Isabgol Farming-ईसबगोल की खेती में लगाइये हजारों और पाइए लाखों
किसान भाइयों, आज के जमाने में कम लागत में अधिक कमाई कौन नहीं करना चाहता है, फिर किसान भाई ही इसमें पीछे क्यों रहें? ऐसा नहीं कि किसानों के लिये संभव नहीं है, संभव है लेकिन जरा सा उस ओर ध्यान देने की जरूरत है। बाकी आप खेती तो करते हो चाहे गेहूं की खेती करो चाहे जीरा की खेती करो। खेती तो खेती है लेकिन दोनों के बाजार भाव में जमीन आसमान का अंतर होता है। कहने का मतलब यह है कि जिन किसान भाइयों को कम समय में अधिक कमाई करनी है, उन्हें परम्परागत खेती से हट कर खेती करनी होगी। ऐसे किसान भाइयों को सगंधीय व औषधीय फसलों की खेती करनी होगी, उन्हें अपनी मनचाही मंजिल मिल जायेगी। आज हम यहां पर ऐसी ही खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें आपको हजारों रुपये की लागत लगानी है और जब फसल तैयार होगी तो आपको लाखों की कमाई होगी। साथ में समय भी बहुत कम लगेगा।आइये जानते हैं कि ईसबगोल का क्या महत्व है ?
किस प्रकार की जाती है ईसबगोल की खेती?
ईसबगोल की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु, मिट्टी, बीज,खाद, सिंचाई प्रबंधन आदि चाहिये उसके बारे में जानते हैं।भूमि एवं जलवायु
ईसबगोल की खेती के लिए दोमट और बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा जलनिकासी का विशेष प्रबंध होना चाहिये, जलभराव में यह फसल बहुत जल्द खराब हो जाती है। इसकी फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान 7-8 होना चाहिये। यह फसल थोड़ी सी क्षारीय व रेतीली मिट्टी में उगाई जा सकती है। ईसबगोल की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती रबी की फसलों के साथ की जाती है। इसकी फसल के लिए 25 डिग्री सेल्सियश के आसपास तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी फसल को शुरुआत में पानी की जरूरत होती है लेकिन फसल के पकने के समय पानी से नुकसान हो जाता है। उस समय अधिक गर्मी की आवश्यकता होती है।ये भी पढ़ें: घर पर मिट्टी के परीक्षण के चार आसान तरीके
उन्नत किस्में
ईसबगोल की अनेक उन्नत किस्में हैं। इनका चयन क्षेत्र की भूमि, फसल के पकने की अवधि और पैदावार के आधार पर किया जाता है। जवाहर ईसबगोल-4: इस तरह के बीज से रोपाई के लगभग 110-120 दिन बाद फसल पककर तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 15 क्विंटल तक होता है। आर.आई. 89: इसका पौधा छोटे आकार का होता है। इसकी भी फसल 120 दिनों में तैयार हो जाती है और उत्पादन 12 से 15 क्विंटल तक होता है। गुजरात ईसबगोल-2: इस बीज से गुजरात में सबसे अधिक खेती की जाती है। इस बीज से प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल के आसपास उत्पादन होता है। आई.आई.1: अधिक उत्पादन के लिए यह बीज तैयार किया गया है। इस बीज से उत्पादन 16 क्विंटल से 18 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर होता है। हरियाणा ईसबगोल-5: इसकी फसल भी 120 दिन में ही तैयार हो जाती है और इससे उत्पादन 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। इसके अलावा अन्य किस्मों में गुजरात ईसबगोल-1, हरियाणा ईसबगोल-2, निहारिका, ट्राबे सेलेक्Ñशन 1 से 10 तक आदि का चयन करके बुआई की जा सकती है।![ईसबगोल की उन्नत किस्में](https://www.merikheti.com/assets/post_images/m-2021-07-issabgol.jpg)