भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहाँ की आधी से ज्यादा आबादी खेती करके जीवन यापन करती है। खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानों को खेती पर खर्च भी बहुत करना पड़ता है।
आज के आधुनिक युग में महँगाई होने के कारण खर्चे भी बहुत हो गए है जिससे किसान खेती की जरूरत के हिसाब से इनपुट का इस्तेमाल नहीं कर सकते है।
महँगाई के इस दौर में किसानों को कुछ हस्त चलित कृषि यंत्रो के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक हैं, जिससे की वे उनका इस्तेमाल करके डीज़ल से चलने वाले यंत्रो का इस्तेमाल न करके खर्चे की बचत कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको हस्त चलित कृषि यंत्रो से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
खेती में कई प्रकार के प्रमुख हस्त चालित कृषि यंत्रो का इस्तेमाल होता हैं, इन सभी यंत्रो की जानकारी निम्नलिखित दी गयी हैं।
खुर्पी खेती के कार्यों में इस्तेमाल किए जाने वाला कृषि यंत्र हैं। खुर्पी का इस्तेमाल मिट्टी को ढीला करने और निराई-गुड़ाई के लिए किया जाता हैं। खरपतवारों को हटाने के लिए खुरपी का इस्तेमला किया जाता हैं।
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दराती एक सरल, हस्त चालित कटाई उपकरण है। इसका उपयोग धान, गेहूं, बाजरा, ज्वार आदि जैसी फसलों की कटाई के लिए किया जाता है। यह मूलतः एक मुड़ी हुई धातु की ब्लेड और एक लकड़ी के हैंडल से बना होता है। हँसियों को ब्लेड की धार के प्रकार के आधार पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
सादा हँसिए की ब्लेड की धार चिकनी और तेज होती है, जबकि आरीदार हँसिए की ब्लेड की धार में तेज आरी जैसी दांतदार बनावट होती है। ब्लेड के अंदरूनी हिस्से में मौजूद यह सादा या आरीदार धार फसल काटने के लिए उपयोग की जाती है |
इसलिए इसे कटिंग एज (cutting edge) कहा जाता है। ब्लेड का जो सिरा हैंडल में फिट करने के लिए गढ़ा गया होता है, उसे टैंग (tang) कहा जाता है।
कुदाली का उपयोग मुख्य रूप से खेती और बागवानी में होता है। कुदाल का उपयोग मिट्टी को खोदने के लिए किया जाता हैं। खेत में हाथ में खुदाई के लिए, पानी देने के लिए, खेत में कतरे बनने के लिए कुदाल का उपयोग किया जाता हैं।