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क्या होते हैं प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र? जानिए इनके बारे में

क्या होते हैं प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र? जानिए इनके बारे में

भारत में किसानों के लिए खेती करने के लिए बहुत सारी परेशानियां हैं, जिसके कारण भारत के किसान अपनी क्षमता के हिसाब से खेतों से पर्याप्त उपज प्राप्त नहीं कर पाते हैं। 

कई बार उन्हें अपनी उपज को बढ़ाने के लिए उर्वरक, सॉइल और उन्नत बीजों की जरूरत होती हैं। लेकिन किसानों को ये चीजें समय पर नहीं मिल पाती हैं, और कई बार मिलती भी हैं तो उनकी गुणवत्ता बेहद घटिया होती है। 

जिसके कारण किसान भाई फर्जी दुकानदारों के द्वारा छले जाते हैं। इन परेशानियों का निवारण करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र बनाने की घोषणा की है।

क्या है प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र बनाने की घोषणा की है। इन केंद्रों पर किसानों की सहूलित के लिए हर चीज उपलब्ध होगी। 

उदाहरण के लिए इन केंद्रों पर वन नेशन वन फर्टिलाइजर स्कीम के तहत उर्वरक, खाद, बीज कीटनाशक के साथ कई तरह की कृषि मशीनरी भी उपलब्ध कारवाई जाएगी। 

साथ ही, इन केंद्रों पर किसान भाई कृषि मशीनरी किराये पर भी ले सकेंगे। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है, कि इन केंद्रों पर किसान भाई अपने खेत की मिट्टी की जांच भी करवा सकेंगे। 

साथ ही बुवाई का सीजन शुरू होने के पहले इन केंद्रों के माध्यम से किसान भाइयों के लिए 15 दिन का जागरुकता अभियान भी चलाया जाएगा। जिसमें शामिल होकर किसान भाई खेती बाड़ी से संबंधित नई तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। 

इसके साथ ही इन प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों को कृषि उपज मंडी के आस पास बनाया जाएगा, ताकि किसान भाई आसानी से इन केंद्रों तक पहुंच सकें।

सरकार का प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र खोलने की उद्देश्य क्या है?

सरकार द्वारा इन केंद्रों को खोलने का उद्देश्य किसानों के बीच खेती बाड़ी को लेकर जागरुकता फैलाना है। ताकि किसान भाई खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकें। 

इसके साथ ही सरकार इन केंद्रों के माध्यम से किसानों को खेती संबंधी मशीनरी, बीज आदि को अच्छी दरों पर उपलब्ध कराना चाह रही है। इन केंद्रों पर किसानों की सभी समस्याएं एक ही छत के नीचे सुलझ जाएंगी। 

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ब इन केंद्रों के माध्यम से सरकार किसानों तक बेहद आसानी से फर्टिलाइजर पहुंचा सकेगी। क्योंकि अभी तक मौजूदा व्यवस्था में निर्माता कंपनियां फर्टिलाइजर की दुकानों पर डीलर के माध्यम से फर्टिलाइजर पहुंचाती थीं। 

लेकिन अब डीलर कंपनियां प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र में सीधे फर्टिलाइजर पहुंचा सकेंगी। इससे किसानों तक खाद वितरण में आसानी होगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित किसान मेला में 600 पीएम किसान समृद्धि केंद्रों का उद्घाटन किया है। 

साथ ही, घोषणा की है, कि आने वाले दिनों में देश में 330499 खुदरा खाद दुकानों को किसान समृद्धि केंद्रों में बदल दिया जाएगा। जहां किसानों को खाद, बीज, उपकरण, मिट्टी की टेस्टिंग और खेती से जुड़ी सभी जानकारी बेहद आसानी से हासिल हो सकेगी। 

साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया था, कि किसानों को कृषि उपज बढ़ाने के लिए कृषि सेवा केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र व एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की ओर से भी जागरूक किया जाएगा। यह जागरुकता अभियान किसान समृद्धि केंद्रों के माध्यम से चलाया जाएगा।

ये किसान उठा सकते हैं इस केंद्र का लाभ

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है, कि ये केंद्र देश के किसानों के लिए खोले गए हैं। इसलिए इन केंद्रों पर जाकर हर किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं। 

कोई भी किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच करवा सकता है और यहां से खाद, बीज, दवाई और उर्वरक ले सकता है। इन केंद्रों के खुल जानें से किसानों को इधर उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

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इन केंद्रों पर दुर्घटना बीमा का भी मिलेगा लाभ

सरकार ने बताया है, कि इन केंद्रों पर आने वाले किसानों को अब दुर्घटना बीमा का भी लाभ मिलेगा। फिलहाल इफको की तरफ से खाद-उर्वरक की बोरी पर 4,000 रुपये का दुर्घटना बीमा दिया जाता है। 

सरकार ने बताया है, कि दुर्घटना बीमा का लाभ लेने के लिए ग्राहक को खाद खरीदने के बाद पॉक्स मशीन से पक्का बिल लेना होता है। इसके अतिरिक्त कृषि-किसान से जुड़ी दुर्घटनाओं पर एक लाख तक का बीमा कवर दिया जाता है। 

