भंडारण की उचित व्यवस्था न होने के चलते खाद्यान्न की काफी बर्बादी होती है

By: Merikheti
Published on: 02-Dec-2023

भारत में खाद्यान्न की पैदावार काफी हो रही है और इस उपज में साल दर साल बढ़ोतरी भी हो रही हैं। बतादें, कि इसके बावजूद भी कृषकों को उनकी फसल का सही भाव भी नहीं मिलता हैं। भारत में लाखों लोग भूखे सोने के लिए विवश होते हैं। इसकी वजह कहीं न कहीं भंडारण के लिए शानदार व सुव्यवस्थित सुविधाओं का ना होना भी है। अधिकांश खबरें सुनने को मिलती हैं, कि खुले गगन के नीचे रखा लाखों टन अनाज बेमौसम वर्षा से भीग गया, करोड़ो रूपये का अनाज पूरी तरह सड़ गया और बह गया। इससे बेचारे कृषकों के परिश्रम पर पानी फिर जाता हैं। इसके अतिरिक्त कीड़े, कृन्तकों (चूहे, गिलहरी), सूक्ष्म जीवों और अवैज्ञानिक भंडारण आदि की वजह भी भरपूर मात्रा में फसल की हानि होती हैं। सरकार पैदावार में वृध्दि के विषय में तो बताती हैं, परंतु यह नहीं बताती कि अन्न को सुरक्षित व संरक्षण कैसे रखा जायेगा।

अवैज्ञानिक ढ़ंग से सरकार स्वयं भंडारण कराती हैं  

भारत में अवैज्ञानिक तरीकों से भंडारण स्वयं सरकार कराती हैं। खुले आकाश के नीचे बिना ढंके बोरों में या कभी यूं ही ढेरों में पड़ा अनाज सामान्य तौर पर सभी ने देखा है। भारतीय अनाज संचयन प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्थान (आईजीएमआरआई), हापुड़ (यू.पी) के आंकड़े कहते हैं, कि वार्षिक भंडारण नुकसान तकरीबन 7,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें 14 मिलियन टन खाद्यान्न नष्ट होता है, जिसमें एकमात्र कीड़ों की वजह से लगभग 1,300 करोड़ रुपये की हानि शम्मिलित है। सूक्ष्म जीवों, कीड़े, कृन्तकों और अवैज्ञानिक भंडारण आदि की वजह से फसल कटाई के पश्चात कुल खाद्यान्न का तकरीबन 10% प्रतिशत हानि होती है।

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कुल खाद्यान्न उत्पादन का महज 45 फीसद भंडारण करने की क्षमता

भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 3,235 लाख टन अनाज पैदावार का अनुमान हैं। परंतु, सरकारी आंकड़ो के अनुसार भारत में कुल अनाज भंडारण क्षमता 1,450 लाख टन हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एंव कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक देश में वार्षिक अनाज उत्पादन का महज 45 प्रतिशत ही भंडारण करने की क्षमता हैं। इसके अतिरिक्त शेष अनाज का क्या होता है, इसका उत्तर देने में सरकार भी कतराती हैं।

खाद्यान्न बचाओ कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं 

भारत में सन 1979 में ‘खाद्यान्न बचाओ’ कार्यक्रम चालू किया गया था। इस योजना के अंतर्गत किसानों में जागरुकता उत्पन्न करने और उन्हें सस्ती कीमतों पर भंडारण के लिए टंकियाँ मुहैय्या कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। परंतु, आज भी लाखों टन अनाज बर्बाद होता है।

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फिजूल खर्च को को कम करने के लिए काम 

भारत में विश्व की सबसे बड़ी भंडारण क्षमता विकसित करने की योजना चालू की गई हैं। सरकार इस योजना पर लगभग 1 लाख करोड़ रूपये का खर्चा कर रही है। इससे 5 वर्ष में भंडारण क्षमता 2,150 लाख टन तक हो जाएगी। इसके अतिरिक्त ब्लॉक स्तर पर 500 से 2000 टन के गोदाम निर्मित करने की योजना हैं। इन कोशिशों से कितना अनाज बर्बाद होने से बच पायेगा , यह भविष्य पर निर्भर है l

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