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एथेनॉल को अतिरिक्‍त चीनी दिए जाने से गन्‍ना किसानों की आय बढ़ेगी

एथेनॉल को अतिरिक्‍त चीनी दिए जाने से गन्‍ना किसानों की आय बढ़ेगी

पिछले दो वर्षों में 70 एथेनॉल परियोजनाओं के लिए लगभग 3600 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी। क्षमता बढ़ाने के लिए 185 और चीनी मिलों/डिस्टि‍लरी द्वारा 12,500 करोड़ रुपये की ऋण राशि के उपयोग को सिद्धांत रूप में मंजूरी। सामान्‍य चीनी सीजन में 320 एलएमटी चीनी का उत्‍पादन होता है जबकि घरेलू खपत 260 एलएमटी है। इस तरह 60 एलएमटी चीनी बची रह जाती है और इसकी बिक्री नहीं हो पाती। इससे 19,000 करोड़ रुपये की राशि प्रत्‍येक वर्ष चीनी मिलों के लिए रूकी पड़ी रह जाती है। परिणाम यह होता है कि चीनी मिलों की तरलता स्थिति पर प्रभाव पड़ता है और किसानों के गन्‍ने की बकाया राशि एकत्रित होती जाती है। जरूरत से अधिक चीनी भंडार से निपटने के लिए सरकार द्वारा चीनी मिलों को निर्यात के लिए प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार वित्तीय सहायता दे रही है। लेकिन भारत विकासशील देश होने के नाते चीनी के निर्यात विपणन और परिवहन के लिए डब्‍ल्‍यूटीओ व्‍यवस्‍थाओं के अनुसार केवल 2023 तक ही वित्तीय सहायता दे सकता है। इसलिए चीनी की अधिकता से निपटने और चीनी उद्योगों की स्थिति में सुधार तथा गन्‍ना किसानों को समय पर बकाये का भुगतान करने के लिए सरकार जरूरत से अधिक गन्‍ना और चीनी एथेनॉल को देने के लिए प्रोत्‍साहित कर रही है ताकि पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए तेल विपणन कंपनियों को सप्‍लाई की जा सके। इससे न केवल कच्‍चे तेल की आयात निर्भरता कम होती है बल्कि ईंधन के रूप में एथेनॉल को प्रोत्‍साहन मिलता है। यह स्‍वदेशी है और प्रदूषणकारी नहीं है। इससे गन्‍ना किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। गन्ने इससे पहले सरकार ने 2022 तक ईंधन ग्रेड के एथेनॉल को 10 प्रतिशत पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्‍य तय किया था। 2030 तक 20 प्रतिशत ईंधन ग्रेड एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्‍य तय किया गया था। लेकिन अब सरकार 20 प्रतिशत के मिश्रण लक्ष्‍य समय से पहले प्राप्‍त करने की योजना तैयार कर रही है। लेकिन देश में वर्तमान एथेनॉल डिस्‍टि‍ल क्षमता एथेनॉल उत्‍पादन के लिए पर्याप्‍त नहीं है। इससे मिश्रण लक्ष्‍य हासिल नहीं होता सरकार चीनी मिलों/डिस्‍टि‍लरियों को नई डिस्टि‍लरी स्‍थापित करने और वर्तमान डिस्‍टि‍लिंग क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्‍साहित कर रही है। सरकार चीनी मिलों और डिस्‍टि‍लरियों द्वारा बैंक से ऋण लेने के मामले में अधिकतम 6 प्रतिशत की ब्याज दर पर पांच वर्षों के लिए ऋण सहायता दे रही है, ताकि चीनी मिलें और डिस्टि‍लरी अपनी परियोजनाएं स्‍थापित कर सकें। पिछले दो वर्षों में 70 ऐसी एथेनॉल परियोजनाओं (शीरा आधारित डिस्टि‍लरी) के लिए 3600 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्‍य क्षमता बढ़ाकर 195 करोड़ लीटर करना है। इन 70 परियोजनाओं में से 31 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और इससे अभी तक 102 करोड़ लीटर की क्षमता जुड़ गई है। सरकारी द्वारा किए जा रहे प्रयासों से