कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई गेंहू की प्रतिरोधी किस्मों को मिला पुरुस्कार

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई गेंहू की प्रतिरोधी किस्मों को मिला पुरुस्कार

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गेहूं रबी सीजन की सबसे अधिक बोई जाने वाली फसल है। किसान ज्यादा पैदावार कर ज्यादा मुनाफा उठा सकें। इसके लिए गेहूं की उन्नत किस्म विकसित की जा रही है। ऐसे में भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नवीन किस्म डीबीडब्ल्यू 327 को विकसित किया है। यह उच्च उत्पादन देने वाली और रोग-प्रतिरोधी किस्म है।

गेहूं की फसल की ज्यादा उपज बढ़ाने के लिए किसान एवं वैज्ञानिकों की तरफ से कोशिशें की जा रही हैं। इसी कड़ी में भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक नवीन प्रजाति डीबीडब्ल्यू- 327 (DBW- 327) विकसित की है, जिससे 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार मिल सकती है। इस किस्म की प्रमुख बात यह है, कि इस गेहूं की फसल पर मौसम का कतई असर नहीं पड़ेगा। इसके उत्पादन में भी कोई अंतर नहीं होगा। गेंहू की यह किस्म रोग प्रतिरोधी है। साथ ही, ये 155 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। साथ ही, यदि उत्पादन की बात की जाए तो इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 80 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। जो कि बाकी किसी भी गेहूं की किस्म से अधिक है।

5 गेंहू की किस्मों के लिए मिला पुरस्कार

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने हाल ही में गेहूं की पांच नवीन किस्में विकसित की हैं। गेहूं की नई किस्मों के तकनीकी विकास के लिए भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला द्वारा प्रदान किया गया है।

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गेंहू की प्रतिरोधी किस्म डीबीडब्ल्यू 327

भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है, कि डीबीडब्ल्यू 327 (DBW 327) गेहूं की नवीन किस्म एक प्रतिरोधी किस्म है। इस किस्म की गेहूं की फसल में कीटनाशकों के खात्मे के लिए किए गए छिड़काव की लागत भी कम होगी। इसके साथ ही तेज धूप, कम पानी एवं बेमौसम बरसात का कोई भी असर नहीं पड़ेगा। किसानों को इसकी अत्यधिक देखभाल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसकी पैदावार से किसानों को ज्यादा मुनाफा अर्जित होगा।

इन राज्यों के किसानों होगा लाभ

डीबीडब्ल्यू 327 गेहूं की इस किस्म का सबसे ज्यादा लाभ हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली के किसानों को होगा। क्योंकि यहां की जलवायु परिस्थितियां इस किस्म के लिए अनुकूल हैं। ये बीज शीघ्र ही किसानों को मुहैय्या कराएं जाएंगे। बतादें, कि किसानों को इन बीजों से काफी फायदा होगा।

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