Cardamom Farming: इलायची की खेती कैसे होती है?

Published on: 16-May-2024
Updated on: 08-Oct-2024

इलायची, जिसे आम तौर पर मसालों की रानी कहा जाता है, दक्षिण भारत में पश्चिमी घाटों पर बड़े-बड़े बरसाती जंगलों का मूल निवासी है। भारत में इसकी खेती लगभग 1,00,000 हेक्टेयर में होती है। 

मुख्य रूप से अधिकांश दक्षिणी राज्यों जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में कुल क्षेत्रफल का 60.31 प्रतिशत और 9% हिस्सा है। 

भारत का वार्षिक उत्पादन लगभग 40 हजार मीट्रिक टन है, जिसका लगभग 60 प्रतिशत से अधिक विदेशो में निर्यात किया जाता है, जिससे लगभग 40 मिलियन रुपये की विदेशी मुद्रा मिलती है। 

इलायची भोजन, कन्फेक्शनरी, पेय पदार्थ और शराब जैसी कई तैयारियों को स्वादिष्ट बनाती है। आज के इस लेख में हम इसकी खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। 

इलायची की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु की आवश्यकता

इलायची की खेती के लिए दोमट मिट्टी वाले घने और छायादार स्थान काफी उपयुक्त हैं। 600 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर इसकी फसल की खेती आसनी से की जा सकती है। 

इसके खेत में पर्याप्त जल निकासी व्यवस्था होनी चाहिए। यह प्राकृतिक रूप से अम्लीय, 5.0 से 6.5 पीएच सीमा वाली दोमट मिट्टी में उगाया जाता है। जून से दिसंबर महीने तक का मौसम इसके उत्पादन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

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इलायची की उन्नत किस्में

इलायची की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का अहम् योगदान है। इलायची दो प्रकार की होती है - हरी इलायची और भूरी इलायची। 

भारतीय व्यंजनों में भूरी इलायची का उपयोग बहुत किया जाता है। इसका उपयोग मसालेदार खाने को और अधिक स्वादिष्ट बनाने और इसका स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। 

इलायची उन्नत किस्में निम्नलिखित है - मालाबार, मुदिगरी 1, मुदिगरी 2, PV 1, PV-3, ICRI 1, ICRI 3, TKD 4, IISR सुवर्ण, IISR विजेता, IISR अविनाश, TDK - 11, CCS-1, सुवासिनी, अविनाश, विजेता - 1, अप्पानगला 2, जलनि (Green gold) आदि। 

इलायची की बुवाई का तरीका?

इलायची की बुवाई पुराने पौधों के सकर्स या बीजों का उपयोग करके किया जाता है। इलायची की बुवाई करने के लिए स्वस्थ और अधिक उपज देने वाले पौधों से बीज एकत्र करें।

बीज दर – 600 ग्राम/हेक्टेयर (ताजा बीज) बीज रखे। इलायची के पौधे तैयार करने के लिए पहले नर्सरी तैयार करनी पड़ती है, अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद, लकड़ी की राख और जंगल की मिट्टी को बराबर मात्रा में मिलाकर क्यारियां तैयार करें। बीजों/सकर्स को क्यारियों में बोयें और महीन बालू की पतली परत से ढक दें।

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इलायची की पौध उगाना का तरीका

बीज क्यारियों को मल्चिंग और छायां प्रदान करनी जरुरी होती है। क्यारियों को नम रखना चाहिए लेकिन क्यारियों बहुत गीला नहीं होना चाहिए। अंकुरण आमतौर पर बुवाई के एक महीने बाद शुरू होता है और तीन महीने तक जारी रहता है। पौध को द्वितीय नर्सरी में 3 से 4 पत्ती अवस्था में रोपित किया जाता है।

दूसरी नर्सरी का निर्माण 

दूसरी नर्सरी का निर्माण करते समय ये ध्यान रखे की जिस जगह आप नर्सरी का निर्माण कर रहे है उस जगह क्यारियों के ऊपर छाया होनी जरुरी है। पौधों की रोपाई 20 x 20 से.मी. की दूरी पर करें। 20 x 20 से.मी. आकार के पॉलीबैग का उपयोग किया जा सकता है।

इलायची को कैसे बोया जाता है?

इलायची की पौध की रोपाई के लिए 60 सें.मी. x 60 सें.मी. x 60 सें.मी. आकार के गड्ढे खोदकर खाद और ऊपरी मिट्टी से भर दें। ढालू क्षेत्रों में कंटूर प्लांटिंग की जा सकती है। ये विधि 18-22 महीने पुराने पौधों की रोपाई के लिए उपयोग किया जाता है।

मुख्य रूप से इलायची की खेती मानसून के मौसम में की जाती है। फसल की वर्षा से ही जल आपूर्ति हो जाती है। अगर गर्मी और वर्षा के बीच का समय लम्बा हो जाता है तो अच्छी ऊपज पाने के लिए स्प्रिंकल के माध्यम से सिंचाई अवश्य करें।

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अच्छी उपज पाने के लिए उर्वरक और खाद प्रबंधन 

फसल में रोपाई से पहले 10 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद या कम्पोस्ट का इस्तेमाल करें। 

उर्वरक की बात करें तो अधिक ऊपज प्राप्त करने के लिए फसल में 30 -35 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 -35 किलोग्राम फॉस्फोरस और 60 -65 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें। 

उर्वरकों को दो बार बराबर मात्रा में फसल में डालें। एक उर्वरकों के भाग को जून या जुलाई में खेत में डालें उर्वरक ड़ालते समय ये अवश्य ध्यान रखें की खेत में प्रचुर मात्रा में नमी हो। दूसरा उर्वरक का भाग अक्टूबर या नवंबर के महीने में डालें।

इलायची का पेड़ कितने साल में फल देता है?

इलायची के पौधे आमतौर पर रोपण के दो साल बाद फल देने लगते हैं। अधिकांश क्षेत्रों में कटाई की चरम अवधि अक्टूबर-नवंबर के दौरान होती है। 

15-25 दिनों के अंतराल पर तुड़ाई की जाती है। उपचार के दौरान अधिकतम हरा रंग प्राप्त करने के लिए पके कैप्सूल को काटा जाता है।

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