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अब उत्तर प्रदेश के आम उत्पादकों को प्राकृतिक आपदाओं की क्षतिपूर्ति भी मिलेगी

Published on: 28-Dec-2023

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि विश्व के समस्त देशों में आम का स्वाद समाया हुआ है। अब से कुछ ही दिनों की समयावधि में आम के बागों में बौर आना प्रारंभ हो जाएगा। बागवान बागों की साफ सफाई एवं सिंचाई के लिए जुट गए हैं। बौर आने से लगाकर फसल बिकने तक आंधी तूफान एवं ओलों जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करती है। इसमें आम की फसल काफी बुरी तरह से चौपट हो जाती है। आम की फसल से लोगों का मुंह मीठा करने वाले बागवानों की फसल को भी वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सुरक्षा कवच प्रदान किया जाएगा। जिला प्रशासन ने फसल बीमा योजना के अंतर्गत पहली बार आम की फसल को भी सम्मिलित कर लिया है। अगर अब बीमित फसल को कोई हानि होती है, तो बीमा कंपनी द्वारा किसानों को क्षतिपूर्ति धनराशि प्रदान की जाएगी। गन्ने की फसल के लिए प्रसिद्ध जनपद में आम की फसल भी खूब लहलहाती है। जनपद में तकरीबन साढ़े नौ हजार हेक्टेयर भूमि में आम के बाग लगे हुए हैं। दशहरी, बनारसी और चौसा आम की प्रमुख प्रजातियां जनपद में हैं। इसके अतिरिक्त कुछ बागों में आमृपाली एवं रटौल के पेड़ भी लगे हुए हैं।

पीएम फसल बीमा योजना के तहत मिलेगा फायदा 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बहुत वर्षों से चल रही है। परंतु, आम की फसल अब तक इससे बाहर थी। भले ही कितनी भी क्षति हो जाए, परंतु आम की फसल को बीमा योजना से एक रुपये की भी क्षतिपूर्ति नहीं मिलती थी। बतादें, कि किसी फसल को बीमा योजना में सम्मिलित करना डीएम की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय मानीटरिंग समिति के अधिकार में होता है।

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PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला? बतादें, कि इस समिति ने आम की फसल को भी जनपद के अंदर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सम्मिलित कर लिया है। बीमित फसल में अब यदि आंधी-तूफान अथवा ओलावृष्टि से कोई हानि होती है, तो बीमा कंपनी द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति की जाएगी।

आम उत्पादन से 70 हजार रुपये हैक्टेयर तक आय होती है 

आम की फसल से औसत उत्पादन 70 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तक माना गया है। इस धनराशि का पांच फीसद मतलब कि तकरीबन साढ़े तीन हजार रुपये देकर आम के बाग का बीमा होगा। आंधी-तूफान अथवा ओलावृष्टि से क्षतिपूर्ति केवल उन्हीं कृषकों को प्रदान की जाएगी जो फसल का बीमा कराऐंगे।

आम की खेप सऊदी अरब तक जाती है

बिजनौर का आम सऊदी अरब तक जाता है। आम की फसल को विदेश भेजने के लिए फसल की गुणवत्ता काफी उत्तम होनी चाहिए। परंतु, हद से ज्यादा बारिश भी फसल को काफी नुकसान पहुंचाती है। इस बार ज्यादा वर्षा होने से आम की फसल पर काले धब्बे पड़ गए। साथ ही, फसल विदेश भेजने योग्य ही नहीं बची। 'आम की फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सम्मिलित किया गया है। बीमित फसल में कोई हानि होने पर संबंधित कंपनी से क्षतिपूर्ति दिलाई जाएगी। किसानों को आम की फसल का बीमा कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है।' जितेंद्र कुमार, जिला उद्यान अधिकारी बिजनौर उत्तर प्रदेश।

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