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एस्कॉर्ट और कुबोटा का एक दूसरे में विलय किसानों की उन्नति का मार्ग

Published on: 18-May-2024
Updated on: 20-May-2024

जब अपने अपने क्षेत्र की दो दिग्गज कंपनियों का विलय या साझा होता है, तो उस इलाके में अवश्य एक नयापन उस क्षेत्र के उपयोगकर्ताओं को मिलता है। 

जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कृषि और निर्माण उपकरण के क्षेत्र में भारत में अपना नाम कमाने वाली कंपनी एस्कॉर्ट और जापान की दिग्गज कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनी कुबोटा की। 

इन दोनों कंपनियों का मिलन होने से भारतीय कृषकों के लिए टेक्नोलॉजी और विश्वास का नया सवेरा होने जा रहा है। 

जी हाँ, एस्कॉर्ट कुबोटा लिमिटेड अगले 3 से 4 सालों में 4500 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है, जिससे कि इनकी उत्पादन क्षमता 2 गुना अधिक हो जाएगी। 

कंपनी ने राजस्थान के अलवर जनपद के घिलोथ में एक नए विनिर्माण संयंत्र को स्थापित करने की योजना तैयार की है, जिसमें कि कंपनी आने वाले वर्षों में नवीन तकनीक के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद निर्मित करेगी। 

जमीन खरीद के लिए बजट तैयार कर लिया गया है

कंपनी इस वित्तीय वर्ष में जमीन की खरीद करके उस पर निर्माण कार्य प्रारम्भ कर देगी। एक समाचार पत्र को जानकारी देते हुए कंपनी के CFO भरत मदन ने बताया, "ग्रीनफील्ड प्लांट में ट्रैक्टर उत्पादन क्षमता को दोगुना करना, एक नई इंजन लाइन और चरणों में एक निर्माण उपकरण लाइन स्थापित करना शामिल होगा। 

कुल मिलाकर, ग्रीनफील्ड परियोजना की लागत अगले तीन-चार वर्षों में 4,000 करोड़ रुपये से 4,500 करोड़ रुपये हो सकती है। 

जमीन की खरीद के लिए करीब 400 से 4500 करोड़ रुपये का बजट है, जो कि जल्दी से जल्दी भूमि खरीद के बाद उस पर निर्माण प्रारंभ हो जायेगा, जो कि संभव है की इस वित्तीय वर्ष के अंत तक निर्माण कार्य शुरू हो जाये।  

कंपनी की वर्तमान में निर्माण क्षमता कितनी है?

वर्तमान में, कंपनी की कुल वार्षिक ट्रैक्टर उत्पादन क्षमता 1.7 लाख इकाई है। इसका मुख्य संयंत्र फरीदाबाद में मौजूद है। 

इसकी इंजन उत्पादन क्षमता वार्षिक 1.5 लाख यूनिट के करीब है और वर्तमान में कुबोटा ट्रेक्टर के इंजन को जापान से आयात किया जा रहा है। इससे इसकी कीमत में भी काफी इजाफा होता है। जिसको कम करने के लिए कंपनी नए सयंत्र में इसका निर्माण करने लगेगी।

अप्रैल, मई, जून की औघोगिक विकास पर भरत मदन

वित्त वर्ष 2025 के लिए ट्रैक्टर बिक्री के दृष्टिकोण पर, उन्होंने कहा कि उद्योग "धीमी गति से वृद्धि" की उम्मीद कर रहा है, क्योंकि फसल चक्र के अनुसार मांग बढ़ने से वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही गति बढ़ने की संभावना है। 

उन्होंने कहा, "पहली तिमाही स्पष्ट रूप से नरम है। हमें पहली तिमाही में किसी भी वृद्धि की उम्मीद नहीं है। अप्रैल में विकास सामान्य रहा है और मई में हमें कुछ गिरावट की संभावना लग रही है। इसलिए कुल मिलाकर पहली तिमाही अभी भी गिरावट वाली रहेगी।" 

कृषि क्षेत्र की ग्रोथ में मानसून का भी बहुत बड़ा योगदान होता है। एस्कॉर्ट कुबोटा के मर्जर से भारतीय किसानों को क्या फायदा मिलता है, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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