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खुशखबरी : केंद्र सरकार ने गन्ना की कीमतों में किया इजाफा

खुशखबरी : केंद्र सरकार ने गन्ना की कीमतों में किया इजाफा

जानकारी के लिए बतादें कि उत्तर प्रदेश गन्ना की पैदावार के मामले में अव्वल नंबर का राज्य है। उत्तर प्रदेश के लाखों किसान गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। फसल सीजन 2022- 23 में यहां पर 28.53 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई। गन्ने की खेती करने वाले कृषकों के लिए अच्छी खबर है। केंद्र सरकार ने द कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट्स एंड प्राइज की सिफारिश पर गन्ने की एफआरपी बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी है। इससे गन्ना उत्पादक किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। कहा जा रहा है, कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से लाखों किसानों को लाभ पहुंचेगा। विशेष कर उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र के किसान सबसे अधिक फायदा होगा। 

केंद्र सरकार ने गन्ने की कीमत में 10 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के पश्चात केंद्र सरकार ने गन्ने की एफआरपी में इजाफा करने का फैसला किया है। सरकार द्वारा एफआरपी में 10 रुपये की वृद्धि की है। फिलहाल, गन्ने की एफआरपी 305 रुपये से इजाफा होकर 315 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। विशेष बात यह है, कि अक्टूबर से नवीन शक्कर वर्ष आरंभ हो रहा है। ऐसी स्थिति में सरकार का यह निर्णय किसानों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। साथ ही, कुछ लोग केंद्र सरकार के इस निर्णय को राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। लोगों का मानना है, कि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे एफआरपी वृद्धि से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर फायदा होगा। 

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महाराष्ट्र में किसानों ने कितने लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की बिजाई की

जैसा कि हम जानते हैं, कि उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन के मामले में पहले नंबर का राज्य है। यहां पर लाखों किसान गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। फसल सीजन 2022- 23 के दौरान UP में 28.53 लाख हेक्टेयर भूमि में गन्ने की खेती की गई। साथ ही, महाराष्ट्र में कृषकों ने 14.9 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बिजाई की थी। वहीं, सम्पूर्ण भारत में गन्ने का क्षेत्रफल 62 लाख हेक्टेयर है। अब ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है, कि भारत में गन्ने के कुल रकबे में उत्तर प्रदेश की भागीदारी 46 प्रतिशत है। 

चीनी का उत्पादन कितना घट गया है

उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों की संख्या 119 है और 50 लाख से ज्यादा किसान गन्ने की खेती करते हैं। इस साल उत्तर प्रदेश में 1102.49 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ था। चीनी मिलों में 1,099.49 लाख टन गन्ने की पेराई की गई। इससे मिलों ने 105 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। बतादें, कि उत्तर प्रदेश के शामली जिले में सबसे अधिक गन्ने की उपज होती है। इस जिले में औसत 962.12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता है। इस वर्ष संपूर्ण भारत में चीनी का उत्पादन 35.76 मिलियन टन से कम होकर 32.8 मिलियन पर पहुंच चुका है।

केन्द्र सरकार ने 14 फसलों की 17 किस्मों का समर्थन मूल्य बढ़ाया

केन्द्र सरकार ने 14 फसलों की 17 किस्मों का समर्थन मूल्य बढ़ाया

धान के समर्थन मूल्य में 100 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि - केन्द्र सरकार ने 14 फसलों की 17 किस्मों का समर्थन मूल्य बढ़ाया

नई दिल्ली। केन्द्र की मोदी सरकार ने किसानों के हक में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार ने 14 फसलों की 17 किस्मों के
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की है। इनमें मुख्य रूप से धान के समर्थन मूल्य में 100 रुपए की बढ़ोतरी की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति इसकी मंजूरी दी है। सरकार द्वारा तय की गई कीमतें इन फैसलों के औसत उत्पादन लागत से पचास फीसदी अधिक है।

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सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार लगातार किसानों के हित में काम कर रही है। किसानों को दी जा रहीं सुविधाओं के चलते उत्पादन में बंपर वृद्धि हुई है। खरीफ की फसलों के उत्पादन में 2.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है। सरकार किसानों की आय दोगुना करने के संकल्प के साथ बीते आठ साल में कई दफा एमएसपी भी तेजी से बढ़ाती रही है।

ऐसे तय होती है एमएसपी

- केन्द्र सरकार प्रत्येक वर्ष कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइज (सीएसीपी) [Commission for Agricultural Costs & Prices(CACP)] की सिफारिश पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है। इसके लिए सरकार ने लागत प्लस पचास फीसदी का फार्मूला तय कर रखा है। यह सरकार की तरफ से किसानों को मिलने वाला तय मूल्य है।

ये हैं प्रमुख प्रमुख फसलें :

