चौलाई की खेती किसानों को मुनाफा और लोगों को अच्छी सेहत प्रदान कर सकती है

By: MeriKheti
Published on: 23-May-2023

चौलाई की खेती करने के लिए हर प्रकार की मृदा उपयुक्त मानी जाती है। परंतु, बलुई-दोमट मृदा को इसकी खेती लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। सर्दी का मौसम आने के साथ ही पूरा बाजार विभिन्न प्रकार की सब्जियों से पट जाता है। इस दौरान गंधारी, पालक, सरसों, चना और मेथी की मांग बढ़ जाती है। लोग सब्जी के स्थान पर रोटी के साथ साग को खाना अधिक पसंद करने लगते हैं। अब ऐसी स्थिति में मांग बढ़ने से कृषकों की आमदनी में भी इजाफा हो जाता है। परंतु, मेथी, बथुआ, सरसों और चना की सब्जी साल भर नहीं उगाए जा सकते हैं। वहीं इनकी मांग भी सदैव नहीं रहती है। यदि किसान भाई लाल साग मतलब कि चौलाई की खेती करें, तो उनको बेहतरीन आमदनी हो सकती है। चौलाई साग की एक ऐसी किस्म है, जिसको किसी भी मौसम में उत्पादित किया जा सकता है। बाजार में इसकी मांग भी सदैव रहती है।

चिकित्सक भी चौलाई के साग का सेवन करने की सलाह देते हैं

दरअसल, चिकित्सक भी चौलाई के साग का सेवन करने की सलाह देते हैं। चौलाई में विभिन्न प्रकार के विटामिन्स और पोषक तत्व विघमान रहते हैं। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, फॉस्फोरस और मिनिरल भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह एक प्रकार से आयरन का भंडार है। चौलाई के साग का सेवन करने से आंखों की रोशनी अच्छी रहती है। शरीर में भी खून की कमी नहीं होती है। साथ ही, यह कफ और पित्त का भी खात्मा करता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि चौलाई की सब्जी का सेवन करने से कब्ज की बीमारी सही हो जाती है। साथ ही, पाचन तंत्र भी बेहतर ढंग से कार्य करता है।

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चौलाई साग के लिए कितना डिग्री तापमान बेहतर होता है

चौलाई साग की खेती के लिए 25 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना गया है। आप इसकी पत्तियों एवं तनों को पकाकर स्वादिष्ट सब्जी भी बना सकते हैं। यह एक नगदी फसल है। ऐसी स्थिति में यदि छोटी जोत वाले किसान इसका उत्पादन करतें हैं, तो उनको बेहतर आमदनी अर्जित हो सकती है।

खेत में जल निकासी की उत्तम व्यवस्था जरुरी

जैसा कि हमने उपरोक्त में बताया है, कि चौलाई की खेती किसी भी तरह की मृदा में की जा सकती है। हालाँकि, बलुई-दोमट मृदा को इसकी खेती लिए सर्वोत्तम माना गया है। यह साग की ऐसी किस्म है, जिसकी खेती गर्म और ठंड दोनों प्रकार के मौसम में की जा सकती है। यदि किसान भाई चौलाई की खेती करना चाहते हैं, तो उनको सर्वप्रथम खेत की जुताई करने के उपरांत एकसार करना पड़ेगा। उसके बाद खेत में चौलाई के बीज की बुवाई करनी पड़ेगी। चौलाई के खेत में सदैव उर्वरक के तौर पर गोबर का ही उपयोग करें, इससे बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है। एक और मुख्य बात यह है, कि खेत में जल निकासी की भी बेहतर व्यवस्था होनी अति आवश्यक है।

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