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ऐसे करें सहजन की खेती, जल्द ही हो जाएंगे मालामाल

Published on: 25-May-2023

पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि देश के किसान सहजन की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इसके पीछे मुख्य कारण सहजन की लोगों के बीच बढ़ती हुई लोकप्रियता है। 

जिससे बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा यह फसल कम लागत में किसानों को अच्छी खासी कमाई भी करा देती है। जिसके कारण किसान इसकी खेती करना पसंद कर रहे हैं। 

बाजार में सहजन के फूल और उसके फलों की भारी मांग रहती है। सहजन के बीजों का तेल निकालकर उपयोग में लाया जाता है। साथ ही इसके बीजों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, जिसका विदेशों में निर्यात किया जाता है। 

इस हिसाब से देखा जाए तो सहजन की खेती हर प्रकार से किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। सहजन के बारे में कहा जाता है कि यह पेड़ बंजर भूमि पर भी उगाया जा सकता है। 

साथ ही इस पेड़ की देखभाल करने की भी कोई खास जरूरत नहीं होती। सहजन के फूल, फल, पत्तियों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की सब्जियों के रूप में किया जाता है। 

औषधीय गुणों से युक्त सहजन की खेती भारत के अलावा  फिलीपिंस, श्रीलंका, मलेशिया, मैक्सिको जैसे देशों में भी की जाती है। अगर किसान भाई एक एकड़ खेत में सहजन की खेती करते हैं तो साल भर में 6 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।

सहजन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

सहजन का पौधा शुष्क और उष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगता है। इसकी खेती के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है। इस तरह की जलवायु में सहजन के पौधे तेजी से विकसित होते हैं। 

ज्यादा ठंड सहजन के लिए अच्छी नहीं होती है। अधिक ठंड में सहजन के पौधे पाले के शिकार हो सकते हैं। इसके साथ ही ज्यादा तापमान भी सहजन सहन नहीं कर सकता। 

40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर सहजन के फूल झड़ने लगते हैं। यह पौधा विभिन्न प्रकार की परिस्थियों में बेहद आसानी से उग जाता है। इसके ऊपर कम या अधिक वर्षा का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

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सहजन की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव

सहजन की खेती हर प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। कहा जाता है कि बेकार, बंजर और कम उर्वरा शक्ति वाली भूमि में भी सहजन का पौधा आसानी से उग जाता है। 

साथ ही यदि आपके पास बलुई दोमट मिट्टी वाले खेत उपलब्ध हैं तो यह सहजन के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। ध्यान रहे कि खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

सहजन के पौधों की रोपाई

सहजन के पौधों को कटिंग के द्वारा लगाया जाता है। इसके लिए 45 सेंटीमीटर लंबी कलम तैयार करना चाहिए। कलमों को खेत में सीधे लगाया जा सकता है। कलम को लगाने के पहले खेत में गड्ढे तैयार कर लें। 

उन गड्ढों में कम्पोस्ट या खाद डालें और मिट्टी से भर दें, इसके बाद गड्ढों में पानी डालें। जब पानी सूख जाए तो कलम को लगा दें और हल्की सिंचाई कर दें। ध्यान रखें कि एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 3 मीटर होनी चाहिए।

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इसके अलावा सहजन के बीजों के माध्यम से भी पौध तैयार की जा सकती है। इसे नर्सरी में तैयार किया जाना चाहिए। इसके बाद पौधों को भी गड्ढे में समान प्रक्रिया के साथ लगाना चाहिए। भारत के अधिकतर राज्यों में सहजन की रोपाई जुलाई से सितम्बर माह के बीच की जाती है।

सहजन की किस्में

बाजार में सहजन कि जो किस्में उपलब्ध हैं उनमें पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयंबटूर 1 तथा कोयंबटूर 2 प्रमुख हैं। इन किस्मों के पेड़ 4 से 6 मीटर तक ऊंचे होते हैं साथ ही 100 दिन के भीतर फूल लगने लगते हैं। इन पेड़ों से लगातार 4 से 5 वर्षों तक फसल प्राप्त की जा सकती है।

सहजन की पैदावार एवं मुनाफा

यह एक अधिक मुनाफा देने वाली फसल है, जिसमें किसान भाई कम लागत में अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। प्रत्येक पेड़ से एक साल में कम से कम 50 किलोग्राम सहजन प्राप्त किया जा सकता है। 

फल में रेशा आने से पहले तक सहजन के फलों की बाजार में अच्छी खासी मांग रहती है। अगर किसान भाई दो एकड़ खेत में सहजन की खेती करते हैं तो हर साल लगभग 10 लाख रुपये तक की कमाई बेहद आसानी से कर सकते हैं।

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