जनवरी माह के कृषि कार्य
गेहूं
गेहूं में ज्यादा टिलरिंग हेतु कई स्थानों पर जनवरी के पहले हफ्ते में गेहूं की खड़ी फसल को काटकर पशुओं के चारे में प्रयोग किया जाता है। तदोपरांत एकसाथ खेत में नाइट्रोजन का बुरकाव कर हल्का पानी लगा दिया जाता है। कटाई ठंडक आने पर की जाती है ताकि कटने के बाद समय से पूर्ण कल्ले बन सकें और उत्पादन ज्यादा हो। प्रथमत किसान एक क्यारी में इस प्रयोग को करके देखें। समझ में आने और उपयुक्त पाए जाने पर ज्यादा क्षेत्र में फैलाएं। हर हालत में खरपतवार नियंत्रण कर लें। चौड़ी और संकरी पत्ती वाले दोनों तरक के खरपतवार को एकसाथ मारने हेतु सल्फोसल्फूरान एवं मैटसल्फूरान का मिश्रण डालें। केवल चौडी पत्ती वाले खरपतवार के लिए टू 4 डी या मैटसल्फूरान का छिड़काव करें।
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चना
यूरिया 2% घोल का छिड़काव फली बनते समय 10 दिनों के अंतराल पर दो बार सायंकाल के समय करें। चना की फसल को फली भेदक कीट से सर्वाधिक नुकसान होता है। फली भेदक का प्रकोप देर से बोई जाने वाली फसल में अपेक्षाकृत अधिक होता है। कीट नियंत्रण के लिए 0.07% एन्डोसल्फान 35 ई.सी. (2 मिलीलीटर प्रतिलीटर पानी) घोल का 10 दिनों के अंतराल पर दो से तीन बार छिड़काव करें।
राई-सरसों
रतुआ, धब्बा आदि रोगों हेतु कार्बन्डाजिम फफूंदीनाशक का घोल बनाकर 15 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करना चाहिए।
आलू
सरसों के कीट चेंपा की अधिकता आलू के पत्तों पर हो जाए तो
पौधों को काटकर खेत से बाहर कर दें। प्राक्केट घास नाशक दवा का छिड़काव पौधे काटने के बाद एक बार 2 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिडकाव कर देने पर पुन: पत्तियाँ नहीं निकल पाती हैं।आम
तने के चारों ओर गुड़ाई करके मिथाइल पैराथियॉन के 200 ग्रा. धूल भुरकाव करें।लीची
मंजरी आने के सम्भावित समय से तीन माह पहले पौधों में सिंचाई न करें तथा आंतरिक फसल न लगाएं।
आँवला
गोबर की खाद की सम्पूर्ण मात्रा, नत्रजन की आधी मात्रा, फास्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा जनवरी-फरवरी माह में फूल आने से पहले डाल दें। शेष नत्रजन की आधी मात्रा जुलाई-अगस्त के महीने में डालें। सिंचाई के लिए खारे पानी का प्रयोग न करें। फल देने वाले बागानों में पहली सिंचाई खाद देने के तुरन्त बाद जनवरी-फरवरी में करनी चाहिए । फूल आने के समय (मध्य मार्च से मध्य अप्रैल तक) सिंचाई नहीं करनी चाहिए ।