में हानि होती है। अत्यधिक ठंड की वजह से फसलों का रंग तथा आकार परिवर्तित हो सकता है। फसलों में सूखा, झुलसा जैसी परेशानियां सकती हैं। 

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इसके अतिरिक्त फसलों की पैदावार कम हो जाती है। किसानों के लिए मौसम की ज्यादा जानकारी के लिए IMD की आधिकारिक वेबसाइट अथवा फिर मोबाइल ऐप का उपयोग कर सकते हैं। इससे वह वक्त रहते ही मौसम की जानकारी हांसिल हो पाऐगी। साथ ही, किसान भाई अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। 

किसान भाई फसल से बेहतर उत्पादन पाने के लिए इन उपायों को अपनाऐं 

किसान भाई अपनी फसलों से बेहतरीन उत्पादन पाने के लिए फसलों की बुवाई सही समय पर करें। इसके साथ-साथ फसलों की नियमित तौर पर सिंचाई करें।  फसलों को कीटों एवं रोगों से संरक्षित करने के लिए समय-समय पर दवाओं का छिड़काव अवश्य करें। ठंड के दौरान फसलों को ढ़कने के लिए प्लास्टिक की चादर या शेड का उपयोग अवश्य करें।
किसानों पर बरपा कुदरत का कहर तबाह हुई फसलें

किसानों पर बरपा कुदरत का कहर तबाह हुई फसलें

बीते दो दिनों में मौसम में आए बदलाव के कारण फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। इस समय रबी की फसलें पक कर तैयार खड़ी थी कुदरत के कहर ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बीते दो दिनों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में तेज बारिश, ओलावृष्टि और आंधी तूफान ने फसलों को बहुत नुकसान पहुँचाया है। 

जिससे किसानों को फसल बर्बाद होने के कारण बहुत पीड़ा हुई है। खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। किसानों को इससे काफी नुकसान हुआ है।

किसानों की साल भर की मेहनत मौसम की मार से बर्बाद हो गई है। बारिश, ओलावृष्टि और आंधी तूफान ने फसलों को बहुत नुकसान पहुँचाया है। किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल खत्म होने के करीब है। 

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उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा अगर उपज अच्छी नहीं हुई, कुदरत की इस बर्बादी ने खाद्य उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी है। तैयार फसल को बर्बाद होते देखकर किसान बेहोश हैं!

रबी की फसलें हुई बर्बाद 

बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर ग्रहण लगाया है। मौसम में हुए इस बदलाव ने खेतों में खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया है। वहीं, बारिश के साथ आई आंधी और ओलावृष्टि ने भी फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया। बारिश और आंधी ने गेहूं, चना, मटर, सरसों, आलू और टमाटर की फसलों को सबसे अधिक प्रभावित किया है।

किसानों का कहना है की फसलों को 90 प्रतिशत नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि सरकार को उनकी मदद के लिए जल्द से जल्द मुवाजा प्रदान करना चाहिए जिससे किसानों का खर्च वसूल हो सके।