जानें सबसे छोटी नस्ल की वेचुर गाय की विशेषताओं के बारे में

By: MeriKheti
Published on: 16-Mar-2023

सर्वप्रथम भारत के वैज्ञानिकों द्वारा देसी प्रजाति की 4 गायों का ड्राफ्ट जीनोम सिक्वेंस विकसित किया गया है। जिसके अंतर्गत उनको विभिन्न प्रकार की विशेष बातों की जानकारी हुई है। आज हम इस लेख में आपको बताने जा रहे हैं सबसे छोटी नस्ल की गाय के विषय में। हमारे भारत में किसान भाई अतिरिक्त आमदनी अर्जित करने हेतु खेती के साथ-साथ पशुपालन भी किया करते हैं। इसी दौरान भारत में नित-नए दिन पशुपालन के चलन में तीव्रता से वृद्धि देखी जा रही है। इसके लिए किसान भाइयों को सरकार के माध्यम से भी आर्थिक सहायता अर्जित होती है। यदि आप भी ज्यादा धन कमाने हेतु पशुपालन करने के विषय में विचार कर रहे हैं। तो आपको उसके लिए देसी नस्ल की गाय का चयन करना बेहद फायदेमंद माना जाएगा। इन गायों से किसानों को काफी सारे फायदे होते हैं। असलियत में प्राकृतिक खेती से लेकर यह दूध उत्पादन तक बेहद फायदेमंद साबित होती हैं। इसी संबंध में IISER के वैज्ञानिकों द्वारा देसी गायों पर शोध किया गया है, जिसमें उनको विभिन्न तरह की विशेष बातों के बारे में जानकारी मिली।

पहली बार देसी नस्ल की गाय का हुआ जीनोम सीक्वेंसिंग

खबरों के मुताबिक, भारतीय विज्ञान शिज्ञा और अनुसंधान संस्थान (IISER) के वैज्ञानिकों द्वारा देसी गायों की ड्राफ्ट जीनोम सिक्वेंस विकसित कर दिया गया है। कहा जा रहा है, कि भारत में सर्वप्रथम देसी गाय पर आजमाई गई जीनोम सीक्वेंसिंग की प्रोसेस की गई है। जिसमें 4 नस्ल की गाय वेचूर, ओगोंल कासरगोड ड्वार्फ और कोसरगोड कपिला को शम्मिलित किया गया है। यह भी पढ़ें: इन नस्लों की गायों का पालन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

जानें सबसे छोटी गाय के बारे में

इस शोध से वैज्ञानिकों को यह मालूम करने में भी सहायता मिली है, कि विश्व की सर्वाधिक छोटी नस्ल की गाय वेचुर गाय है। आपको बतादें कि इस गाय की हाइट बस 2.8 फीट तक होती है। केवल यह ही नहीं इस गाय के दूध में अन्य गायों की तुलना में सर्वाधिक प्रोटीन पाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि विश्व की सर्वाधिक छोटी नस्ल की इस गाय के माध्यम से प्रतिदिन 2 से 3 लीटर तक दूध अर्जित किया जा सकता है। यदि आप इस गाय का पालन करते हैं, तो इसके लिए आपको ज्यादा परिश्रम करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि यह अन्य गायों की अपेक्षा कम चारे में ही अपना जीवन यापन करने की विशेषता रखती है।

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