Natural Farming: प्राकृतिक खेती के लिए ये है मोदी सरकार का प्लान

By: MeriKheti
Published on: 15-Aug-2022

ग्राम प्रधानों के लिए आयोजित होंगे सत्र 15 लाख किसान को मिलेगी खास ट्रेनिंग 20 लाख नेशनल फील्ड स्कूल खोले जाएंगे

हरित क्रांति के लिए अपनाए गए रासायनिक खेती के उपायों से पर्यावरण पर पड़ रहे कुप्रभाव को रोकने के लिए भारत सरकार ने नैचुरल फार्मिंग (Natural Farming) यानी  प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाया है। परंपरागत खेती करने वाले भारत के किसानों के बीच हरित क्रांति मिशन के तहत गेहूं और धान की अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने की होड़ के कारण भारतीय कृषि के पारंपरिक मूल्यों की भी जमकर अनदेखी हुई। नतीजतन, भारत के किसान बाजरा, ज्वार, कोदू, कुटकी, मोटे चावल जैसी फसलों के प्रति उदासीन होते गए।

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पिछले कई दशकों से भारत के किसानों का रुझान धान और गेहूं की फसलों पर केंद्रित होने से खेतों की उर्वरता भी प्रभावित हुई है। खेत में सालों से लगातार एक ही तरह के रसायनों के प्रयोग के कारण मृदा शक्ति में कमी आई है। धान की फसल के कारण कई प्रदेशों के भूजल स्तर में भी गिरावट दर्ज की गई है।

केंद्रीय मंत्री आशान्वित

भारत के केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्राकृतिक कृषि (Natural Farming) की मदद से भारतीय कृषि जगत को नई ऊंचाइयां मिलने के साथ ही मृदा संरक्षण में भी मदद प्राप्त होने की आशा व्यक्त की है। केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय कृषि जगत के विकास के लिए कृत संकल्पित हैं। पीएम मोदी ने किसानों को हमेशा प्रेरित किया है। कृषि मंत्री तोमर ने किसानों से कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक पद्धति को अमल में लाकर परंपरागत प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभों को प्राप्त करने की अपील की है। उन्होंने बताया कि, कृषि एवं कृषक हित में सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए एक अभियान शुरू किया है, इससे जुड़कर किसान भारतीय कृषि को नई पहचान दे सकते हैं।

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कृषि मंत्री तोमर के मुताबिक, आजादी का अमृत महोत्सव मनाते समय कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार की योजनाओं की चर्चा होना स्वाभाविक एवं जरूरी है। भारत विश्व का एक मात्र ऐसा देश है जहां की लगभग तीन चौथाई आबादी कृषि और इससे संबद्ध व्यवस्था से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ी हुई है। भारत की अर्थव्यवस्था में भी कृषि का अति महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि से खाद्यान्न और कच्ची सामग्री के साथ ही भारत के बड़े बेरोजगार वर्ग को रोजगार भी मिलता है। केंद्रीय कृषि मंत्री के मुताबिक, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ साल में किसान एवं किसानी हित से जुड़ी अहम समस्याओं पर गंभीर चिंतन कर उनके समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। कृषि मंत्री के अनुसार प्रत्येक बजट में अब एग्रीकल्चर सेक्टर के विकास के लिए पर्याप्त राशि का आवंटन किया जा रहा है। उन्होंने कृषि से जुड़ी कई लाभकारी योजनाओं का भी जिक्र किया। कृषि मंत्री तोमर ने उम्मीद जताई है कि, हरियाणा, गुजरात आंध्रप्रदेश और हिमाचल सहित कुछ राज्यों के किसानों की ही तरह अन्य राज्यों, जिलों एवं ग्रामों के अधिक से अधिक किसान भी अब प्राकृतिक खेती का विकल्प अपनाएंगे। प्राकृतिक तरीके से खेती करने के लाभों के बारे में किसानों को सरकारी स्तर पर जागरूक किया जा रहा है।

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प्राकृतिक खेती के लाभ

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि, प्राकृतिक खेती किसानी का सुगम तरीका है। अल्प लागत की यह किसानी तरकीब किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हुई है। मृदा संरक्षण में भी प्राकृतिक खेती की उपयोगिता सर्वविदित है। गौरतलब है कि, पिछले साल गुजरात में आयोजित एक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से भारत की धरा को रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के छिड़काव से मुक्त कराने के लिए किसानों से सहयोग की अपील की थी।

