केले की खेती करने वाले किसान दें ध्यान, नही तो बढ़ सकती है मुसीबत: वैज्ञानिक - Meri Kheti

केले की खेती करने वाले किसान दें ध्यान, नही तो बढ़ सकती है मुसीबत: वैज्ञानिक

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विगत कुछ सालों से किसान केले की खेती (Banana Farming) पर काफी ध्यान दे रहे हैं, क्यूंकि केले की खेती ने किसानों की आय बढ़ा दी है। आपको बता दें की केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी अभी काफी ध्यान दी हुई है, इसके लिए सरकार के द्वारा बहुत सारी योजनाएं भी बनायी गयी हैं। इसके तहत किसानों को कम दर पर ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है,और सब्सिडी भी उपलब्ध करायी जा रही है, जिससे किसानों का भी ध्यान काफी बढ़ा है केले की खेती पर।

वैज्ञानिकों के अनुसार केले की खेती के साथ साथ अभी किसान एक मिक्स्ड क्रोप्पिंग (Mixed Cropping) या सहफसली खेती या मिश्रित खेती कर दुगुना लाभ ले रहे हैं। मिक्स्ड क्रोप्पिंग में किसान एक ही खेत में एक ही समय में दो फसल उगा कर काफी मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में केले में लगने वाले अलग अलग तरह के रोग किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। आज कल केले में होने वाली बीमारी जिसका नाम श्रोट चॉकिंग (गला घुटना) है, ने तमाम किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है।

गौरतलब हो की उत्तर भारत के बिहार एवं उत्तरप्रदेश में केला ज्यादातर सितम्बर के महीने में लगया जाता है। सितम्बर में रोपाई के बाद केला में इस बिमारी का विकराल रूप देखने को मिलता है। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की यह बीमारी केले के लम्बे प्रजाति के अपेक्षा बौने प्रजाति में सामान्यतः देखने को मिलती है।

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पुरे भारत में केले की खेती की जाती है। किसानों के जानकारी के लिए थ्रोट चॉकिंग (गला घोंटना; throat choking) नामक बीमारी में केले का फल का गुच्छा कुछ सामान्य तरीके से न निकल कर, असमान्य तरीके से तने को फाड़ते हुए निकलने लगता है।

वरिष्ट फल वैज्ञानिकों के अनुसार, किसान को इस समय इस बीमारी से बचने के लिए केले की लम्बी प्रजाति के किस्मों का चयन करना चाहिए, क्यूंकि लम्बे प्रजाति में यह बीमारी कम पायी जाती है। वैज्ञानिकों की माने तो लम्बे प्रजाति के किस्म जैसे, चंपा, चीनी चंपा, मालभोग, कोठिय, बत्तिसा, अल्पान का प्रयोग करें और समय पर केले की रोपाई भी करें।

किसान और क्या दें ध्यान

किसानों को केले के खेत में कम से कम जलजमाव हो इसका खास ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए केले के खेत में जल निकासी का उत्तम प्रबंध भी करना चाहिए। केले के खेती में बेहतर खाद और उर्वरक का प्रयोग भी करना चाहिए, विशेषतः गर्मी के मौसम में किसानों को केले के खेत में ससमय सिंचाई भी करनी चाहिए, जिससे इसकी पैदावार अच्छी हो।

किसानों का कहना है की अभी जिस तरह ये बिमारी फैल रही है, उस पर सरकार को विशेष ध्यान देकर किसानों को इससे निजात दिलाना चाहिए। अन्यथा किसान को इससे काफी नुक्सान का सामना करना पड़ेगा, थ्रोट चॉकिंग (गला घोंटना) नामक बिमारी से केले की पैदावार में काफी कमी आई है जो की किसानों के लिए चिता का विषय बना हुआ है।

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