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बोगेनवेलिया फूल की खेती से किसान जल्द ही हो सकते हैं मालामाल, ऐसे लगाएं पौधे

बोगेनवेलिया फूल की खेती से किसान जल्द ही हो सकते हैं मालामाल, ऐसे लगाएं पौधे

देश में पारंपरिक खेती के इतर अब किसान बागवानी की तरफ रुख कर रहे हैं। इसका कारण है कि बागवानी में पारंपरिक खेती की अपेक्षा ज्यादा आमदनी होने की संभावनाएं ज्यादा हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बोगेनवेलिया फूल की खेती के बारे में। यह बेहद सुंदर और रंगीन फूल होता है, जिसे कागज फूल के नाम से भी जाना जाता है। यह मूलतः दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला फूल है, जिसे विभिन्न देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस फूल की खोज सर्वप्रथम फिलबरट कॉमर्रसन और लुई एंटोनी डी बोगनविले नाम के दो वैज्ञानिकों ने की थी। दूसरे वैज्ञानिक के नाम पर ही इस फूल का नाम बोगेनवेलिया पड़ा है। इस फूल का पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसलिए इसके पौधे का उपयोग खांसी, दमा, पेचिश, पेट या फेफड़ों की तकलीफ जैसे रोगों में किया जाता है।

बोगेनवेलिया के पौधों के लिए उपयुक्त जलवायु

इन पौधों में उच्च तापमान की जरूरत होती है। बोगेनवेलिया के लिए आदर्श स्थिति होती है कि वातावरण का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के ऊपर होना चाहिए। जिन जगहों पर ठंड होती हैं वहां इन पौधों को प्लास्टिक की शीट से संरक्षित किया जाता है। इन पौधों के लिए उच्च आर्द्रता की आवश्यकता नहीं होती है। इनके लिए वातावरण में मौजूद आर्द्रता पर्याप्त होती है, इसलिए इन पौधों के लिए पत्तियों पर स्प्रे करना या वातावरण को बनाए रखना आवश्यक नहीं है। यह भी पढ़ें: अद्भुत खूबियों वाले गुलनार फूल की खेती से किसान हो रहे मालामाल

बोगेनवेलिया के पौधों की बुवाई

इनके पौधों की बुवाई आमतौर पर दो प्रकार से की जाती है। पहला कटिंग के माध्यम से और दूसरा बीजों के माध्यम से। दोनों ही माध्यमों में अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और पर्याप्त धूप की जरूरत होती है। बीजों के अंकुरण के 30 दिन बाद पौधे को गमले में स्थानांतरित कर सकते हैं।

सिंचाई और उर्वरक

इन पौधों के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। ज्यादा पानी देने के कारण इस पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है। हालंकी गर्मियों के तापमान में पौधों को पानी की ज्यादा जरूरत महसूस होती है, इसलिए तब नियमित रूप से पानी देना चाहिए। हालांकि ध्यान रहे कि पौधे में पानी तभी डालें जब मिट्टी पूरी तरह से सूख जाए। यह भी पढ़ें: जरबेरा के फूलों की खेती से किसानों की बदल सकती है किस्मत, होगी जबरदस्त कमाई बोगेनवेलिया के पौधों में फास्फोरस और पोटेशियम से भरपूर खाद डाली जा सकती है, इससे पौधों का विकास तेजी के साथ होगा और ज्यादा मात्रा में फूल आएंगे।

पौधों का रखरखाव

बोगेनविलिया के पौधों को रखरखाव की बेहद आवश्यकता होती है। नहीं तो यह पौधा जल्द ही सूख जाएगा। पौधे की समय-समय पर कटिंग करते रहें जिससे उनकी शाखाएं परिपक्व होंगी ताकि वो ज्यादा से ज्यादा फूलों का उत्पादन कर सकें। हमेशा ऐसे पत्तों की कटिंग करनी चाहिए जिसमें मुकुट के बाहर या वांछित दिशा में एक कली हो। इसकी छंटाई ज्यादातर वसंत और सर्दियों के बीच वाले समय में की जाती है।
इस औषधीय गुणों वाले बोगनविलिया फूल की खेती से होगी अच्छी-खासी कमाई