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गंभीर हैं पीएम

प्रधानमंत्री केमिकल और फर्टिलाइजर आधारित आधुनिक किसानी से मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों से चिंतित नजर आते हैं। पीएम मोदी का मानना है कि, प्राकृतिक खेती से देश के उन 80 प्रतिशत किसानों को भी लाभ मिल सकेगा, जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। पीएम हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली केमिकल और फर्टिलाइजर आधारित किसानी विधि पर चिंता जता चुके हैं। इस पद्धति से मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ रहे हानिकारक प्रभावों के कारण उन्होंने खेती के अन्य विकल्पों पर गंभीरता से योजना बनाने कृषि वैज्ञानिकों, सलाहकारों को निर्देशित किया है।

प्राकृतिक खेती का बढ़ता दायरा

केंद्र सरकार के प्रयासों से परंपरागत कृषि विकास योजना की उपयोजना के तहत चार लाख हेक्टेयर भूमि क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के दायरे में शामिल कर लिया गया है।

जापान से जुड़ी अवधारणा

पेड़, पौधों का विकास वैसे तो प्राकृ़तिक रूप से सतत एवं दीर्घकालीन प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो धरती के विकास के साथ सतत जारी है। हालांकि इन प्राकृतिक तरीकों को पहचान कर जापान के किसान दार्शनिक मासानोबू फुकुओका (Masanobu Fukuoka)ने प्राकृतिक खेती की अवधारणा विकसित की है। उन्होंने साल 1975 में अपने शोध ग्रंथ में प्राकृतिक खेती के तरीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला था। पद्मश्री से सुशोभित विदर्भ क्षेत्र में अमरावती के किसान सुभाष पालेकर ने 1990 के दशक में अपने खेत पर प्राकृतिक खेती का प्रयोग किया था। इस दौर में भयावह सूखे का सामना करने वाले विदर्भ क्षेत्र में पालेकर को प्राकृतिक खेती से कई लाभकारी परिणाम भी मिले थे।

पानी की बचत ही बचत

प्राकृतिक खेती का सबसे ज्यादा लाभ पानी की बचत का होगा। फसल की सिंचाई के लिए पानी की कमी का सामना करने वाले किसानों के लिए प्राकृतिक खेती एक तरह से फायदे का सौदा है। नैचुरल फार्मिंग विधि में खेत पर पौधों को पानी की नहीं बल्कि नमी की जरूरत होती है। इस प्रणाली से किसानी करने वाले किसान को पहली दफा इस रीति से किसानी करने पर प्रथम वर्ष 50 फीसदी तक पानी की बचत हो जाती है। अध्ययन के मुताबिक इस बचत में साल दर साल वृद्धि होती जाती है। पहले साल हुई 50 प्रतिशत पानी की बचत बढ़कर तीसरे साल के दौरान 70 फीसदी तक दर्ज की गई है। इतना ही नहीं बल्कि प्राकृतिक खेती की मदद से किसान एक साल में तीन फसलें भी खेत पर उगा सकता है।

सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं

एनडीए गवर्नमेंट ने भारतीय कृषि व्यवस्था में सुधार के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए भी सरकार कई सुविधाएं जारी कर रही है।

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किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना और न्यूनतम समर्थन मूल्य वृद्धि आदि वह निर्णय हैं जिससे सरकार कृषि एवं कृषक हित को साधने प्रयासरत है।

इतना लक्ष्य निर्धारित

केंद्र सरकार ने भारत में कुल 75,000 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक विधि की खेती के दायरे में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

लक्ष्य साधने जतन

किसानों हेतु प्राकृतिक विधि से खेती करने के लिए सरकार ने व्यापक योजना बनाई है। इसके तहत देश के 15 लाख किसानों को नैचुरल फार्मिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। नैचुरल फार्मिंग (Natural Farming) यानी प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण के लिए देश में 20 लाख नेशनल फील्ड स्कूल खोलने की दिशा में द्रुत गति से कार्य जारी है।

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नैचुरल फार्मिंग अपनाने के लिए देश के 30 हजार ग्राम प्रधानों के लिए 750 प्रशिक्षण सत्रों के आयोजन का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील की है कि, वे प्राकृतिक खेती (Natural Farming) मिशन में सहयोग प्रदान कर भारतीय कृषि जगत को नई ऊंचाई और आयाम प्रदान करें।

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