किसान इस औषधीय फसल से कम समय में अधिक लाभ उठा सकते हैं

किसान इस औषधीय फसल से कम समय में अधिक लाभ उठा सकते हैं

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भारत में इस समय अश्वगंधा की खेती उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब और गुजरात के अधिकांश किसान कर रहे हैं। भारतीय किसान अब पारंपरिक फसलों की खेती से बेअसर रहे हैं। वह दूसरे प्रकार की फसलों की खेती कर रहे हैं, जो उन्हें कम वक्त में अधिक मुनाफा दे। आज हम आपको इस लेख में फसल के विषय में बताने जा रहे हैं, जो कम वक्त में तगड़ा मुनाफा प्रदान कर सकती है। सबसे खास बात यह है, कि औषधीय फसल कोई आम फसल नहीं है।

अश्वगंधा

यह एक औषधीय पौधा है, जिसकी बाजार में बेहद माँग है। इसके साथ ही इस फसल की विशेषता यह है, कि बाजार में इसका प्रत्येक भाग बिक जाता है। मतलब कि पत्तियों से लेकर जड़ तक सब बाजार में काफी महंगी कीमत पर बिकता है। दरअसल, हम अश्वगंधा की बात कर रहे हैं। अश्वगंधा एक औषधीय फसल है, जो कि इम्यूनिटी बूस्टर (Immunity Booster) के नाम से जानी जाती हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे होती है इसकी खेती।

अश्वगंधा की खेती किन-किन राज्यों में की जाती है

अश्वगंधा की खेती अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट अथवा हल्की लाल मिट्टी में अच्छी रहती है। भारत में इस वक्त इसकी खेती गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पंजाब के बहुत सारे किसान कर रहे हैं। अश्वगंधा उत्पादक राज्यों में मध्य प्रदेश और राजस्थान का नाम सबसे ऊपर है। यहां मनसा, नीमच, जावड़, मानपुरा, मंदसौर और राजस्थान के नागौर और कोटा में इसकी खेती बेहद बड़े स्तर पर की जाती है।

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अश्वगंधा की खेती किस प्रकार की जाती है

अश्वगंधा की खेती रबी और खरीफ दोनों ही सीजनों में की जाती है। हालांकि, खरीफ सीजन में मानसून की बारिश के पश्चात इसकी रोपाई करने से अच्छा अंकुरण होता है। साथ ही, कृषि विशेषज्ञों की मानें तो मानसून की बारिश के दौरान इसकी पौध तैयार करनी चाहिये। वहीं, अगस्त अथवा सितंबर के मध्य खेत की तैयारी करके अश्वगंधा की पछेती खेती करना लाभदायक रहता है। आपको बतादें, कि अश्वगंधा के खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें। क्योंकि, अत्यधिक पानी अश्वगंधा की गुणवत्ता को खराब कर सकते हैं।

जैविक विधि से खेती करके मिट्टी में पोषण और अच्छी नमी बरकरार रखने से ही बेहतरीन उत्पादन मिल जाता है। प्रति हेक्टेयर फसल में अश्वगंधा की खेती करने पर आपको 4-5 किलेग्राम बीजों की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही, रोपाई, सिंचाई और देखभाल के उपरांत 5 से 6 महीने में अश्वगंधा की फसल पूर्णतय तैयार हो जाती है। एक अनुमान के अनुसार, प्रति हेक्टेयर भूमि में अश्वगंधा की खेती करने पर तकरीबन 10,000 की लागत आती है। परंतु, फसल का प्रत्येक भाग बिकने के बाद आपको इससे 70 से 80 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है।

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