पूसा कृषि मेले की कहानी मेरीखेती की जुबानी

Published on: 03-Mar-2025
Updated on: 04-Mar-2025

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute - IARI) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन एक प्रमुख संस्थान है, जो कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना 1905 में पूसा में हुई थी, जो अब नई दिल्ली में स्थित है।

इसका मुख्य उद्देश्य कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करना और कृषि उत्पादकता में सुधार लाना है। IARI विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने पर अनुसंधान करता है।

यह संस्थान कृषि विज्ञान में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर की शिक्षा प्रदान करता है साथ ही यह संस्थान नई कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास और उनके प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

किसानों की समृद्धि के लिए और नई कृषि प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए ये संस्थान हर साल मेले के माध्यम से किसानों तक सभी सूचनाएं पहुँचता है, मेले में देश के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया जाता है। 

आज के इस लेख में हम आपको पूसा संस्थान द्वारा लगाए जाने वाले पूसा कृषि में के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

ये भी पढ़ें: भारत सरकार द्वारा किसान हित में चलाई जाने वाली योजनाएं

पूसा कृषि मेला में किन किसानों को सम्मानित किया जाता है 

पूसा कृषि विज्ञान मेले में उन किसानों को सम्मानित किया जाता है जो कृषि के क्षेत्र में नवाचार और उत्कृष्टता प्रदर्शित करते हैं। इनमें भाकृअनुसं-नवोन्मेषी किसान और भाकृअनुसं-अध्येता किसान शामिल हैं:

  1. भाकृअनुसं-नवोन्मेषी किसान पुरस्कार : यह पुरस्कार उन किसानों को दिया जाता है जिन्होंने कृषि में नवाचारी तरीकों को विकसित और प्रसारित किया है।
  2. भाकृअनुसं-अध्येता किसान पुरस्कार : यह पुरस्कार उन किसानों को दिया जाता है जिन्होंने कृषि विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इन पुरस्कारों के माध्यम से, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) उन्नतशील और नवाचारी किसानों को प्रोत्साहित करता है जो व्यावहारिक कृषि प्रौद्योगिकियों और तकनीकों को विकसित और प्रसारित करते हैं। इस साल पूसा किसान मेला 22 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित किया गया था।

पूसा कृषि में मेले में 22 फरवरी 2025 को 6 किसानों को अध्येता किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिनमें ये पुरस्कार कृषि मंत्री श्री शिवराज चौहान ने किसानों को दिया। 

24 फरवरी 2025 को 35 किसानों को नवोन्मेषी किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन सभी किसानों के नाम निम्नलिखित दिए गए है।    

ये भी पढ़ें: सीमांत किसानों के लिए मल्टी फार्मिंग: लाभ, तकनीक और उत्पादन बढ़ाने के उपाय

अध्येता किसान पुरस्कार मिलने वाले किसान  

  • श्री कृष्ण मुरारी सिंह बिहार 
  • श्रीमती पूजा शर्मा हरियाणा
  • श्री. मावुराम मल्लिकार्जुन रेड्डी तेलंगाना
  • श्री. राधाश्याम बिस्वाल उड़ीसा 
  • श्री. राम नारायण चौधरी राजस्थान  
  • श्री. संजीव कुमार प्रेमी उत्तर प्रदेश

नवोन्मेषी किसान पुरस्कार मिलने वाले किसान 

  • श्री. सयम रघुनाथ आंध्र प्रदेश
  • श्री. डोकुला अप्पलानैडु आंध्र प्रदेश
  • श्री. मोनभाई थमोंग अरुणाचल 
  • श्री. शहादत हुसैन असम 
  • श्रीमती मधु पटेल बिहार  
  • श्री. अर्जुन सिंह बिहार 
  • श्री. अवनीश पात्रा छत्तीसगढ़ 
  • श्री. सुमित डागर दिल्ली 
  • श्री. कमलाकांत साल्वो तारि गोवा 
  • श्री. हेमन्तभाई एम. शाह गुजरात  
  • श्री. गुरबाज सिंह हरियाणा 
  • श्रीमती मीना कुमारी हिमाचल प्रदेश                  
  • श्री. अरुण शर्मा  जम्मू-कश्मीर   
  • श्री. श्रवण कुमार गुप्ता झारखंड  
  • श्री. नागराज मोहन नाइक कर्नाटक 
  • श्री. पी.वी. जोस केरल 
  • श्री. गुलाम मोहम्मद लद्दाख 
  • श्री. मोहन सिंह सिसौदिया मध्य प्रदेश 
  • श्री. लाखन सिंह गेहलोत मध्य प्रदेश        
  • श्री. शिंदे श्रीकृष्ण सदाशिवराव महाराष्ट्र 
  • श्री. सचिन साधु सांगले महाराष्ट्र    
  • श्री. स्वुयेवेज़ो डज़ुडो नागालैंड  
  • श्री. गीतांजलि नाइक ओडिशा        
  • श्री. करनैल सिंह पंजाब  
  • श्री. रूपचंद कहार राजस्थान   
  • श्री. रावल चंद राजस्थान 
  • श्री. किशन लाल जाट राजस्थान 
  • श्रीमती पेमकिट लेप्चा सिक्किम         
  • श्री रंजीत कुमार तमिलनाडु 
  • श्री. एर्रम मल्ला रेड्डी तेलंगाना  
  • श्री. अमरेन्द्र प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश 
  • श्रीमती मंजू रानी कश्यप उत्तर प्रदेश
  • श्रीमती नीलम त्यागी उत्तर प्रदेश
  • श्री. हेमा डंगवाल उत्तराखंड
  • श्री. एस.के. सैमसुल जमाल पश्चिम बंगाल

