महाराष्ट्र के किसान महेश ने इस फल की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफा

कृषि अपने देश की रीढ़ की हड्डी है। यहां की अधिकांश जनसँख्या खेती किसानी पर निर्भर रहती है। कुछ लोग कृषि को एक व्यर्थ व्यवसाय के रूप में देखते हैं। क्योंकि उनको कृषि करने का तरीका और सलीका अच्छी तरह से पता नहीं होता है। देश में ऐसे बहुत से किसान हैं जो कि प्रति वर्ष खेती के जरिये लाखों का मुनाफा कमाते हैं। लेकिन उनकी कृषि करने की विधि और तकनीक आम किसानों से अलग होती है। आजकल नवीन तकनीक और आधुनिक उपकरणों की कोई कमी नहीं है। सबसे मुख्य बात यह है, कि उनका सही तरीके से सोच समझकर उपयोग किया जाए, तो खेती से उत्तम पैदावार अवश्य ली जा सकती है। आज हम बात करने वाले हैं, एक ऐसे किसान की जो कि अपनी सूझ-बूझ से बेहतरीन फायदा उठा रहा है। महाराष्ट्र राज्य के महेश बालाजी ने मात्र एक बार चीकू की खेती करके 5 लाख रुपए की आमदनी करली है। देश की खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने से लेकर लोगों की आजीविका के लिए धन अर्जन हेतु कृषि क्षेत्र का अपना विशेष महत्त्व है। किसानों को खेती से अच्छी पैदावार मिलने और मुनाफा होने की हर बार आशा होती है। लेकिन आंधी, तूफ़ान, बाढ़, अत्यधिक बरसात और आवारा पशु जैसी आपदाओं की वजह से किसानों को निराशा और हतासा ही मिलती है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का हमेशा कहना होता है, कि किसान बिना किसी आधुनिक विधि और नवीन तकनीक का प्रयोग किए बगैर अच्छा उत्पादन प्राप्त नहीं कर सकते। क्योंकि खेती बहुत सारे आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से घिरी होती है। अगर आपको कृषि के जरिए मोटा दाम कमाना है, तो आपको पारंपरिक विधि को छोड़ आधुनिक विधि अपनानी आवश्यक है। महेश बालाजी ने भी एक ऐसी ही मिसाल पेश की है।

महेश चीकू के उत्पादन से लाखों कमा रहा है

महेश बालाजी ने चीकू का उत्पादन करके 5 लाख रुपए की आय अर्जित की है। महेश बालाजी सूर्यवंशी महाराष्ट्र के लातूर में हरंगुल खुर्द गाँव के निवासी हैं।
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वहाँ पर महेश ने लगभग डेढ़ एकड़ भूमि के हिस्से में चीकू की फसल का उत्पादन किया है। उन्होंने चीकू की फसल की बुवाई, सिंचाई उर्वरकों का अच्छे से छिड़काव आदि आवश्यक कार्य बड़ी ही कुशलता से किए हैं। जिसके परिणामस्वरूप उनको बहुत ही अच्छा उत्पादन मिलता है।

महेश ने मात्र 120 पौधों से लाखों का उत्पादन लिया

किसान महेश बालाजी का कहना है, कि उन्होंने 6 वर्ष पूर्व ही चीकू के 120 पौधों का रोपण कर दिया था। रोपण के 4 वर्ष उपरांत फल लगना आरंभ हो गया था। मंडियों या बाजार में इनके द्वारा उत्पादित फल 60 रुपए प्रति कि.ग्रा. के भाव से बिका है। फल को तैयार करने में आये खर्च की ओर देखें तो इनके उर्वरक और सिंचाई इत्यादि में करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च हो गए थे। खर्च के अतिरिक्त केवल मुनाफा की बात करें तो महेश बालाजी ने 5 लाख का मुनाफा अर्जित किया है।

देश में चीकू की खेती का कितना रकबा है

भारत के विभिन्न राज्यों में 65 हजार एकड़ रकबे में चीकू का उत्पादन होता है। जिनके अंतर्गत महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तामिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में चीकू की अधिकांश खेती की जाती है। साथ ही, चीकू की वार्षिक पैदावार तकरीबन 5.4 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हो जाता है। चीकू के उत्पादन हेतु काली, गहरी जलोढ़, रेतीली दोमट सहित बेहतर उपज वाली मृदा में रोपण काफी अच्छा रहता है। साथ ही, चीकू की खेती करने हेतु मृदा को भुरभुरा करके 2-3 बार जुताई के उपरांत भूमि को एकसार करना होता है ।