कृषि विभाग लगातार किसानों को सलाह देता रहता है ताकि वे खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ाकर अपनी आय बढ़ा सकें।
राजस्थान के अजमेर में स्थित ग्राहृय परीक्षण केंद्र तबीजी फार्म ने इस भाग में किसानों को खरीफ फसलों के बीजों का बीजोपचार करने की सलाह दी है।
बीज पादप जीवन का मूल हैं, ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने बताया - कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उत्तम बीज महत्वपूर्ण हैं।
फसलों में कई प्रकार के बीज जनित और मृदा जनित रोगों एवं कीटों का प्रकोप होता है। इन रोगों से बचाव के लिए उत्तम बीज का चयन और बीजोपचार करना बहुत आवश्यक है। बीजोपचार बीज जनित और मृदा जनित रोगों एवं कीटों को रोकने का सबसे सरल, सस्ता और प्रभावी तरीका है।
बीज उपचार एक प्रक्रिया है जिसमें बीज को बोने से पहले बीज और मृदा जनित रोगों से बचाने के लिए रासायनिक कवकनाशियों, कीटनाशियों और जैविक कारकों की निश्चित मात्रा से शोधन किया जाता है।
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इस प्रक्रिया से बीज पर एक सुरक्षात्मक परत बन जाती है। बीजों को कवकनाशी, कीटनाशी, जीवाणु कल्चर और ट्राइकोडर्मा से निर्धारित क्रम में ही उपचारित करना चाहिए।
बीज उपचार करने से बीज रोगों और कीटों से सुरक्षित रहते हैं और उनकी अंकुरण क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे उत्पादन भी बढ़ता है।
पौधों का जीवन चक्र बीज से शुरु होता हैं। अतः बीज का स्वस्थ होना अतिआवश्यक हैं।
बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंगफली, तिल, ग्वार, मूंग, उड़द व मोठ आदि खरीफ में बोई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं। इनको रोगों व कीटों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिश अनुसार बीजोपचार अवश्य करें एवं बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।