शीरा आधारित डिस्टि‍लरियों की वर्तमान स्‍थापित क्षमता 426 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है। शीरा आधारित डिस्टि‍लरियों के लिए एथेनॉल ब्‍याज सहायता योजना के अंतर्गत सरकार ने सितम्‍बर, 2020 में चीनी मिलों और डिस्टि‍लरियों से आवेदन आमंत्रित करने के लिए 30 दिन का समय दिया। डीएफपीडी द्वारा इन आवेदनों की जांच की गई और लगभग 185 आवेदकों (85 चीनी मिलें तथा 100 शीरा आधारित एकल डिस्‍टि‍लरियों) को प्रतिवर्ष 468 करोड़ लीटर की क्षमता जोड़ने के लिए सिद्धांत रूप में 12,500 करोड़ रुपये की ऋण राशि प्राप्‍त करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी जा रही है। आशा है कि यह परियोजनाएं 3-4 वर्षों में पूरी हो जाएंगी और इससे मिश्रण का वांछित लक्ष्‍य पूरा होगा। गन्ने गन्‍ना/चीनी को एथेनॉल के लिए दिए जाने से ही मिश्रण लक्ष्‍य हासिल नहीं किया जा सकता, इसलिए सरकार अनाज भंडारों से एथेनॉल उत्‍पादन के लिए डिस्टि‍लरियों को प्रोत्‍साहित कर रही है। इसके लिए वर्तमान डिस्टि‍लरी क्षमता पर्याप्‍त नहीं है। सरकार गन्‍ना, शीरा, अनाज, चुकंदर, मीठे ज्‍वार आदि से 720 करोड़ लीटर एथेनॉल बनाने के लिए एथेनॉल डिस्‍टि‍लेशन क्षमता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। देश में जरूरत से अधिक चावल की उपलब्‍धता को देखते हुए सरकार अतिरिक्‍त चावल से एथेनॉल उत्‍पादन के लिए प्रयास कर रही है। इस एथेनॉल की सप्‍लाई एफसीआई द्वारा एथेनॉल सप्‍लाई वर्ष 2020-21 (दिसम्‍बर–नवम्‍बर) में तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए की जाएगी। जिन राज्‍यों में मक्‍का उत्‍पादन पर्याप्‍त है उनमें राज्‍यों में मक्‍का से एथेनॉल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। चालू एथेनॉल सप्‍लाई वर्ष 2019-20 में केवल 168 करोड़ लीटर एथेनॉल तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए सप्‍लाई की जा सकी। इस तरह 4.8 प्रतिशत मिश्रण स्‍तर हासिल किया गया। लेकिन आगामी एथेनॉल सप्‍लाई वर्ष 2020-21 में पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए तेल विपणन कंपनियों को 325 करोड़ लीटर एथेनॉल सप्‍लाई करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे मिश्रण का 8.5 प्रतिशत लक्ष्‍य हासिल होगा। नवम्‍बर, 2022 में समाप्‍त होने वाले एथेनॉल सप्‍लाई वर्ष 2020-21 में 10 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्‍य प्राप्‍त करना है। सरकार के प्रयासों को देखते हुए यह संभव है। वर्ष 2020-21 के लिए तेल विपणन कंपनियों द्वारा आमंत्रित पहली निविदा में 322 करोड़ लीटर (शीरा से 289 करोड़ लीटर और अनाज से 34 करोड़ लीटर) की बोली प्राप्‍त की गई है। उसके आगे की बोलियों में शीरा तथा अनाज आधारित डिस्टि‍लरियों से और अधिक मात्रा आएगी। इस तरह सरकार 325 करोड़ लीटर और 8.5 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में सफल होगी। अगले कुछ वर्षों में पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण से सरकार कच्‍चे तेल का आयात कम करने में सक्षम होगी। यह पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनने की दिशा में कदम होगा और इससे किसानों की आय बढ़ेगी तथा डिस्टि‍लरियों में अतिरिक्‍त रोजगार सजृन होगा।
मक्के की फसल से बिहार में बढ़ेगा एथेनॉल का उत्पादन

