ट्रैक्टर बीमा किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है, जो अप्रत्याशित घटनाओं के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाव करता है।
चूंकि ट्रैक्टर खेती में कई कार्यों जैसे जुताई, बुवाई, छिड़काव, फसल ढुलाई और अन्य कृषि गतिविधियों में प्रयोग होता है, इसका बीमा कराना अत्यंत आवश्यक है।
ट्रैक्टर की ऊंची कीमत के कारण किसान अक्सर इसे खरीदने के लिए लोन लेते हैं। यदि ट्रैक्टर क्षतिग्रस्त हो जाए तो यह किसान के लिए बड़ा आर्थिक संकट बन सकता है।
बीमा योजना ऐसे जोखिमों को कम करती है और आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा, कई बैंक और वित्तीय संस्थान लोन देते समय ट्रैक्टर बीमा को अनिवार्य बनाते हैं ताकि किसी भी अनहोनी की स्थिति में उनका निवेश सुरक्षित रहे।
ट्रैक्टर बीमा किसानों को मानसिक शांति भी प्रदान करता है, क्योंकि वे जानते हैं कि किसी भी आपदा या दुर्घटना के समय उन्हें आर्थिक सहायता प्राप्त होगी।
विशेष रूप से छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए, जो पहले से ही सीमित संसाधनों पर निर्भर होते हैं, बीमा उन्हें आर्थिक संकट से बचाने में सहायक होता है।
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ट्रैक्टर बीमा आमतौर पर एक वर्ष के लिए वैध होता है और बीमित राशि वाहन के घोषित मूल्य (IDV) के आधार पर तय की जाती है। बीमा राशि निर्धारित करते समय वाहन की उम्र, स्थिति और अन्य तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है।
यदि ट्रैक्टर दुर्घटना का शिकार हो जाए, चोरी हो जाए या क्षतिग्रस्त हो जाए, तो बीमा दावा दर्ज करना आवश्यक है। दावा करते समय निम्नलिखित विवरण आवश्यक होते हैं:
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दावा प्रक्रिया के दौरान निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं:
सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने और दावा स्वीकृत होने के बाद, मुआवजा राशि पॉलिसीधारक के खाते में स्थानांतरित कर दी जाती है।
किसान अपनी कड़ी मेहनत से फसल उगाते हैं, और ट्रैक्टर उनकी खेती के लिए एक अमूल्य संपत्ति है।
ट्रैक्टर बीमा करवा कर किसान अपने इस महत्वपूर्ण संसाधन को सुरक्षित रख सकते हैं और किसी भी संभावित दुर्घटना से उत्पन्न होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से बच सकते हैं।
अतः हर किसान को अपने ट्रैक्टर का बीमा अवश्य कराना चाहिए ताकि वे निश्चिंत होकर अपनी कृषि गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।