राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मोटे अनाजों के उत्पादों को किया प्रोत्साहित

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मोटे अनाजों के उत्पादों को किया प्रोत्साहित

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राजस्थान में मोटे अनाजों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने बताया है, कि मोटे अनाज कुटकी, संवा, कंगनी, चेना, कोदो, बाजरा, ज्वार, रागी पारम्परिक रूप से भारतीय भोजन का भाग रहे हैं।

राजस्थान राज्य के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भारत की बढ़ती जनसंख्या को पोषण युक्त भोजन मुहैय्या कराने के लिए मोटे अनाजों की कृषि को समस्त स्तरों पर बढ़ावा दिए जाने के लिए पहल की जा रही है। उनका कहना है, कि पोषण की प्रचूर मात्रा से युक्त मोटे अनाजों के समयानुसार सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता सुद्रण बनती है। इस वजह से मोटे अनाजों को आम जनता में प्रचलित एवं लोकप्रिय बनाने के खूब प्रयास किए जा रहे हैं।

जोबनेर के श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को गुरुवार को राजभवन से डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए मिश्र ने कहा है, कि मोटे अनाज संवा, कंगनी, चेना, कोदो, बाजरा, ज्वार, रागी एवं कुटकी परंपरागत रूप से भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। राजस्थान के अधिकांश इलाकों में फिलहाल भी मोटा अनाज आम लोगों के भोजन का महत्वपूर्ण भाग है।

कृषि शिक्षा को एक नई दिशा देनी की बेहद आवश्यकता है

राज्यपाल ने बताया कि यह दौर विवेकपूर्ण कृषि का है। आपको बतादें कि बदलते समय में रोबोटिक्स, बिग डाटा एनालिटिक्स, रिमोट सेन्सिंग, आईओटी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति का स्वागत किया है। उन्होंने बताया है, कि कृषि विश्वविद्यालयों को स्मार्ट कृषि से संबंधित नई तकनीकों के लिए किसान भाइयों को जागरूक किया जाएगा। मिश्र ने बताया है, कि खराब होते मौसमिक तंत्र, जैव विविधता पर चुनौती एवं सिंचाई के साधनों के अभाव के संबंध में बेहतर सोच रखी है। कृषि शिक्षा को नई दिशा देनी की बेहद आवश्यकता है।

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विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है

राज्यपाल जी ने प्राकृतिक आपदा बारिश एवं ओलावृष्टि से कृषि पर पड़ रहे दुष्प्रभावों की ओर संकेत करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्रों के अंतर्गत जलवायु बदलाव का विस्तृत अध्ययन किए जाने की राय दी गई है। राज्यपाल ने बताया है, कि कृषि पद्धतियों के पुराने एवं नए ज्ञान का बेहतर उपयोग करते हुए किसान भाइयों के लिए प्रभावी पद्धतियां तैयार करने की जरूरत है, जिससे कि कृषि पैदावार में वृद्धि, खाद्य सुरक्षा के लिए खाद्य उत्पादन एवं भंडारण, पर्याप्त पोषण युक्त खाद्य मुहैय्या कराने के वांछित लक्ष्यों को हाँसिल किया जा सके। इस उपलक्ष्य पर 3 विद्यार्थियों को समेकित कृषि स्नातकोत्तर उपाधियां, 985 विद्यार्थियों को कृषि स्नातक उपाधियां, 32 विद्यार्थियों को पीएचडी, 75 को स्नातकोत्तर तथा आठ विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।

संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मोटा अनाज दिवस के रूप में मनाया है

आपको हम बतादें कि भारत सरकार के निवेदन पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को मोटा अनाज वर्ष की घोषणा की गई है। साथ ही, केंद्र सरकार भी भारत के अंदर मोटे अनाज की किस्मों की खेती को प्रोत्साहन देना चाहती है। इसके लिए वह किसान भाइयों को प्रेरित कर रही है। विगत माह मोटे अनाज की कृषि को बढ़ावा देने के लिए संसद भवन के अंदर बाजरे से निर्मित व्यंजन प्रस्तुत किया गया था। जिसका पीएम मोदी सहित अन्य मंत्रियों एवं सांसदों ने भी स्वाद चखा था।

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