मक्के की फसल से बिहार में बढ़ेगा एथेनॉल का उत्पादन

मक्के की फसल से बिहार में एथेनॉल (इथेनॉल; Ethanol) का उत्पादन किया जायेगा, जिसके लिए बिहार में बहुत बड़ा और नया प्लांट खुलने जा रहा है। इससे बिहार की अर्थव्यवस्था काफी हद तक बेहतर होगी, वहां के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। साथ ही एथेनॉल उत्पादन से पेट्रोलियम के दामों में भी कमी आएगी। भारत में ग्रीनफ़ील्ड ग्रेन बेस्ड एथेनॉल प्लांट (Green Field Grain Based Ethanol Plant) की शुरुआत बिहार के पूर्णियां जिले में हुई है। यह प्लांट लगभग ६५ हजार लीटर उत्पादन करने में सक्षम है। देश में एथेनॉल से चलने वाली कार भी लॉन्च होने लगी है। आने वाले समय में एथेनॉल की मांग में बढ़ोतरी होने वाली है। मक्के की फसल से बिहार के लोग आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ने का कार्य कर रहे हैं।

एथेनॉल की कितनी मांग है बाजार में

बिहार से एथेनॉल खरीदने के लिए पूर्व उघोग मंत्री शाहनवाज हुसैन, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखकर तेल कंपनियों को बिहार से एथेनॉल खरीदने के लिए मांग की गयी है। बिहार में लगभग १३९ उघोगों को एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रथम चरण में स्वीकृति दी गयी है, जिससे कि उत्पादन ४ करोड़ लीटर से बढ़कर ५८ करोड़ हो सके। हालाँकि अब बिहार की बेहतरीन पोलिसी से प्रभावित होकर अन्य कम्पनियाँ भी प्लांट खोलने के लिए आग्रह कर रही हैं। भविष्य में एथेनॉल की मांग में अच्छी खासी वृद्धि होने जा रही है, इसलिए एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कंपनियां पूर्ण प्रयास कर रही हैं।


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बिहार में एथेनॉल प्लांट की शुरुआत पुर्णिया जनपद से हुई है

बिहार के पुर्णिया जिले में सर्वप्रथम ग्रीनफ़ील्ड ग्रेन बेस्ड एथेनॉल प्लांट की शुरुआत हुई है, साथ ही यह बिहार का पहला वाटर बॉटलिंग प्लांट भी है। बिहार में एथेनॉल प्लांट के खुलने से करीबी क्षेत्रों में उन्नति होगी, जिसमें कतिहार, अररिया, किशनगंज और पुर्णिया जनपद सम्मिलित हैं। बिहार की अर्थव्यवस्था को देखते हुए वहां औघोगिक क्रांति की अत्यंत आवश्यकता है। बिहार में रोजगार के कम अवसर होने की वजह से वहां के ज्यादातर लोगों को अपनी आजीविका के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है और वास्तविक मजदूरी से कम कीमत पर काम करना पड़ता है। एथेनॉल प्लांट खुलने से उनको गृह राज्य में ही रोजगार का अवसर प्राप्त हो पायेगा।

किसानों को एथेनॉल प्लांट खुलने से क्या लाभ होगा

एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का और धान जैसी फसलों की बेहद आवश्यता होती है और बिहार में मक्का की फसल से एथेनॉल उत्पादन किया जायेगा, जिसका प्रथम प्लांट पूर्णियां जिले में खुल चुका है। किसानों को मक्का और धान की फसल में काफी मुनाफा मिलेगा, साथ ही अच्छी कीमत पर उनकी फसल विक्रय हो पायेगी। किसानों को खाली समय में रोजगार का भी अवसर प्राप्त होगा।

एथेनॉल उत्पादन से देश को क्या लाभ होगा

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी; EBP - Ethanol Blended Petrol) कार्यक्रम जनवरी 2003 में शुरू किया गया था। कार्यक्रम ने वैकल्पिक और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने और ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करने की मांग की। चूंकि इथेनॉल अणु में ऑक्सीजन होता है, यह इंजन में ईंधन को पूरी तरह से दहन करने देता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन कम होता है और इस तरह पर्यावरण कम प्रदूषित होता है।