यह दुर्घटना बीमा प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के माध्यम से किसान भाई बेहद आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि भविष्य में इन केंद्रों के माध्यम से ड्रोन की सुविधा भी किसानों के लिए उपलब्ध कारवाई जाएगी। 

यह सुविधा पूर्णतः फ्री होगी, ड्रोन के माध्यम से खेती करने पर किसान भाई अपने समय के साथ-साथ धन की बचत भी कर पाएंगे।

इस महिला किसान को कृषि व पशुपालन में प्रगति के लिए मिला पुरुस्कार

इस महिला किसान को कृषि व पशुपालन में प्रगति के लिए मिला पुरुस्कार

खेती-किसानी के क्षेत्र में प्राचीन काल से पशुपालन विशेषकर गाय का विशेष महत्व रहा है। आज वंदना कुमारी दूध प्रसंस्करण के माध्यम से अच्छी कमाई कर अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। 

बतादें, कि वंदना कुमारी ने गौ-पालन शुरू करने का फैसला लेने से पहले दो बार नहीं सोचा। जीवन में बेहतर उपलब्धि हांसिल करने का उनका दृढ़ संकल्प ही था, जिसने उनको गौ-पालन प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया। 

एक गृहिणी के लिए जीवन में सब कुछ काफी सुगम नहीं था। कुछ नवीन करने के उनके जूनून ने समस्या और बाधाओं का सामना करने में काफी सहायता की। 

कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK), बांका (बिहार) की मदद के फलस्वरूप बन्दना को पारंपरिक फसलों के अतिरिक्त सफल डेयरी किसान के तोर पर स्थापित करने में सहयोग प्राप्त हुआ। 

बतादें, कि 13 एकड़ कृषि योग्य जमीन और 8 एकड़ बंजर जमीन वाले परिवार में आय बढ़ाने के लिए अपने परिवार की मदद करना उनके लिए बड़ी मजबूरी थी। 

महिला किसान वंदना महिंद्रा समृद्धि अवार्ड से सम्मानित   

खेती में सक्रियता से भाग लेने के उपरान्त कृषि उत्पादकता को बेहतर करना वंदना का लक्ष्य बन गया था। बंदना ने साल 2011 में केवीके का भ्रमण करके और वैज्ञानिकों से मिलकर कृषि भूमि की उत्पादक क्षमता को बढ़ाने के संबंध में दिशा-निर्देश लिया। 

इसके पश्चात कृषि विज्ञान केन्द्र से उनका जुड़ाव काफी बढ़ता गया और उत्पादकता बढ़ाने के लिए केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा समयानुसार सही सलाह दी गई। केवीके के वैज्ञानिकों की मदद से वह अपनी कृषि योग्य भूमि की उत्पादकता में बढ़ोतरी करने में सफल हुई। 

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वंदना ने समकुल बंजर जमीन में से 2.75 एकड़ को कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित करने में सफलता हांसिल की। एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का जज्बा रखने वाली वंदना ने खेती के दौरान केवीके की तकनीकी मदद से वर्ष 2012 में एक धान ओसाई मशीन को विकसित किया। 

वंदना के नवाचार को परखते हुए एक विख्यात निजी कंपनी द्वारा महिंद्रा समृद्धि अवार्ड से उन्हें पुरस्कृत किया गया और सम्मान स्वरूप 51 हजार की नकद धनराशि प्राप्त हुई। 

महिला किसान वंदना की दूध प्रसंस्करण से तरक्की 

वंदना के गांव को National Innovative वित Climate Resilient Agriculture (NICRA) परियोजना के कार्यान्वयन हेतु चयन किया गया, जिसके तहत उन्होंने हाइड्रोपोनिक चारा उत्पादन, यूरिया से पुआल का उपचार, साइलेज बनाने के अतिरिक्त हरे चारे की उपज संबंधी तकनीकें सीखी और अपनाई। इसके अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों में भी हिस्सा लिया। 

NICRA परियोजना के अंतर्गत ग्रामीणों के लिए आयोजित किए जाने वाले कृषि गतिविधियों में बेहतर सहयोग देने के बाद वंदना ने विविधता लाने के लिए साल 2016 में गौपालन शुरू करने का निर्णय किया। 

उन्होंने अपने पिता (पेशे से पशु चिकित्सक) से पशुपालन की बारीकियां सीखीं जो वंदना को असलियत में डेयरी फार्मिंग के लिए प्रेरित करने वाला साबित हुआ, उन्होंने दूध देने वाली 10 गायों को खरीदकर नया उद्यम शुरू किया।

प्रत्येक गाय व चारा उत्पादित 7-10 लीटर दूध के साथ उनकी गोशाला में औसत दूध उत्पादन लगभग 70-80 लीटर प्रति दिन प्राप्त होता था। वह अपनी गोशाला में उत्पादित दूध की मात्रा से संतुष्ट थीं। 

लेकिन जब दूध बेचने की बात आई तो बंदना को खरीदार ढूंढने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसी दौरान केवीके के जरिए से वंदना को फरवरी, 2020 में "आय बढ़ाने के लिए दुग्ध उत्पाद विकास" विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला, जिसका आयोजन पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, मोहनपुर, नदिया, पश्चिम बंगाल द्वारा किया जा रहा था।