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मौसम की बदहाली को झेलने के बाद भी पंजाब धान की आवक-खरीद में लहरा रहा है परचम !

मौसम की बदहाली को झेलने के बाद भी पंजाब धान की आवक-खरीद में लहरा रहा है परचम !

पंजाब राज्य में बदहाल मौसम एवं मूसलाधार बरसात के कहर का सामना करते हुए भी चावल का बेहतरीन उत्पादन हुआ है। पंजाब में १०० लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। अतिशीघ्र ही किसानों को डीबीटी के जरिये फसल की भुगतान धनराशि भी प्राप्त हो जायेगी। फिलहाल पुरे देश की मंडियों में धान खरीदी हो रही है। इस सन्दर्भ में पंजाब बेहद अहम भूमिका अदा कर रहा है। पंजाब राज्य की मंडियों में प्रतिदिन ७ लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो रही है। पंजाब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने बताया है कि १५ नवंबर तक धान की खरीदी में पूर्व से अधिक तीव्रता आयेगी। अनुमानुसार पंजाब की मंडियों में ३० अक्टूबर तक १०५ लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीद हुई थी, जिसमें २९ अक्टूबर तक ९८.५३ लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी थी। धान की खरीद के उपरांत किसानों को लगभग १५,४०० करोड़ रुपये भुगतान धनराशि दी जा चुकी है। पंजाब राज्य सरकार भी २,००० करोड़ रुपये जारी करने का फैसला कर लिया है।

१५ नवंबर तक रहेगी धान की खरीदी में तीव्रता

दिवाली बाद किसान अपनी धान की पैदावार का मंडी की ओर रुझान करना प्रारंभ कर दिया है। पंजाब राज्य से धान की आवक एवं खरीद चालू है। मीडिया के मुताबिक, पुंजाब में १५ नवंबर तक धान की आवक एवं खरीद अपने रिकॉर्ड स्तर पर रहेगी। इस साल पंजाब ने करीब १९० लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रारम्भ में मूसलाधार बारिश के चलते कटाई में विलंब होने के कारण इस लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव सा महसूस हो रहा था, लेकिन १५ अक्टूबर से ही धान की कटाई में तीव्रता हुई थी।

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चावल मिलों ने जाहिर की अपनी समस्याएँ

अक्टूबर माह में कटाई से पूर्व बारिश होने के चलते धान में गीलेपन की मात्रा में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके कारण धान का वजन लगभग १७% तक बढ़ जाने के चलते मिल मालिकों द्वारा धान खरीदने से इंकार कर दिया गया। इसकी मुख्य वजह यह है कि धान में नमी की मात्रा में बढ़ोत्तरी होने पर धान के मिल मालिकों को कस्टम मिलिंग के उपरांत धान से ६७% चावल लेने में काफी दिक्कत आती है। लेकिन फिलहाल इस समस्या का समाधान मिल गया गया है एवं मिल किसानों से धान की खरीद कर रहे हैं। बतादें कि अभी अनाज की खरीद बाकि है, अब तक के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब की मंडियों द्वारा ८०.३३ लाख मीट्रिक टन अनाज लिया जा चुका है। लेकिन अब तक २२.१९ फीसदी अनाज लेना अतिरिक्त बचा हुआ है, यहां लगभग १०५.५३ मीट्रिक टन धान आ चुका है, जिसमें से १०३.२३ लाख मीट्रिक टन धान क्रय संपन्न हो चुका है। अब तक आये हुए धान में से ९७.८३ फीसदी की धान खरीदी हो गयी है।
बिना लागात लगाये जड़ी बूटियों से किसान कमा रहा है लाखों का मुनाफा

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खेती में नवीन तकनीकों को प्रयोग में लाने के अतिरिक्त किशोर राजपूत ने देसी धान की 200 किस्मों को विलुप्त होने से बचाव किया है, जिनको देखने आज भारत के विभिन्न क्षेत्रों से किसान व कृषि विशेषज्ञों का आना जाना लगा रहता है। भारत में सुगमता से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। खेती में होने वाले व्यय को कम करके बेहतर उत्पादन प्राप्त करने हेतु आज अधिकाँश किसानों द्वारा ये तरीका आजमा रहे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के एक युवा किसान के माध्यम से वर्षों पूर्व ही प्राकृतिक खेती आरंभ कर दी थी। साथ ही, गौ आधारित खेती करके जड़ी-बूटियां व औषधीय फसलों की खेती की भी शुरूआत की थी। किशोर राजपूत नामक इस युवा किसान की पूरे भारतवर्ष में सराहनीय चर्चा हो रही है। शून्य बजट वाली इस खेती का ये नुस्खा इतना प्रशिद्ध हो चूका है, कि इसकी जानकारी लेने के लिए दूरस्थित किसानों का भी छत्तीसगढ़ राज्य के बेमेतरा जनपद की नगर पंचायत नवागढ़ में ताँता लगा हुआ है। अब बात करते हैं कम लागत में अच्छा उत्पादन देने वाली फसलों के नुस्खे का पता करने वाले युवा किसान किशोर राजपूत के बारे में।


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किशोर राजपूत को खेती किसानी करना कैसे आया

