खरीफ सीजन में लगाए जाने वाली फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने घोषित कर दिया है. इसे काफी बढ़ाया गया है. उद्देश्य स्पष्ट है कि किसान यह उधान जैसी फसलों के बजाय दलहनी एवं तिलहनी फसलों को भी खेती में शामिल करें. वर्ष 2021-22 के लिए घोषित खरीफ समर्थन मूल्य को मीडिया ने भी भरपूर बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत किया है. सरकार ने छुट्टा पशुओं से नुकसान वाली इन फसलों की सुरक्षा को लेकर कोई योजना नहीं बनाई है. समर्थन मूल्य में इजाफे के चलते क्षेत्रफल बढ़ेगा लेकिन तिलहनी फसलों का क्षेत्रफल सरसों की कीमत है अच्छी रहने के कारण बढ़ना तय है.
इस बार बढ़ाई गई समर्थन मूल्य में सबसे ज्यादा तिल यानी सेसामम ₹452 प्रति क्विंटल, तुवर, उड़द ₹300 प्रति क्विंटल, मूंगफली और नाइजर सीड के मामले में कर्म से 275 और ₹235 की बढ़ोतरी की गई है.
कृषि उपज की सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है :
फसल | एमएसपी 2020-21 | एमएसपी 2021-22 | उत्पादन की लागत* 2021-22 (रुपये/ क्विंटल) | एमएसपी में बढ़ोतरी (पूर्ण) | लागत पर रिटर्न (प्रतिशत में) |
धान (सामान्य) | 1868 | 1940 | 1293 | 72 | 50 |
धान (ग्रेड ए)^ | 1888 | 1960 | – | 72 | – |
ज्वार (हाइब्रिड) (हाइब्रिड) | 2620 | 2738 | 1825 | 118 | 50 |
ज्वार (मलडंडी)^ | 2640 | 2758 | – | 118 | – |
बाजरा | 2150 | 2250 | 1213 | 100 | 85 |
रागी | 3295 | 3377 | 2251 | 82 | 50 |
मक्का | 1850 | 1870 | 1246 | 20 | 50 |
तुअर (अरहर) | 6000 | 6300 | 3886 | 300 | 62 |
मूंग | 7196 | 7275 | 4850 | 79 | 50 |
उड़द | 6000 | 6300 | 3816 | 300 | 65 |
मूंगफली | 5275 | 5550 | 3699 | 275 | 50 |
सूरजमुखी के बीज | 5885 | 6015 | 4010 | 130 | 50 |
सोयाबीन (पीली) | 3880 | 3950 | 2633 | 70 | 50 |
तिल | 6855 | 7307 | 4871 | 452 | 50 |
नाइजरसीड | 6695 | 6930 | 4620 | 235 | 50 |
कपास (मध्यम रेशा) | 5515 | 5726 | 3817 | 211 | 50 |
कपास (लंबा रेशा)^ | 5825 | 6025 | – | 200 | – |
यह इजाफा खेती में हो रही लागत की लगातार बढ़ोतरी है. किसान के सभी तरह के श्रम को शामिल करते हुए यह इजाफा किया गया है. ए ग्रेड के धान, मलडंडी ज्वार एवं लंबे रेशे वाली कपास जिनमें की लागत ज्यादा आती है का मूल्य निर्धारण सामान्य तरीके से ही किया गया है.
कम लागत वाली फसलों को प्रोत्साहन
एमएसपी में यह इजाफा 2018-19 में उत्पादन की अखिल भारतीय औसत लागत से कम से कम 1.5 गुना किया गया है. इसका उद्देश्य किसानों को लाभ देना एवं अन्य फसलों की तरफ आकर्षित करना है. उल्लेखनीय है कि किसानों को बाजरा से लागत के सापेक्ष 85% उड़द से 65 तू बरसे 62 प्रतिशत लाभ का अनुमान है. बाकी फसलों पर यह लाभ 50% भी नहीं होता. धान गेहूं फसल चक्र अपनाने वाले किसानों की जमीनों की उर्वरा शक्ति कमजोर होने के अलावा माली हालत में भी गिरावट आई है. भूगर्भीय जल का दोहन होने से क्षेत्रों में जल संकट पैदा हुआ है. मोटे अनाज दलहन और तिलहन किसानों की दिशा और दशा दोनों बदल सकते हैं. सरकार इसी सोच को ध्यान में रखते हुए नीति बना रही है.
3 योजनाओं से बढ़ेगी किसानों की आय
इसके अलावा सरकार वर्ष 2018 में घोषित अंब्रेला योजना इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान पीएम आशा से किसानों को लाभकारी रिटर्न देगी. इस अभियान की तीन उप योजना जिनमें मूल्य समर्थन योजना, मूल्य अंतर भुगतान, योजना और निजी खरीद व भंडारण योजना शामिल है.
दालों का उत्पादन बढ़ाने की योजना, मुफ्त मिलेंगे बीज
मूंग, उड़द एवं तुवर की दाल का उत्पादन आत्मनिर्भरता स्तर तक लाने के लिए सरकार ने विशेष योजना बनाई है. इसके लिए किसानों को निशुल्क बीज उपलब्ध कराना भी प्रस्तावित है. सरकार ने उच्च उपज वाली बीजों की खेतों का मुफ्त वितरण की महत्वकांक्षी योजना को मंजूरी दी है. खाद्य तेल पर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए तिलहन का 6.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल तैयार करने की योजना है ताकि 120.26 क्विंटल तिलहन और 24.36 लाख क्विंटल खाद्य तेल पैदा होने की संभावना है.