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अनूठे गुड़ की ब्रांडिंग करेगी योगी सरकार

Published on: 27-Jan-2021

गुड़ पूरे साल तो नहीं परन्तु सर्दियों में ज्यादातर घरों में आज भी पसंद किया जाता है। इटावा के निकट के कुछ ढ़ाबों पर विशेषतौर पर गुड़ की चाय बिकती और लोगों द्वारा पसंद की जाती है। जिन इलाकों में गुड़, गन्ना और चीनी को छोड़कर सामान्यतौर पर किसानों द्वारा बनाए जाने वाले गन्ने के उत्पाद खाए जाते हैं वहां पशु और मानव दोनों का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। बात साफ है कि गुड़ यूं तो सामान्यतौर पर खास होता ही है लेकिन यदि इसे और बेहतरी से बनाया जाए तो यह मिठाइयों की कीमतों को भी पीछे छोड़ देता है। उत्तर प्रदेश में लोगोें ने गुड़ में इस तरह की विविधता को पैदा किया है। बाजार में गुड़ भले ही 40 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा हो लेकिन मेरठ, बुलंदशहर आदि इलाकों के लोग 200 से हजार रुपए तक गुड़ बेच रहे हैं। योगी सरकार ने प्रदेश की इन विभिन्न विविधताओं को देशभर में लोगों तक पहुंचाने और प्रचारित करने को एक योजना बनाई है। इसे एक जिला एक उत्पाद नाम दिया गया है। कौन नहीं जानता कि आगरा का पेठा, फिरोजाबाद का कांच उद्योग, बनारस की साड़ी, मथुरा का पेड़ा, खुर्जा के चीनी मिट्टी के बर्तन अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। प्रदेश सरकार ने ब्यापक स्तर पर राजधानी लखनऊ में गुड़ महोत्सव की तैयारी कर ली है। योजना में आयोध्या एवं मुजफ्फरनगर के गुड़ और उससे बने उत्पादों को शामिल किया गया है।

2 दिवसीय होगा गुड़ महोत्सव 2021 :

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के हिसाब से गुड़ महोत्सव की संभावित तारीख 13 से 14 फरवरी हो सकती है। पूर्व में मुजफ्फर नगर में इस तरह का महोत्सव किया जा चुका है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के मद्देनजर गन्ना विकास संस्थान एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञ भी गुड़ के दर्जनों उत्पाद बनाने में लगे हैं। मिठाई, चाकलेट, केंडी, खीर जैसे अनेक उत्पाद यहां लोगों को देखने और खाने को मिल सकेंगे। इसके अलावा गुड़ की करीब एक सैकड़ा प्रसंस्कृत वैरायटी महोत्सव में विभिन्न उद्योगों द्वारा प्रदर्शित की जाएंगी।

प्राकृतिक मिठास घोलेगा गुड़

बाजार में बिकने वाले सामान्य गुड़ में अब वह बात नहीं जो पहले के जमाने में हुुआ करती थी। कारण यह है कि वर्तमान में गुड़ की सफाई भी सस्ते कमिकल से लोग करने लगे हैं। पहले ज्यादातर जंगली भिण्डी की लकड़ी से साफ किया जाता था। गुड़ खाने के बाद में मुंह खट्टा नहीं होता था लेकिन प्रदेश सरकार के गुड़ महोत्सव में हर तरह का गुड़ होगा। श़़ुुद्धता के पैमाने पर जैविक और विशेषतौर पर प्रसंस्कृत गुड़ यहां मिल सकेगा। निश्चय ही इस महोत्सव के प्रयोग से किसानों को एक बार परंपरागत गुड़ निर्माण जैसे कार्य को अपने खेतों पर शुरू करने में आसानी होगी।

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