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विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून 2021 के अवसर पर, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के रोडमैप पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक, 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग अब संभव है। वर्ष 2025 तक, पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के उत्पादन के लिए केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और वाहन निर्माताओं की विशिष्ट जिम्मेदारियों का सुझाव दिया गया है। वर्ष 2025 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण से देश को अपार लाभ मिल सकता है, जैसे प्रति वर्ष 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, कम कार्बन उत्सर्जन, बेहतर वायु गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग, किसानों की आय वृद्धि, रोजगार सृजन और अधिक निवेश के अवसर मिलेंगे। एथेनॉल उत्पादन से देश की अर्व्यवस्था मजबूत होने के साथ साथ पेट्रोलियम का आयात भी कम होगा, जिससे देश का पैसा बचेगा। फ़िलहाल एथेनॉल सम्मिश्रण की मात्रा देश में ५% है, जिसको वर्ष २०२५ तक २०% तक करने की तैयारी है। इससे पेट्रोल के खर्च में कमी आएगी और भारत आत्मनिर्भरता की और बढ़ेगा। पेट्रोलियम के लिए पूर्णतया विदेशों पर निर्भर रहने से देश का अधिक खर्च होता है, देश में ही एथेनॉल उत्पादित करके जीडीपी में बढ़ोत्तरी भी होगी और देश की स्थिति भी बेहतर होगी।
नितिन गडकरी के इस आधुनिक तकनीकी मॉडल से अन्नदाता बनेगा ऊर्जादाता

नितिन गडकरी के इस आधुनिक तकनीकी मॉडल से अन्नदाता बनेगा ऊर्जादाता

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्होंने एक आधुनिक तकनीक का प्रारूप तैयार किया है, जिसे कुछ महीनों में उसको जारी भी करने की बात कही। इस तकनीक के अंतर्गत आधुनिक उपकरणों के माध्यम से खेतों पर जाकर पराली से बायो-बिटुमन (Bio-Bitumen) निर्मित किया जाएगा। नितिन गडकरी ने सोमवार को साझा किया है कि आने वाले दो-तीन माह में एक नई तकनीक विकसित की जाएगी, जिसमें ट्रैक्टर में मशीन लगाकर खेतों की पराली का प्रयोग बायो-बिटुमन तैयार करने में होगा। गडकरी ने कहा कि किसान अन्नदाता होने के साथ, बायो-बिटुमेन बनाकर ऊर्जादाता भी बन पाएँगे, जिसका उपयोग सड़क बनाने में किया जा सकता है। इसके लिए नितिन गडकरी ने कहा कि आधुनिक तकनीक का प्रारूप तैयार किया गया है जो कि २ से ३ माह के अंतराल में लागू होगा। नितिन गडकरी ने मध्य प्रदेश के आदिवासी जनपद मंडला में १.२६१ करोड़ रुपये खर्च कर सड़क परियोजनाओं की आधारशिला स्थापित की। उन्होंने किसानों की परिवर्तित हो रही अहम भूमिका का जिक्र कर बताया, दीर्घकाल से वह कहते आये हैं कि देश के किसान ऊर्जा भी पैदा कर सकते हैं। हमारे किसान केवल अन्नदाता ही नहीं बल्कि ऊर्जादाता बनने का भी सामर्थ्य रखते हैं एवं अब किसान सड़क निर्माण हेतु बायो-बिटुमन एवं ईंधन बनाने के लिए इथेनॉल का उत्पादन कर ऊर्जादाता बन सकते हैं। नितिन गडकरी जी के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेट्रोलियम मंत्री ने जानकारी दी थी कि भारत ने गन्ने एवं अतिरिक्त कृषि उत्पादों से लिए गए ईंधन ग्रेड एथेनॉल (इथेनॉल; Ethanol) को पेट्रोल के साथ मिश्रित कर ४० हजार करोड़ रुपये मूल्य की विदेशी मुद्रा बचाई है।

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मध्य प्रदेश में सोयाबीन की पैदावार में कितनी वृद्धि हुई

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूमि, जंगल एवं जल का बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल कर विकास का नया प्रारूप तैयार करने के लिए नितिन गडकरी जी ने इसकी प्रशंसा व सराहना भी की। साथ ही, कहा कि प्रदेश में प्रति एकड़ सोयाबीन की पैदावार में बढ़ोत्तरी हुई है, एवं किसानों को उनके उत्पादन का सही भाव भी प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश के ही जबलपुर में नवनिर्मित सड़क के लोकार्पण एवं ४,०५४ करोड़ रुपये की सात सड़क परियोजनाओं की आधारशिला स्थापना हेतु आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में संबोधन के दौरान गडकरी ने कहा, भारत को आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ साथ उन्नति व विकास मार्ग पर बढ़ने की अत्यंत आवश्यकता है।

