केंद्र सरकार ने इस फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में किया इजाफा, अब किसान होंगे मालामाल

By: MeriKheti
Published on: 31-Mar-2023

देश की केंद्र सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने का प्रयत्न कर रही है। इसके अंतर्गत आए दिन सरकार नई योजनाएं लॉन्च करती रहती है, जिससे देश के किसानों को फायदा होता है और कृषक आधुनिक तरीके से खेती करके अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। इसके साथ ही समय-समय पर केंद्र सरकार किसानों से खरीदे जाने वाले अनाज और कच्चे माल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी बढ़ोत्तरी करती है ताकि किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके। अब खबर है कि केंद्र सरकार ने जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है। यह निर्णय सरकार ने किसानों की मांग को देखते हुए लिया है। जूट के किसान लंबे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की मांग कर रहे थे। इसके लिए केंद्र सरकार की आर्थिक मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए ) ने मंजूरी भी दे दी है। सीसीईए  के अधिकारियों ने बताया है कि यह वृद्धि सिर्फ 2023-24 सीजन के लिए की गई है। ताकि देश के लाखों जूट किसान इससे लाभान्वित हो पाएं। ये भी पढ़े: न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में बेहतर जानें फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सरकार ने जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। इसके साथ ही अब जूट का सरकारी रेट 5050 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। सरकार की इस घोषणा से देश के 40 लाख जूट किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही जूट उद्योग में लगे 4 लाख ज्यादा कामगारों को अप्रत्यक्ष फायदा होगा। जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने तारीफ की है।

भारत के इन राज्यों में होता है जूट का उत्पादन

जूट का उत्पादन ज्यादातर पूर्वी भारत में किया जाता है। इसकी खेती खास तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में की जाती है। इन राज्यों के कुछ चयनित जिलों में जूट का उत्पादन किया जाता है। देश में जूट की खेती से लाखों किसान जुड़े हुए हैं। जो इनकी आय का मुख्य साधन है। देश में जूट सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। भारत के कुल उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत जूट पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। पश्चिम बंगाल का मिदनापुर जिला इसकी खेती का गढ़ माना जाता है। इसी कारण जूट मिलों की संख्या भी पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा जूट उत्पादक देश है। भारत में हर साल औसतन 1,960,380 टन जूट का उत्पादन किया जाता है। भारत के बाद बांग्लादेश जूट का दूसरा सबसे बाद उत्पादक देश है। देश में जूट का सबसे ज्यादा उपयोग बैग, थैला, बोरी, रस्सी और कई अन्य तरह की चीजें बनाने में होता है। देश की केंद्र सरकार जूट की खेती को लगातार बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार ने इसे जूट पैकेजिंग अधिनियम, 1987 के अंतर्गत अधिनियमित किया है। जिसके अंतर्गत कई तरह की चीजों को जूट की थैलियों में पैक करना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने खाद्यान्न को पैक करने के लिए पूरी तरह से जूट के बोरे उपयोग करने के आदेश दिए हैं, इसके साथ ही चीनी की 20% पैकिंग भी जूट के बोरों में करनी होगी। देश में जूट से कुल उत्पादित होने वाले 70 प्रतिशत सामान की राज्य और केंद्र सरकारें खरीदारी करती हैं। देश में जूट के बोरों का सबसे ज्यादा उपयोग अनाज भरने के लिए किया जाता है।

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