आमतौर पर अधिकाँश किसान पुत्र अपने पिता से ही खेती-किसानी के गुड़ सीखते हैं। यही बात किशोर राजपूत ने कही है, किशोर पिता को खेतों में अथक परिश्रम करते देखता था, जो उसके लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत साबित हुआ। युवा का विद्यालय जाते समय रास्ते में पेड़-पौधों, पशु-पक्षी, हरियाली बहुत आकर्षित करती थी। किशोर ने कम आयु से ही खेतों की पगडंडियों पर मौजूद जड़ी-बूटियों के बारे में रुचि लेना और जानना शुरू कर दिया। बढ़ती आयु के दौरान किशोर किसी कारण से 12वीं की पढ़ाई छोड़ पगडंडियों की औषधियों के आधार पर वर्ष २००६ से २०१७ एक आयुर्वेदित दवा खाना चलाया। आज किशोर राजपूत ने औषधीय फसलों की खेती कर भारत के साथ साथ विदेशों में भी परचम लहराया है, इतना ही नहीं किशोर समाज कल्याण हेतु लोगों को मुफ्त में औषधीय पौधे भी देते हैं।

किशोर ने कितने रूपये की लागत से खेती शुरू की

वर्ष २०११ में स्वयं आधार एकड़ भूमि पर किशोर नामक किसान ने प्राकृतिक विधि के जरिये औषधीय खेती आरंभ की। इस समय किशोर राजपूत ने अपने खेत की मेड़ों पर कौच बीज, सर्पगंधा व सतावर को रोपा, जिसकी वजह से रिक्त पड़े स्थानों से भी थोड़ा बहुत धन अर्जित हो सके। उसके उपरांत बरसाती दिनों में स्वतः ही उत्पादित होने वाली वनस्पतियों को भी प्राप्त किया, साथ ही, सरपुंख, नागर, मोथा, आंवला एवं भृंगराज की ओर भी रुख बढ़ाया। देखते ही देखते ये औषधीय खेती भी अंतरवर्तीय खेती में तब्दील हो गई व खस, चिया, किनोवा, गेहूं, मेंथा, अश्वगंधा के साथ सरसों, धान में बच व ब्राह्मी, गन्ने के साथ मंडूकपर्णी, तुलसी, लेमनग्रास, मोरिंगा, चना इत्यादि की खेती करने लगे। प्रारंभिक समय में खेती के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, आरंभ में बेहतर उत्पादन न हो पाना, लेकिन समय के साथ उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है।
कृषि उड़ान योजना के तहत जोड़े जाएंगे 21 हवाई अड्डे;  किसानों को होगा सीधा फायदा

कृषि उड़ान योजना के तहत जोड़े जाएंगे 21 हवाई अड्डे; किसानों को होगा सीधा फायदा

जल्दी खराब होने वाली कृषि, बागवानी और मत्स्य उत्पादों की ओर ध्यान देते हुए सरकार ने एक नई योजना लाने का फैसला किया है. हाल ही में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जानकारी दी है कि केंद्रीय सरकार कृषि उड़ान योजना लाने जा रही है जिसके तहत देश में 21 और हवाई अड्डों को आपस में जोड़ा जाएगा. ऐसा करने से जल्दी खराब होने वाले उत्पाद को हवाई परिवहन के माध्यम से तेज रफ्तार से एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाया जा सकता है.कृषि उप प्रमुखों की इंदौर में हुई बैठक के दौरान यह जानकारी सिंधिया द्वारा दी गई है. इस दौरान दी गई जानकारी से पता चला है कि इससे पहले कृषि उड़ान योजना के तहत देश में कम से कम एकत्रित हवाई अड्डे जोड़े जा चुके हैं और आगे चलकर 21 और हवाई अड्डों को जोड़ने के लिए रक्षा मंत्रालय से बातचीत चल रही है.कृषि उड़ान योजना को जल्द खराब होने वाले उत्पाद जैसे कि कृषि और मत्स्य पालन (मछली पालन) आदि को एक जगह से दूसरी जगह पर जल्दी पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि इस योजना के तहत हमारे पूर्वोत्तर भारत में पैदा होने वाले नींबू,  कटहल और अंगूर जैसी फसलें न केवल देश के अन्य भागों में पहुंच पाएगी बल्कि हम इन्हें अन्य देश जैसे, जल  इंग्लैंड,  सिंगापुर  तक भी पहुंचा सकते हैं.

बैठक में भाग लेंगे 30 देशों के कृषि प्रतिनिधि

G20 बैठक के लिए अलग-अलग तरह की कॉन्फ्रेंस हो रही है और दूसरे दिन खाद्य सुरक्षा और पोषण, पर्यावरण अनुकूल तरीकों से टिकाऊ खेती, समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला एवं खाद्य आपूर्ति तंत्र और कृषि रूपांतरण के डिजिटलीकरण सरीखे चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर पूरी तरह से विचार विमर्श किया गया. यह एक तीन दिवसीय बैठक है जिसमें आखिरी दिन प्रतिनिधियों द्वारा कृषि कार्य समूह की ओर दिए जाने वाले तथ्यों पर विचार विमर्श किया जाएगा. यह तीन दिवसीय बैठक भारत के  प्रमुख शहर इंदौर में हो रही है. ये भी पढ़े: इस खाद्य उत्पाद का बढ़ सकता है भाव प्रभावित हो सकता है घरेलु बजट

क्या है कृषि उड़ान योजना 2.0

अक्टूबर 2021 में कृषि उड़ान योजना 2.0 की घोषणा की गई थी.इस योजना के तहत मुख्य रूप से सभी पहाड़ी क्षेत्र और पूर्वोत्तर राज्यों और इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में खराब होने वाले सभी तरह के खाद्य पदार्थों के लिए परिवहन की सुविधा मुहैया करवाने की बात की गई थी. कृषि से जुड़े हुए इस तरह के उत्पादों को हवाई परिवहन द्वारा एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचाने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) भारतीय मालवाहकों और पी2सी (यात्री) के लिए लैंडिंग, पार्किंग, टर्मिनल नेविगेशनल लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) और रूट नेविगेशन सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) की पूर्ण छूट देता है.