किसान ने बाजरा की खेती करने के लिए तुर्की से मंगवाया बाजरा

किसान ने बाजरा की खेती करने के लिए तुर्की से मंगवाया बाजरा

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महाराष्ट्र राज्य के धुले जनपद में सकरी तालुका के पिंपलनेर निवासी किसान निसार शेख ने तुर्की (Turkey) से बाजरे (Pearl millet; Bajra) के बीज मंगाकर, बाजरे की खेती तैयार की है, जिससे उनको अच्छा खासा मुनाफा होने की आशा है।

खेती की सारी तैयारी बेहतर तरीके से करने में सफल हुए निसार शेख, तुर्की से मंगाये बाजरे द्वारा तैयार की गयी फसल की ऊंचाई लगभग १२ फीट तक हो चुकी है। साथ ही निसार शेख ने फसल के बारे में बताते हुए कहा कि इस बाजरा की रोटी में अच्छा स्वाद है और इसकी अच्छी रोटी भी बनती है। बाजरा की फसल बारिश की वजह से काफी प्रभावित हुयी है, इसलिए उनको कम उत्पादन होने की सम्भावना है। बतादें कि तुर्की से बाजरे के बीज के लिए निसार शेख को १००० रुपये प्रति किलो की खरीदी पड़ी है।

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किसान नासिर शेख ने फसल के बारे में क्या कहा ?

नासिर शेख ने बाजरे की फसल के बारे में बताते हुए कहा है कि, उन्होंने बाजरे की बुवाई के दौरान प्रति एकड़ डेढ़ किलो बीज बोया है। इसकी भी बुवाई, जुताई एवं सिंचाई भी अन्य बाजरे की तरह ही होती है, इसमें भी समान ही उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसकी उपज ६० क्विंटल प्रति एकड़ के करीब तक होती है। इस प्रकार तुर्की से बाजरे का बीज मंगाकर बाजरे की खेती किसी ने नहीं की है, साथ ही यह एक अनोखा प्रयोग है।

अन्य क्षेत्रों से भी आ रहे हैं किसान फसल की जानकारी लेने के लिए ?

तुर्की से मंगाए गए बाजरे के बीज की चर्चा आसपास के बहुत बड़े क्षेत्र में है। इस प्रकार से बाजरे की खेती किसी के द्वारा नहीं की जाने के चलते लोग इसको देखने के लिए बहुत दूर से आ रहे हैं। किसानों को इस तरह की फसल के बारे में जानने की बहुत लालसा हो रही है, इसलिए दूर दराज रहने वाले किसान भी नासिर सेख से मिलने आ रहे हैं। किसान बाजरे की १२ फ़ीट ऊंचाई को भी देखने के लिए आतुर हैं।

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बाजरा की खेती के लिए कितने राज्य अनुकूल हैं

बाजरा की खेती के लिए उत्तराखंड, झारखंड, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरयाणा एवं आंध्र प्रदेश सहित देश के २१ राज्य के वातावरण अनुकूल हैं। बाजरा को उगाने के लिए न्यूनतम बारिश (२००-६०० मिमी) की स्तिथि में शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है। बाजरा के अंदर काफी मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं, साथ ही इसकी फसल हर प्रकार की जलवायु में आसानी से प्रभावित नहीं होती है।

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