मध्य प्रदेश में भारत सेतु योजना के अंतर्गत २१ पुल बनाये जायेंगे

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी ने लोगों से सरकारी बॉन्ड में निवेश करने का आग्रह करते हुए बताया कि निवेशकों को इस बॉन्ड में आठ प्रतिशत वापिस मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे प्राप्त राशि का उपयोग देश की उन्नति प्रगति हेतु किया जायेगा। केंद्रीय मंत्री ने भारत सेतु योजना के अनुरूप राज्य हेतु २१ पुल बनाये जायेंगे। मध्य प्रदेश में नितिन गडकरी जी ६ लाख करोड़ तक खर्च कर सड़क बनाएँगे।
जट्रोफा पौधे का उत्पादन कर के किसान अपनी बंजर भूमि मे भी खेती कर सकते हैं

जट्रोफा पौधे का उत्पादन कर के किसान अपनी बंजर भूमि मे भी खेती कर सकते हैं

भारत में जैव ईंधन का विकास मुख्य रूप से जेट्रोफा पौधे के बीजों की खेती और प्रसंस्करण के आसपास केंद्रित है। जो तेल में बहुत समृद्ध हैं, 27 से 40% तक और 34.4% औसत इसके चालक ऐतिहासिक, कार्यात्मक, आर्थिक, पर्यावरण, नैतिक और राजनीतिक हैं। जेट्रोफा करकास (Jatropha curcas) मेक्सिको और मध्य अमेरिका का मूल पौधा है। यह औषधीय उपयोगों के लिए उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में दुनिया भर में फैला हुआ है। सुदूर ग्रामीण और वन समुदायों की डीजल ईंधन आवश्यकताओं के लिए बायोडीजल के रूप में कई दशकों से भारत में जेट्रोफा तेल का उपयोग किया जाता रहा है। जेट्रोफा तेल का उपयोग सीधे निष्कर्षण के बाद (अर्थात बिना शोधन के) डीजल जनरेटर और इंजनों में किया जा सकता है। सरकार वर्तमान में एक इथेनॉल-सम्मिश्रण(ethanol blending) कार्यक्रम लागू कर रही है और बायोडीजल के लिए जनादेश के रूप में पहल पर विचार कर रही है। इन रणनीतियों के कारण, बढ़ती जनसंख्या, और परिवहन क्षेत्र से बढ़ती ऊर्जा की मांग, जैव ईंधन (Biofuels) को भारत में एक महत्वपूर्ण बाजार का आश्वासन दिया जा सकता है।


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जेट्रोफा में स्थानीय स्तर पर आर्थिक लाभ प्रदान करने की क्षमता है, क्योंकि उपयुक्त प्रबंधन के तहत इसमें शुष्क सीमांत बंजर भूमि में बढ़ने की क्षमता है। जिससे ग्रामीणों और किसानों को आय सृजन के लिए बंजर भूमि का लाभ उठाने की अनुमति मिलती है। साथ ही, जेट्रोफा तेल उत्पादन में वृद्धि भारत को व्यापक आर्थिक या राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक लाभ पहुँचाती है। क्योंकि यह डीजल उत्पादन के लिए देश के जीवाश्म ईंधन आयात बिल को कम करता है। ईंधन के लिए भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के खर्च को कम करना जिससे भारत अपने बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ा सके। जिसे औद्योगिक आदानों और उत्पादन के लिए पूंजीगत व्यय पर बेहतर तरीके से खर्च किया जा सकता है।

जेट्रोफा तेल कार्बन-तटस्थ है, बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के कार्बन उत्सर्जन में सुधार होगा।

भारत में जेट्रोफा प्रोत्साहन वर्ष 2018 तक ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारत के लक्ष्य का एक हिस्सा है। जेट्रोफा करकास के बीज से जेट्रोफा तेल का उत्पादन किया जाता है, एक पौधा जो पूरे भारत में बंजर भूमि में उग सकता है और तेल को एक उत्कृष्ट माना जाता है।


