करेले की खेती करने का सही तरीका जानें

By: Merikheti
Published on: 27-Apr-2024

किसान करेले की खेती कर तगड़ा मुनाफा कमा सकते है, जानिये किस प्रकार करें करेले की खेती। सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के अलावा सब्जियों और फलों की खेती पर भी अधिक जोर दिया जा रहा है। 

किसानों की आय बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि किसान खेती कर मुनाफा कमा सके और कृषि क्षेत्र का विकास किया जा सके। 

करेले के उत्पादन के लिए किस प्रकार की मिट्टी होनी चाहिए ?

करेले की खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है, इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी को बेहतर माना जाता है। करेले की अधिक उपज के लिए अच्छे जल निकास वाली भूमि होनी चाहिए। 

इस मिट्टी के अलावा नदी किनारे की जलोढ़ मिट्टी को भी बेहतर माना जाता है। किसान उपाऊ मिट्टी में करेले की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकता है। 

करेले के उत्पादन के लिए उचित तापमान 

करेले की खेती के लिए ज्यादा तापमान की आवश्यकता नहीं रहती है। करेले के बेहतर उत्पादन के लिए नमी का होना आवश्यक है। 

करेले की खेती के लिए उचित तापमान 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए। करेले का उत्पादन नमी वाली भूमि में अक्सर बेहतर होता है। 

करेले की उन्नत किस्में 

किसान बेहतर और अधिक उत्पादन के लिए करेले की इन किस्मों का चयन कर सकते है। करेले की उन्नत किस्मों में सम्मिलित है, पूसा औषधि, अर्का हरित, पूसा हाइब्रिड-2, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, बारहमासी, पूसा विशेष, पंजाब करेला-1, पूसा दो मौसमी, सोलन सफ़ेद, सोलन हरा, एस डी यू- 1, प्रिया को-1, कल्याणपुर सोना और पूसा शंकर-1। 

करेले की बुवाई का उचित समय 

करेले की बुवाई क्षेत्रों के अनुसार अलग अलग समय पर की जाती है। मैदानी क्षेत्रों में करेले की बुवाई जून से जुलाई के बीच में की जाती है। 

ऐसे ही गर्मी के मौसम में करेले की बुवाई जनवरी से मार्च के बीच में की जाती है और जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च से जून के बीच तक की जाती है। 

करेले की बुवाई का तरीका जानें 

करेले के बीजो की बुवाई का सही तरीका इस प्रकार है। करेले के बीजो की बुवाई दो प्रकार से की जा सकती है एक तो बीजो को सीधा खेत में बो कर और दूसरा करेले की नर्सरी तैयार करके भी करेले की बुवाई की जा सकती है। 

  1. करेले की बुवाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर ले। खेत की जुताई करने के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल बना ले। 
  2. खेत में बनाई गई प्रत्येक क्यारी 2 फ़ीट की दूरी पर होनी चाहिए। 
  3. क्यारियों में बेजो की रोपाई करते वक्त बीज से बीज की दूरी 1 से 1.5 मीटर होनी चाहिए। 
  4. करेले के बीज को बोते समय , बीज को  2 से 2 .5 सेमी गहरायी पर बोना चाहिए। 
  5. बुवाई के एक दिन पहले बीज को पानी में भिगोकर रखे उसके बाद बीज को अच्छे से सूखा लेने के बाद उसकी बुवाई करनी चाहिए। 

करेले के खेत में सिंचाई कब करें 

करेले की खेती में वैसे सिंचाई की कम ही आवश्यकता होती है। करेले के खेत में समय समय पर हल्की सिंचाई करें और खेत में नमी का स्तर बने रहने दे। 

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जिस खेत में करेले की बुवाई का कार्य किया गया है वह अच्छे जल निकास वाली होनी चाहिए।  खेत में पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए। खेत में पानी के रुकने से फसल खराब भी हो सकती है। 

करेले की फसल में कब करें नराई - गुड़ाई 

खेत में निराई गुड़ाई की आवश्यकता शुरुआत में होती है। करेले की फसल में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए समय समय पर नराई गुड़ाई करनी चाहिए। 

फसल में पहला पानी लगने के बाद खेत में अनावश्यक पौधे उगने लगते है जो फसल की उर्वरकता को कम कर देते है। ऐसे में समय पर ही खेत में से खरपतवार को उखाड़ कर खेत से दूर फेंक देना चाहिए। 

करेले की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है 

करेले की फसल को तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। करेले की फसल बुवाई के 60 से 70 दिन बाद ही पककर तैयार हो जाती है। 

करेले के फल की तुड़ाई सुबह के वक्त करें, फलों को तोड़ते वक्त याद रहे डंठल की लम्बाई 2 सेंटीमीटर से अधिक होनी चाहिए इससे फल लम्बे समय तक ताजा बना रहता है।

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