ठंड के चलते पड़ने वाले पाले से फसलों को बचाने के लिए कुछ उपाय

Published on: 09-Jan-2024

सर्दियों में पाला पड़ने की वजह से कृषकों की समस्या भी काफी बढ़ जाती है। हम सामान्यतः देखते हैं, कि पाला पड़ने पर किसान अपने खेत- खलियानों पर धुंआ करते हैं। सर्दियों में कृषकों को अपने खेतों में धुआं करते हैं। यदि आप ग्रामीण परिवेश में हों या उसके समीप रहते होंगे। ठंड में आपने ये देखा होगा कि शर्दी बढ़ने के साथ ही कृषकों की समस्याऐं काफी बढ़ जाती हैं। इतना ही नहीं अपनी फसलों को संरक्षित करने के लिए भी किसान भाई धुंआ करते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कृषक अपने खेतों में धुआं किस वजह से करते हैं और कृषक धुंआ करके अपनी फसलों को किस प्रकार से बचाते हैं। 

आज कल ठंड के कारण खेतों में पड़ रहा प्रचंड पाला

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि सर्दियों के दौरान खेतों में पाला पड़ता है। खेत में पाला पड़ने की वजह से तापमान जीरो डिग्री सेंटीग्रेड से भी नीचे चला जाता है। ऐसे हालात में पौधों की कोशिकाओं में ठंड के चलते बर्फ जम जाता है। इसी वजह से कोशिकाएं मर जाती हैं। इसलिए पेड़- पौधों को पाले से संरक्षित करने के लिए किसान पुराने उपाय खेतों में करते हैं।  ये भी पढ़ें: जाड़े के मौसम में अत्यधिक ठंड (पाला) से होने वाले नुकसान से केला की फसल को कैसे बचाएं ?

खेतों को पाले के कहर से बचाने की तरकीब  

खेतों को सर्दियों के मौसम में पाले से संरक्षण करने के लिए कृषक विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। इनमें सबसे सफल एवं उपयोगी उपाय है, खेत के किनारों पर बड़े-बड़े वृक्ष जैसे- शीशम, बबूल, जामुन आदि लगाना चाहिए। विगत कुछ वर्षों के उपरांत यह पेड़ किसानों के लिए प्रॉपर्टी बन जाते हैं। साथ ही, खेत के लिए वायुरोधी (हवा को रोकने) का कार्य करते हैं। जो कृषक अपने खेत के किनारों पर वृक्ष नहीं लगा सकते वह खेतों में धुआं करते हैं। यह उपाय बहुत पुराना और अत्यंत कारगर माना गया है। इस वजह से कृषक सर्दियों में खेतों में धुंआ करते हैं। 

खेतों के अंदर धुआं करने के क्या-क्या लाभ हैं ? 

ठंड के समय में जब हद से ज्यादा पाला पड़ता है, उस दौरान किसान खेतों में धुंआ करते हैं। धुंआ करने से उसकी फसल पाले की वजह से तकरीबन बच जाती है। क्योंकि, धुंआ करने से खेत में हरित गृह प्रभाव (ग्रीन हाउस इफेक्ट) बन जाता है, जिसमें ऊष्मा अंदर तो आ सकती है लेकिन उससे बाहर नहीं जा सकती है। इस वजह से खेत के अंदर का तापमान बेहद बढ़ जाता है और फसलें पाले के प्रकोप से बच जाती हैं।

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