पूसा कृषि में में इन सभी किसानों को सम्मानित किया गया। इन में से कई किसानों को पुरस्कार कई बार भी मिल चूका है। 

उन्नतशील किसान पारम्परिक खेती को छोड़ कर आधुनिक खेती करके अधिक मुनाफा कमा रहे है और दूसरे किसानों को भी परम्परिक खेती छोड़ कर आधुनिक खेती करने की शिक्षा भी देते हैं।

पूसा कृषि मेले की तारीखों में बदलाव होने से किसानों को करना पड़ा कई समस्याओं का सामना

पूसा कृषि मेले की तिथि में बदलाव के कारण किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जो की निम्नलिखित हैं- 

  1. तारीखों का परिवर्तन: पूसा कृषि विज्ञान मेला पहले 24 से 26 फरवरी 2025 के बीच आयोजित होने वाला था, लेकिन अब इसे 22 से 24 फरवरी 2025 तक कर दिया गया है।इस बदलाव ने किसानों की योजनाओं में बाधा उत्पन्न की है, क्योंकि कई किसानों ने पहले से ही यात्रा और आवास की व्यवस्था कर ली थी।
  2. योजना और तैयारी में कठिनाई: किसानों ने पहले से मेले के लिए अपनी तैयारी की थी, जिसमें नए बीजों और तकनीकों की जानकारी प्राप्त करने की उम्मीद थी। अब तिथियों में बदलाव ने उनकी योजनाओं को प्रभावित किया है, जिससे उन्हें असुविधा हुई है । 
  3. आर्थिक नुकसान: कुछ किसानों ने मेले में भाग लेने के लिए होटल बुकिंग और यात्रा खर्च किए थे। तिथियों में बदलाव के कारण उन्हें अपने खर्चों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा।  
  4. तारीखों में बदलाव के कारण किसानों ने नहीं लिया मेले में भाग : तिथियों के परिवर्तन के कारण बहुत सारे किसान मेले भाग लेने भी नहीं आए, जिससे उनके लिए नई तकनीकों और उन्नत किस्मों की जानकारी प्राप्त करने का अवसर छूट जाएगा।    

इस प्रकार, पूसा कृषि मेले की तारीखों में बदलाव ने किसानों के लिए कई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, जो उनकी कृषि संबंधी गतिविधियों और विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

साल 2024 में भी पूसा संस्थान ने किसान मेले को कैंसिल कर दिया, जिससे की किसानों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था, पिछली साल मेला न होने के कारण किसानों को फसलों के उन्नत बीज नहीं मिले और नहीं ही खेती की कोई नवीनतम जानकारी नहीं मिली, इस साल भी मेले की तारीखों में बदलाव के कारण कई किसान नाराज हुए और मेले में भाग लेने नहीं आए, ये सभी पूसा संस्थान की बड़ी कमिया मानी जा रही हैं।  

पूसा कृषि मेला क्यों बना किसानों के लिए निराशा का कारण  

मेले में आईएआरआई के विकसित बीजों की मांग बहुत अधिक होती है, जिससे नई किस्मों की बिक्री रद्द हो जाती है। इससे किसानों को निराशा हुई क्योंकि वे नई किस्में खरीदने के लिए आते हैं। 

कई बार सही प्रबंधन  नहीं होने के कारण काउंटर बंद हो जाते हैं और किसानों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। 

कभी-कभी मेला अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाता है, जैसे कि 2024 में हुआ था, जिससे किसानों को निराशा होती है।