मक्का लगाएगी नोटों का छक्का

मक्का लगाएगी नोटों का छक्का

0

मक्का की खेती कई माइनौं में लाभकारी है लेकिन अच्छे उत्पादन के लिए अच्छी तकनीकी और किस्मों का चयन बेहद आवश्यक है। प्राइवेट कंपनियों की हाइब्रिड मक्का अच्छा उत्पादन देने वाली हैं वही सरकारी संस्थानों की किस्में भी किसी से कमजोर नहीं है।भारत विविधता वाला देश है। हर राज्य के लिए दर्जनों दर्जनों किसमें हैं। लिहाजा जरूरत इस बात की है कि क्षेत्र विशेष में प्रचलित किस्मों को ही किसान लगाएं।

खरीफ सीजन में बोई जाने वाली मक्का की हाइब्रिड किस्मों में उत्तर प्रदेश और वहां की पर्यावरणीय परिस्थितियों वाले क्षेत्रों के लिए पूसा शंकर 5 अच्छी किस्म है। यह 80 से 85 दिन में पक कर 35 से 45 कुंटल तक उपज देती है। सरताज 110 दिन में पकती है तो 50 कुंतल तक ऊपर देती है। गंगा 11 105 दिन लेकर 50 कुंतल, एचक्यूपीएम 5 किस्म 110 दिन लेकर 55 कुंतल, दकन 107 किस्म 95 दिन लेकर 45 कुंटल, मालवीय संकर मक्का 290 प्रजाति 95 दिन लेकर 45 कुंतल, जेएच 34 59- 85 दिन में 40 कुंतल तक उपज देती है।

Makka ki kheti
संकुल प्रजाति की मक्का श्वेता सफेद 90 दिन में 40,पूसा कम अपोजिट दो 90 दिन में 40,प्रभात 110 दिन में 45, नवज्योति 90 दिन में 40,एंकर्स 1123 -85 दिन में 40, एम एम एस 11385 दिन में 40, नवीन 9040, आजाद उत्तम 85 दिन में 35, प्रगति 85 दिन में 35,सूर्या 80 दिन में 30, कंचन 80 दिन में 30, गौरव 85 दिन में 35,प्रो 316 -110 दिन में 45, बायो 9681- 110 दिन में 45, हवाई 1402 के 110 दिन में 45, प्रो 303- 95 में दिन में 45, के एच 9451 एवं 510- 95 दिन में 45, एम एम एस 69 -95 दिन में 45, बायो 9637 एवं 9682 किस्में भी 95 दिन में 45 कुंतल तक उपज देती हैं।

ये भी पढ़ें: मक्का की खेती के लिए मृदा एवं जलवायु और रोग व उनके उपचार की विस्तृत जानकारी

मक्का की फसल सुरक्षा

makka ki kheti
मक्का में तना छेदक कीट लगता है जो तने में सुराख कर देता है और जैसे ही तेज हवा चलती है सना बीच में से टूट जाता है। उसकी रोकथाम हेतु बुबाई से 20 -25 दिन बाद क्यूनाल फास 3% दानेदार की 20 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करनी चाहिए।

पत्ती लपेटक कीट की रोकथाम के लिए कार्बोरिल 50% घुलनशील चूर्ण की डेढ़ किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। फसल को टिड्डिडे के प्रकोप से बचाने के लिए मिथाइल पैराथियान 20 से 25 किलोग्राम का बुर्काव प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए।

भुडली यानी कमला की जिसकी गिडारें पत्तियों को खाती हैं की रोकथाम के लिए मिथाइल पैराथियान 2% चूर्ण 20 किलोग्राम क्यूनाल फास 1:30 प्रतिशत धूल 20 किलोग्राम, डाई क्लोरो वास 70-ईसी 600 मिलीलीटर एवं क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 1 लीटर में से किसी एक का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से करें। तुला सिता रोग में पतियों की निचली सतह पर सफेद रुई के समान फफूंदी दिखाई देती है । इसकी रोकथाम के लिए जिंक मैगनीज कार्बमेट की दो किलोग्राम मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। पत्तियों के झुलसा रोग में भी उक्त दवा का ही छिड़काव पर्याप्त पानी में घोलकर किया जा सकता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More