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गुलमेंहदी क्या होती है? इसकी खेती, उपयोग और पैदावार के बारे में जानकारी

Published on: 18-Oct-2024
Updated on: 18-Oct-2024

गुलमेंहदी एक जड़ी-बूटी का पौधा है, जिसको औषधीय और मसाले के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उगाया जाता हैं। इसको अंग्रेजी में Rosemary भी कहा जाता हैं।

हमारे देश में भी इसकी खेती कई स्थानों पर की जाती हैं। गुलमेंहदी का उपयोग मास, सुप और विभिन्न व्यंजनों में मसाले के रूप में किया जाता हैं। आज के इस लेख में हम आपको गुलमेंहदी से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

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गुलमेंहदी क्या होती है?

गुलमेंहदी या Rosemary एक सुगन्धित जड़ी-बूटीक पौधा है, इसका वैज्ञानिक नाम Rosmarinus officinalis हैं, जो की पुदीने के परिवार से संबंधित है।

इसका उपयोग कई चीजों में किया जाता हैं सबसे ज्यादा इसको सौंदर्य और त्वचा के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। इससे इत्र, साबुन, और अन्य सुगंधित उत्पाद भी बनाए जाते हैं।

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गुलमेंहदी के उपयोग

गुलमेंहदी एक बहुत उपयोगी पौधा जिसको कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता हैं जो की निम्नलिखित हैं:

औषधीय गुण

इसकी सुगंध और स्वाद अद्भुत हैं, और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।

गुलमेंहदी को माउथ फ्रेशनर के रूप में, चिकित्सीय सहायता के लिए इसका उपयोग सिरदर्द, पेट के दर्द, और जोड़ों के दर्द के इलाज में किया जाता है।

गुलमेंहदी में एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो की पाचन सुधारने, और तनाव कम करने में सहायक होते हैं।

खाद्य सामग्री

गुलमेंहदी आम तौर पर मांस, सूप और कई अन्य व्यंजनों में मसाला होता है। ताजा और सूखा दोनों इसका उपयोग होता है।

सौंदर्य और त्वचा के लिए

गुलमेंहदी का तेल भी निकलता हैं जो की बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह बालों के विकास को बढ़ाता है और त्वचा को चमकदार बनाता है।

इसके साथ ही इसका उपयोग इत्र, साबुन, और अन्य सुगंधित उत्पादों को बनने के लिए भी किया जाता हैं।

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गुलमेंहदी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

गुलमेंहदी की खेती के लिए 30 डिग्री सेल्सियस से नीचे ठंडी सर्दी और हल्की गर्मी की आवश्यकता होती है। समशीतोष्ण जलवायु क्षेत्र गुलमेंहदी की खेती के लिए उपयुक्त हैं।

गुलमेंहदी खेती के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों का वातावरण अनुकूल है। बुवाई के दौरान ठीक तापमान 14°-15° सेल्सीयस होना चाहिए।

गुलमेंहदी के लिए 5.5 से 7.0 pH वाली अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है।

जब पीएच 5.0 से नीचे हो, तो डोलोमाइट 2.5 टन/हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए और मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए।

बुवाई के लिए भूमि की तैयारी

भूमि को दो बार अच्छी तरह से जोत कर भुरभुरा बना लें। आखिरी जुताई के समय 2 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद और 500 किलोग्राम नीम की खली डालकर अच्छी तरह मिला देना चाहिए।

सुविधाजनक आकार की 30 से.मी. ऊंचाई, 1.5 मीटर चौड़ाई और लंबाई की क्यारियां तैयार करें।

रोपण के समय 5 किलोग्राम एज़ोस्पिरिलम और 5 किलोग्राम फॉस्फोबैक्टीरियम को मिट्टी में डालकर अच्छी तरह मिला देना चाहिए।

कटिंग की तैयारी और रोपण प्रक्रिया

  1. कटिंग का चयन: फूल आने से पहले 10-15 सेंटीमीटर लंबाई की अर्ध-दृढ़ लकड़ी से कटिंग लें। ऊपर के कुछ पत्तों को छोड़ दें, जबकि बाकी पत्ते रोपण से पहले हटा दें।
  2. रोपण मिश्रण: कटिंग को जड़ उगाने के लिए पॉलिथीन बैग में मिट्टी, रेत और पत्ती के खाद के मिश्रण में लगाएं।
  3. घोल का उपयोग: रोपण से पहले, कटिंग को 3% पंचगव्य घोल या 10% सीपीपी घोल में 20 मिनट तक भिगोया जा सकता है। इससे कटिंग के जड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
  4. सुरक्षा और पानी देना: कटिंग वाले थैलों को छाया में रखें और उन्हें दिन में दो बार पानी दें।
  5. जड़ निकलने का समय: जड़ों वाली कटिंग 60 दिनों के अंदर मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाएंगी।

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रोपण का तरीका

गुलमेंहदी की खेती करते समय अच्छे और स्वस्थ्य बीजों का उपयोग करें, जिससे फसल को कोई नुकसान नहीं होगा। पौधों को पहले बीज द्वारा नर्सरी में तैयार कर ले।

जब पौधे खेत में रोपने योग्य हो जाता है, तो उसे 45 X 45 से.मी. की दूरी पर रोपना चाहिए। पौधे को नर्सरी में तैयार करने के बाद, मिट्टी में आवश्यक खाद मिलने के बाद बीज बोया जाना चाहिए।

कटाई और पैदावार

बुवाई के बाद, गुलमेंहदी का पौधा कई साल तक उपज देता रहता है। बुआई के चार महीने बाद पचास प्रतिशत फूल आने पर कोमल हिस्से को काटकर उपज ले सकते है, हरे पत्तो की उपज 12-13 t/ha तक ले सकते हैं। फसल से 2.5 क्विंटल हेक्टेयर सुखी पत्तियों की उपज ले सकते है।