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जैव-डीजल के स्रोत

भारत अपनी बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए कोयले और पेट्रोलियम पर अपनी निर्भरता कम करने का इच्छुक है और जेट्रोफा की खेती को प्रोत्साहित करना इसकी ऊर्जा नीति का एक महत्वपूर्ण घटक है। हालांकि, हाल के दिनों में जिस तरह से इसे बढ़ावा दिया गया है, जैव-ईंधन नीति आलोचनात्मक समीक्षा के दायरे में आ गई है। जेट्रोफा की खेती के लिए बंजर भूमि के बड़े भूखंडों का चयन किया गया है और यह भारत के ग्रामीण गरीबों को बहुत जरूरी रोजगार प्रदान करेगा। कारोबारी जेट्रोफा की खेती को एक अच्छे कारोबारी अवसर के रूप में देख रहे हैं।
एथेनॉल के बढ़ते उत्पादन से पेट्रोल के दाम में होगी गिरावट, महंगाई पर रोक लगाने की तैयारी

एथेनॉल के बढ़ते उत्पादन से पेट्रोल के दाम में होगी गिरावट, महंगाई पर रोक लगाने की तैयारी

जानकारी के लिए बतादें कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा एथेनॉल उत्पादक प्रदेश माना जाता है। राज्य में तकरीबन 200 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है। विशेष बात यह है, कि पांच वर्ष पूर्व यूपी में मात्र 24 करोड़ लीटर ही एथेनॉल का उत्पादन हो पाता था। पूरी दुनिया में प्राकृतिक ईंधन की खपत के साथ मांग भी तीव्रता से बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में पेट्रोल- डीजल के भंडार को अतिशीघ्र समाप्त होने का संकट मडराने लगा है। परंतु, भारत के साथ- साथ बाकी देशों ने पेट्रोल- डीजल की खपत में गिरावट करने हेतु उत्तम विकल्प का चयन कर लिया है। वर्तमान में प्राकृतिक ईंधन के स्थान पर जैविक ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। विशेष रूप से भारत में गन्ने के रस द्वारा प्रति वर्ष करोड़ों लीटर एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल इंधन के तौर पर किया जा रहा है। यह भी पढ़ें: एथेनॉल को अतिरिक्‍त चीनी दिए जाने से गन्‍ना किसानों की आय बढ़ेगी दरअसल, भारत में एथेनॉल निर्मित करने हेतु अलग से बहुत सारे प्लांट स्थापित किए गए हैं। परंतु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने से बड़े पैमाने पर एथेनॉल की पैदावार की जा रही है। विशेष बात यह है, कि इस कार्य में स्वयं चीनी मिलें जुटी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में गन्ने के माध्यम से एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है। दरअसल, सरकार का कहना है, कि एथेनॉल के इस्तेमाल से पेट्रोल-डीजल की खपत में गिरावट आएगी। इससे इनकी कीमतों में भी काफी कमी देखने को मिलेगी। जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर होगा।

एथेनॉल किस तरह से बनाया जाता है

एथेनॉल निर्मित करने के लिए सर्वप्रथम गन्ने की मशीन में पेराई की जाती है। इसके उपरांत गन्ने के रस को एक टैंक में कुछ घंटों तक इकट्ठा करके उसे फर्मेंटेशन के लिए छोड़ दिया जाता है। उसके बाद टैंक में बिजली द्वारा हिट देकर एथेनॉल तैयार किया जाता है। विशेष बात यह है, कि आप एक टन गन्ने द्वारा 90 लीटर तक एथेनॉल निर्मित कर सकते हैं। तो वहीं एक टन गन्ने के उपयोग से 110 से 120 किलो तक ही शक्कर की पैदावार की जा सकती है।

एथेनॉल को ईंधन के तौर पर ऐसे इस्तेमाल करें

एथेनॉल एक प्रकार का जैविक ईंधन माना जाता है। इसका पेट्रोल में मिश्रण करके ईंधन की भांति उपयोग किया जाता है। इससे संचालित होने वाली गाड़ियां काफी कम प्रदूषण करती हैं। अब हम ऐसी स्थिति में कह सकते हैं, कि एथेनॉल पर्यावरण सहित किसानों के लिए भी लाभकारी है। साथ ही, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से आम जनता को भी महंगाई से काफी सहूलियत मिलेगी। यह भी पढ़ें: मक्के की फसल से बिहार में बढ़ेगा एथेनॉल का उत्पादन

