अद्भुत खूबियों वाले गुलनार फूल की खेती से किसान हो रहे मालामाल - Meri Kheti

अद्भुत खूबियों वाले गुलनार फूल की खेती से किसान हो रहे मालामाल

0

आजकल आधुनिक तकनीक एवं समुचित फसलों के चयन से किसान भाई काफी फायदा उठा रहे हैं। खेती-किसानी से कृषकों को पारंपरिक खेती के तुलनात्मक अधिक मुनाफा प्राप्त हो रहा है। इसी कड़ी में हम आपको गुलनार फूल की खेती के विषय में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं।

भारत में बदलते जमाने में अब फूलों की खेती व्यापारिक तौर पर ज्यादा होने लगी है। वर्तमान में फूलों की पैदावार का क्षेत्र काफी बढ़ रहा है, क्योंकि भारत की जलवायु में नाजुक और कोमल फूल बड़ी सुगमता से उगाए जा सकते हैं। भारत को फूलों का निर्यातक देश भी कहा जाता हैं। क्योंकि भारत के फूलों की मांग विदेशों तक होती है। अधिकाँश किसान अब फूलों की खेती करके बंपर लाभ उठा रहे हैं।

यह भी पढ़ें : भारत में ऐसे करें डेज़ी फूल की खेती

गुलनार का फूल किन किन रंगों में पाया जाता है

अब आपको हम ऐसे में गुलनार फूल की खेती से संबंधित जानकारी प्रदान कर रहे हैं। गुलनार का फूल काफी ज्यादा विशेष होता है, क्योंकि यह ज्यादा समय तक बिल्कुल ताजातरीन रह सकता है जिसकी वजह से इसको लंबी दूरी वाले स्थान पर लेके जाना आसान होता है। साथ ही, इसे रिहाइड्रेशन के जरिए भी ताजा रखा जा सकता है जो कि इसकी मुख्य विशेषता है। गुलनार के फूल पीले, जामुनी एवं गुलाबी आदि रंगों में पाए जाते हैं। गुलगार की अच्छी विशेषताओं की वजह से खेती मुनाफे का स्त्रोत साबित हो रही है।

मिट्टी का चयन-गुलनार की खेती किसी भी प्रकार की मृदा एवं जलवायु में की जा सकती है। परंतु, बेहतरीन पैदावार लेने के लिए सही जल निकासी वाली मृदा का उपयोग करना चाहिए। जबकि उत्तम रेतली दोमट मृदा गुलनार की खेती हेतु सर्वोत्तम मानी जाती है, उचित बढ़ोत्तरी के लिए मृदा का पीएच मान 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए।

जमीन की तैयारी किस तरह करें

गुलनार की खेती करने के लिए बेड तैयार किए जाते हैं। बतादें कि बेड 15-20 सेमी ऊंचे, 1-1.2 मीटर चौड़ाई वाले होते हैं। साथ ही, जरुरी लंबाई का ख्याल रखा जाता है। बेड के मध्य की दूरी 45 से 60 सेमी जरूर होनी चाहिए।

बुवाई का समय क्या होना चाहिए

ग्रीन हाउस के नियंत्रित वातावरण में फूलों की बिजाई की जा सकती है। उत्तरी मैदानों हेतु बिजाई सामान्य तौर पर सितंबर से नवंबर माह में की जानी चाहिए। वहीं, फूलों की कटाई फरवरी से अप्रैल माह तक करनी चाहिए।

बुवाई किस ढ़ंग से की जानी चाहिए

गुलनार की बिजाई करने के लिए पौधे के भाग का उपयोग करते हैं। बीज बेड के बिल्कुल ऊपर 15×15 सेमी अथवा फिर 20×20 सेमी की दूरी पर बुवाई करनी चाहिए। बेड के मध्य की 45-60 सेमी की दूरी रखनी चाहिए। बेड के ऊपर पौधे के भाग को बोना चाहिए।

यह भी पढ़ें : इस फूल की खेती कर किसान हो सकते हैं करोड़पति, इस रोग से लड़ने में भी सहायक

बीज मात्रा और उपचार

खेती करने हेतु एक एकड़ खेत हेतु तकरीबन 75 हजार पौधे के भागों की आवश्यकता होती है। 21 दिनों में, सामान्य तौर पर अच्छे तरीके से जड़ें विकसित हो जाती हैं। बुवाई से पूर्व पौधों के हिस्सों को NAA 1000 PPM प्रति ग्राम लीटर से उपचारित करना चाहिए, जिससे जड़ों के विकास में सुधार होता है।

सिंचाई किस प्रकार करें

गुलनार की फसल को थोड़े-थोड़े समयोपरांत सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। गर्मियों के दिनों में प्रत्येक सप्ताह 2-3 बार जल देना चाहिए, जबकि सर्दियों के दिनों में 15 दिन की समयावधि में 2 से 3 बार पानी देना चाहिए। बुवाई के तुरंत बाद पानी देना चाहिए।

कटाई कब होती है

कली का आकार एवं पत्तियों की प्रगति कटाई हेतु निर्भर करती है। इसकी कटाई सदैव सुबह के समय करनी चाहिए। मुख्य पौधे एवं तने को क्षति पहुंचाए बिना तने को तीखे चाकू से काटना काफी जरुरी होता है। उत्पादन के समय हर 2 दिन बाद फूल काटें एवं कटाई के उपरांत फूलों को जल अथवा सुरक्षित घोल में न्यूनतम 4 घंटे के लिए रखना चाहिए। काटे हुए फूल सीधे धूप में न रखें।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More