भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute - IARI) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन एक प्रमुख संस्थान है, जो कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना 1905 में पूसा में हुई थी, जो अब नई दिल्ली में स्थित है।
इसका मुख्य उद्देश्य कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करना और कृषि उत्पादकता में सुधार लाना है। IARI विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने पर अनुसंधान करता है।
यह संस्थान कृषि विज्ञान में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर की शिक्षा प्रदान करता है साथ ही यह संस्थान नई कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास और उनके प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किसानों की समृद्धि के लिए और नई कृषि प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए ये संस्थान हर साल मेले के माध्यम से किसानों तक सभी सूचनाएं पहुँचता है, मेले में देश के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया जाता है।
आज के इस लेख में हम आपको पूसा संस्थान द्वारा लगाए जाने वाले पूसा कृषि में के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
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पूसा कृषि विज्ञान मेले में उन किसानों को सम्मानित किया जाता है जो कृषि के क्षेत्र में नवाचार और उत्कृष्टता प्रदर्शित करते हैं। इनमें भाकृअनुसं-नवोन्मेषी किसान और भाकृअनुसं-अध्येता किसान शामिल हैं:
इन पुरस्कारों के माध्यम से, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) उन्नतशील और नवाचारी किसानों को प्रोत्साहित करता है जो व्यावहारिक कृषि प्रौद्योगिकियों और तकनीकों को विकसित और प्रसारित करते हैं। इस साल पूसा किसान मेला 22 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित किया गया था।
पूसा कृषि में मेले में 22 फरवरी 2025 को 6 किसानों को अध्येता किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिनमें ये पुरस्कार कृषि मंत्री श्री शिवराज चौहान ने किसानों को दिया।
24 फरवरी 2025 को 35 किसानों को नवोन्मेषी किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन सभी किसानों के नाम निम्नलिखित दिए गए है।
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पूसा कृषि में में इन सभी किसानों को सम्मानित किया गया। इन में से कई किसानों को पुरस्कार कई बार भी मिल चूका है।
उन्नतशील किसान पारम्परिक खेती को छोड़ कर आधुनिक खेती करके अधिक मुनाफा कमा रहे है और दूसरे किसानों को भी परम्परिक खेती छोड़ कर आधुनिक खेती करने की शिक्षा भी देते हैं।
पूसा कृषि मेले की तिथि में बदलाव के कारण किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जो की निम्नलिखित हैं-
इस प्रकार, पूसा कृषि मेले की तारीखों में बदलाव ने किसानों के लिए कई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, जो उनकी कृषि संबंधी गतिविधियों और विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
साल 2024 में भी पूसा संस्थान ने किसान मेले को कैंसिल कर दिया, जिससे की किसानों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था, पिछली साल मेला न होने के कारण किसानों को फसलों के उन्नत बीज नहीं मिले और नहीं ही खेती की कोई नवीनतम जानकारी नहीं मिली, इस साल भी मेले की तारीखों में बदलाव के कारण कई किसान नाराज हुए और मेले में भाग लेने नहीं आए, ये सभी पूसा संस्थान की बड़ी कमिया मानी जा रही हैं।
मेले में आईएआरआई के विकसित बीजों की मांग बहुत अधिक होती है, जिससे नई किस्मों की बिक्री रद्द हो जाती है। इससे किसानों को निराशा हुई क्योंकि वे नई किस्में खरीदने के लिए आते हैं।
कई बार सही प्रबंधन नहीं होने के कारण काउंटर बंद हो जाते हैं और किसानों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।
कभी-कभी मेला अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाता है, जैसे कि 2024 में हुआ था, जिससे किसानों को निराशा होती है।