- धान, बाजरा, मक्का, ज्वार, मूंगफली, मूंग, तिल, सन, कपास, सोयाबीन, उड़द आदि खरीफ की फसलें हैं। इनकी बुवाई जून से जुलाई तक होती हैं। जबकि नवंबर से दिसंबर में कटाई होती है।

इन फसलों पर इतना बढ़ाया गया है एमएसपी:

1- धान(सामान्य व ग्रेड ए) - 100 रु. 2- ज्वार (हाइब्रिड व मालदंडी) - 232 रु. 3- बाजरा - 100 रु. 4- मक्का - 92 रु. 5- मूंग - 480 रु. 6- उड़द - 300 रु. 7- मूंगफली -300 रु. 8- सोयाबीन (पीला) - 350 रु. 9- तिल - 523 रु. 10- कपास - 354 रु. ------ लोकेन्द्र नरवार
दिवाली पर केंद्र सरकार ने रबी की फसलों की एम एस पी दर बढ़ाकर किसानों को दिया तोहफा

दिवाली पर केंद्र सरकार ने रबी की फसलों की एम एस पी दर बढ़ाकर किसानों को दिया तोहफा

दिवाली पर केंद्र सरकार ने दाल एवं गेंहू सहित और भी छह फसलों की एम एस पी (MSP) में वृध्दि कर दी है। गेंहू सहित समस्त रबी फसलों की एम एस पी में ३ से ९% बढ़ोतरी की पहल कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने की थी। हाल ही में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की १२ वीं किस्त भी किसानों के खातों में ट्रांसफर करदी गयी है, इसके साथ ही किसानों की बेहतरी के लिए केंद्र सरकार ने एम एस पी की दर भी बढ़ा दी है। यह किसानों के लिए दोहरा तोहफा दिया गया है, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की उर्वरकों से सम्बंधित समस्या के निराकरण के लिए ६०० समृद्ध उर्वरक केंद्र स्थापित भी किये हैं, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री जी ने एग्री स्टार्ट अप कॉनक्लेव और किसान सम्मेलन (Agri Startup Conclave & Kisan Sammelan) के दौरान की थी। बीते दिनों प्रचंड बारिश के चलते किसानों की फसल चौपट हो चुकी है, जिसके लिए सरकार किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का आश्वासन भी दे चुकी है। केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई सारी योजनायें चला रखी हैं, जिनसे किसान काफी हद तक लाभ उठा सकते हैं।


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एम एस पी किस प्रकार निर्धारित होती है ?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) केंद्र सरकार के निर्देशानुसार किसानों द्वारा फसल पर व्यय एवं फसल के अंतिम छोर तक पहुँचने तक समस्त खर्च संज्ञान में रखने के उपरांत ही न्यूनतम समर्थन मूल्य निश्चित किया जाता है। इसे कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices (CACP)) द्वारा निर्धारित किया जाता है, लेकिन गन्ने का समर्थन मूल्य सिर्फ गन्ना आयोग द्वारा निर्धारित किया जाता है। गन्ने को छोड़कर अन्य रबी एवं खरीफ की फसलों की एम एस पी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा निर्धारित की जाती हैं। गेंहू सहित अन्य छह रबी की फसलों में ३ से ९ प्रतिशत तक न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गयी है।

किस फसल पर कितनी एम एस पी बढ़ी है ?

केंद्र सरकार द्वारा रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के फैसले के बाद गेंहू के मूल्य में ११० रुपये, जौ में १००, चना में १०५, मसूर में ५०० एवं सरसों में ४०० रूपये की बढ़ोत्तरी हुयी है। पूर्व में केंद्र सरकार द्वारा खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गयी है, धान की बिक्री का समय आ गया है। किसानों को अपनी लागत के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पायेगा एवं अन्य भी खरीफ की फसल जैसे दाल, तिल इत्यादि का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जा चुका है। किसान दिवाली से पूर्व न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि होने से बेहद खुश हैं।

किसानों के लिए किस तरह सहायक साबित होती है एम एस पी में वृद्धि ?

आये दिन मंहगाई में वृद्धि होने से किसानों की लागत भी बढ़ जाती है क्योंकि उनको फसल तैयार करने के लिए बीज, सिंचाई, कीटनाशक एवं उर्वरकों के साथ साथ जुताई बुवाई में भी काफी व्यय करना पड़ता है, जिसके चलते किसान को उसके द्वारा फसल में लगायी गयी लागत एवं मुनाफा लेने के लिए फसल के मूल्य में वृद्धि होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए केंद्र सरकार की सहमती से कृषि लागत एवं मूल्य आयोग फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है, जिससे किसानों को उनकी लागत के साथ साथ बेहतर मुनाफा भी प्राप्त हो सके।