इस औषधीय गुणों वाले बोगनविलिया फूल की खेती से होगी अच्छी-खासी कमाई

भारतीय किसानों को पारंपरिक खेती से घाटा होने के चलते उनको अन्य फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है। फिलहाल, औषधीय पौधों एवं फूलों की खेती की जा रही है। ऐसी स्थिति में आपको बोगेनवेलिया फूल की जानकारी प्रदान की जा रही हैं। जो केवल दिखने में अच्छी लगने के साथ-साथ विभिन्न एलोपैथिक व आयुर्वेदिक इलाज के लिए गुणकारी मानी जाती है। भारत में बागवानी की तरफ किसान फिलहाल ज्यादा रुची रखने लगे हैं। इस वजह से किसानों को खेती करने हेतु बोगेनवेलिया फूल के संबंध में बताया जा रहा है। माना जा रहा है, कि जैसा नाम वैसा बहार क्योंकि इसको कागजी फूल के नाम से जाना जाता है। जो कि काफी कम देखभाल करने से भी रंगीन एवं सुंदर बनता जा रहा है। बतादें, कि विभिन्न देशों में इसको विभिन्न नामों से जाना जाता है। मुख्य तौर पर यह दक्षिण अमेरिका के देशों में पाया जाता है। इसकी खोज फिलबरट कॉमर्रसन एवं लुई एंटोनी डी बोगनविले नाम के दो वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी। इनमें से एक वैज्ञानिक के नाम पर इस पौधे का नामकरण किया गया है। यह पौधा आयुर्वेद में पेचिश, पेट, फेफड़ों, खांसी और दमा की तकलीफ से राहत दिलाने का कार्य करती है।

बोगनविलिया की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

इन पौधों को अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। आदर्श रूप से 20 डिग्री से ऊपर तापमान होना चाहिए। अगर उस जगह पर जहां पौधों में सामान्य तौर पर ठंड होती है, तो उन्हें प्लास्टिक से अच्छी तरह से संरक्षित करना चाहिए अथवा उनको अंदर रखना चाहिए। यह भी पढ़ें: इन फूलों का होता है औषधियां बनाने में इस्तेमाल, किसान ऐसे कर सकते हैं मोटी कमाई

बोगनविलिया कटिंग के द्वारा इस प्रकार लगाएं

सर्वप्रथम एक विकसित पौधे से 5-6 इंच की कटिंग निकाल लें, उसके बाद एक पारदर्शी जार में जल भरें पानी में बिल्कुल थोड़ी मात्रा में रूटिंग हॉर्मोन डालें। अब जल में कटिंग को डालकर ऐसे स्थान पर रखें जहां छनकर हल्की धूप आती हो। लगभग 5-6 दिनों में जल परिवर्तित कर दें। लगभग 10 दिन के उपरांत कटिंग से छोटी-छोटी जड़ें निकलने लगती हैं। तब इस कटिंग को गमले में लगाया जा सकता है।

बीज से बोगनविलिया इस तरह लगाई जाती है

बोगनविलिया बीज से उगाने हेतु एक परिपक्व पौधे के बराबर आवश्यकता होती है। यह बेहतरीन जल निकासी वाली मृदा, पर्याप्त धूप एवं अनुकूल बढ़ती परिस्थितियों की जरूर मांग करता है। सर्व प्रथम बीज की मोटाई के 2-3 गुना की गहराई तक उनको रेक करके बोए बीजों को नियमित तौर पर पानी दें। मिट्टी को नम रखें जिससे कि अंकुरण में सहायता मिल सके। अंकुरित होने में लगभग 30 दिन लगेंगे। जब बीज अंकुरित हो जाएं तब उन्हें गमले में स्थापित कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: ऐसे करें रजनीगंधा और आर्किड फूलों की खेती, बदल जाएगी किसानों की किस्मत

सिंचाई कब और कैसे करें

जड़ सड़न बोगनविलिया की मृत्यु का सबसे आम वजह होती है। इसलिए सतर्क रहने एवं अत्यधिक सिंचाई करने से बचने की आवश्यकता होती है। विशेषकर जब पौधे गमलों में तैयार होते हैं। अधिक सिंचाई करने से फूलों की कीमत पर अस्थायी रूप से अंकुर, पत्तियों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, परंतु, आखिर में जड़-सड़न और पौधे की मृत्यु जैसे असर देखने को मिलेंगे। हालांकि, गर्मियों के कड़े तापमान में पौधे को प्रति दिन सिंचाई की आवश्यकता होगी। परंतु, सिंचाई केवल गमले की मिट्टी सूखने की स्थिति में करें।