किसानों को बैलों की उपयोगिता के बारे में बताने के लिए बुंदेलखंड में सालों से होती है बैलों की दौड़

By: MeriKheti
Published on: 04-Feb-2023

बुंदेलखंड के अंदर आयोजित होने वाली बैलगाड़ी दौड़ सुर्खियां बटोर रही है। उससे भी अधिक चर्चा की बात यह है, कि दौड़ में भाग लेने वाले बैलों का आहार, जो कि सामान्य चारे की तुलना में घी, मेवा का सेवन करते हैं। वर्तमान के आधुनिक दौर में मशीनीकरण का प्रचलन बहुत तीव्रता से बढ़ गया है। इसके लाभ तो काफी हैं, लेकिन हानि भी हैं। इसकी वजह से कृषि में बैलों की निर्भरता को नाममात्र के समान कर दिया है, जो बैल पुराने समय में किसानों की वास्तविक सवारी होती थी। उनके स्थान पर ट्रैक्टर एवं मशीनों ने ले ली है। पशुपालन बस गाय भैंस तक ही नहीं रहा है। ये भी देखें: इस राज्य में 50 प्रतिशत अनुदान पर मिल रहे ट्रैक्टर जल्द आवेदन करें दरअसल, भारत के विभिन्न स्थानों में इन्नोवेटिव आइडिया से बैलों की हिस्सेदारी को बढ़ाया जा रहा है। कुछ लोगों के द्वारा इनके जरिए विघुत निर्मित की जा रही है। वहीं, कुछ लोग बैलों की सहायता से पारंपरिक विधि से तेल का उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। जल्लीकट्टू के बैलों के विषय में तो ज्यादातर लोग जानते हैं। लेकिन, हम आज बताने जा रहे हैं, बुंदेलखंड में आयोजित होने वाली बैलों की दौड़ के विषय में। प्रत्येक वर्ष बुंदेलखंड में इस दौड़ का आयोजन होता है, जिसमें हिस्सा लेने हेतु विभिन्न किसान-पशुपालक अपने बैलों को उतार सकते हैं। इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में बैलों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने से पूर्व बैलों को बेहतर रूप से चुगाया जाता है। जिससे कि बैलों का स्वास्थ्य अच्छा रहे एवं वह काफी फुर्ती में रह सकें। इस वर्ष लगभग 12 बैलगाड़ी शम्मिलित हुई हैं। जो कि एक अनोखी दौड़ का सिलसिला माना जा रहा है।

यह बैलों की दौड़ किस प्रकार से होती है

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में उपस्थित हमीरपुर में प्रतिवर्ष बैलगाड़ी दौड़ आयोजित की जाती है। इस वर्ष में भी 12 बैलगाड़ियां इस दौड़ का हिस्सा बनने जा रही हैं। जिसमें से 4 बैलगाड़ी आखिरी में पहुंच पाई हैं । बैलों की अनोखी दौड़ को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। सड़कों पर बैलों की दौड़ को देखने से लोगों का उत्साहवर्धन होता है। जहां पर एक ओर लोग सड़कों पर मोटर साइकिलें दौड़ाते नजर आते हैं। ये भी देखें: तेज मशीनी चाल के आगे आज भी कायम बैलों की जोड़ी संग किसान की कछुआ कदमताल वहीं, एक दूजे को पछाड़ते बैलों की दौड़ के आकर्षण से लोग अचंभित रह जाते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बैल आखिर इतने फुर्तीले क्यों होते हैं। आपको बतादें, कि इन बैलों को कोई सामान्य चारा नहीं खिलाया जाता, बल्कि घी एवं मेवा खाने में दिया जाता है।

बैलों को आहार में क्या दिया जाता है

किसानों का कहना है कि, वह अपने बैलों को प्रतियोगिता में उतारने से पूर्व ही उनकी बेहतर तरीके से चुगाई शुरू कर दी जाती है। खान-पान से लगाकर रख-रखाव का पूर्णतय ध्यान रखा जाता है। बैलों को और ज्यादा फुर्तीला एवं मजबूत करने हेतु दूध में बादाम, काजू, किशमिश पीसकर खिलाए जाते हैं। इन बैलों को दूध भी पिलाया जाता है।

कितने वर्षों से यह बैलों की दौड़ का सिलसिला चल रहा है

बैलों की दौड़ कोई अचंभे की बात नहीं है, बल्कि इसका पिछले 45 वर्षों से इसे आयोजन किया जा रहा है। आपको बतादें कि हमीरपुर जनपद में इस बैल दौड के प्रदर्शन हेतु दूर-दूराज से लोग पहुँचते हैं। साथ ही, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा, जालौन के किसान भी इस दौड़ में शामिल होते हैं। जिस दौड़ के लिए बहुत दिन पूर्व से ही बैलों को पुष्ट किया जाता है। इस बैलगाड़ी दौड़ का प्रमुख लक्ष्य व्यक्तियों को मशीनों के युग में बैलों की उपयोगिता समझानी है। ये भी देखें: नंदी रथ के जरिए किसान कर रहे हैं हर महीने कमाई, जाने क्या है तरीका

बैलगाड़ी की दौड़ में जीतने वाले बैलों उपहार दिया जाएगा

मीडिया खबरों के अनुसार, बुंदेलखंड में आयोजित हो रही इस विशेष बेल प्रतियोगिता में जीत दर्ज कराने वाले प्रतिभागियों को इनाम भी प्रदान किया जाता है। बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने वाली समिति द्वारा किसानों को शील्ड, घड़ी एवं बड़े-बड़े कूलर भी ईनाम स्वरुप प्रदान किए जाते हैं। इस समिति का कहना है, कि किसान एवं बैलों के मध्य की दूरी को कम करने हेतु ही इस दौड़ का आयोजन किया जाता है। यह इस वजह से भी आवश्यक है। ताकि 25 फीसदी किसानों को पुनः बैल पालन हेतु प्रोत्साहित किया जा सके। इस प्रकार किसान बैलों को रोड पर छोड़ने की जगह उनकी अच्छी तरह देखरेख करने लगें।

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