एथेनॉल से निर्मित ईंधन 30 से 35 रुपए की बचत कराएगा

दरअसल, फिलहाल एथेनॉल का भाव 60 से 65 रुपये लीटर है। वहीं, पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के लगभग है। अगर आगामी समय में एथेनॉल का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर बढ़ेगा तो आम जनता को महंगाई से सहूलियत मिलेगी। पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि आने पर उसका प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि माल ढुलाई का खर्चा भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में खाद्यान वस्तुएं भी काफी महंगी हो जाती हैं। हालांकि, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल करने पर पेट्रोल की तुलना में आम जनता को 30 से 35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी।

इतने लाख टन कार्बन के उत्सर्जन में भी आई कमी

वर्तमान में भारत के अंदर पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित कर के बेची जा रही है। हालाँकि, केंद्र सरकार का लक्ष्य है, कि वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा में वृद्धि करके 20 प्रतिशत तक कर दिया जाएगा। हालांकि, ईंधन में एथेनॉल मिश्रित करके केंद्र सरकार द्वारा अब तक 41 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की गई है। इसी कड़ी में लगभग 27 लाख टन कार्बन का उत्सर्जन भी कम हुआ है।

कितने करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया जाता है

भारत का उत्तर प्रदेश राज्य सर्वोच्च एथेनॉल उत्पादक प्रदेश है। प्रदेश में तकरीबन 200 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है। विशेष बात यह है, कि पांच वर्ष पूर्व यूपी सिर्फ 24 करोड़ लीटर ही एथेनॉल की पैदावार कर पाता था। लेकिन, सर्वाधिक एथेनॉल उत्पादन करने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में भी देश में प्रथम स्थान पर है। गन्ना सीजन 2022-23 में यूपी द्वारा 150.8 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है, जो कि विगत वर्ष इसी अवधि तक 150.8 लाख टन से भी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है, कि एथेनॉल उत्पादन का प्रभाव चीनी उत्पादन पर नहीं होगा।
नितिन गडकरी ने लॉन्च की विश्व की प्रथम इथेनॉल कार, इससे किसान भाइयों को होगा लाभ

नितिन गडकरी ने लॉन्च की विश्व की प्रथम इथेनॉल कार, इससे किसान भाइयों को होगा लाभ

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पूर्णतय इथेनॉल से संचालित टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस कार लॉन्च की है। बतादें, कि इस कार को पूरी तरह से टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा भारत के अंदर ही निर्मित किया गया है। यह विश्व की प्रथम इलेक्ट्रीफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार का प्रोटोटाइप है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज दिल्ली में आयोजिक एक कार्यक्रम के दौरान विश्व की प्रथम इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार के प्रोटोटाइप के तौर पर नई टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस को लॉन्च किया है। इस कार को पूरी तरह से टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा भारत में ही बनाया गया है। वहीं टोयोटा की इनोवा हाईक्रॉस कार 100 प्रतिशत एथेनॉल फ्यूल से चलती है। साथ ही, इथेनॉल गन्ने और अनाज से निर्मित किए जाने वाला फ्यूल है। इसे "ई100" के नाम से भी जाना जाता है।

टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस की विशेषताऐं

  • टोयोटा की इनोवा हाईक्रॉस कार 100 प्रतिशत एथेनॉल ईंधन से चलती है।
  • यह कार विश्व की पहली इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल का प्रोटोटाइप है।
  • इस कार को BS6 स्टेज-2 के नॉर्म्स के मुताबिक विकसित किया गया है।
  • यह कार 15 से 20 किलोमीटर का माइलेज आराम से प्रदान कर सकती है।
  • इसमें ओल्ड स्टार्ट सिस्टम लगाया गया है, जिससे इस कार का इंजन माइनस 15 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में भी सुगमता से कार्य कर सकता है।
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फ्लेक्स फ्यूल के बारे में जानकारी

फ्लेक्स फ्यूल एक प्रकार की तकनीक है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए से वाहनों में 20 प्रतिशत से अधिक इथेनॉल के उपयोग की सुविधा होती है। साथ ही, फ्लेक्स फ्यूल, गैसोलीन (पेट्रोल) और मेथनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से बना एक वैकल्पिक ईंधन है। बतादें, कि यह कोई आधुनिक या नवीन तकनीक नहीं है। इस तकनीक की शुरुआत सर्व प्रथम 1990 के दशक में हुई थी। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि साल 2017 तक दुनिया की सड़कों पर तकरीबन 21 मिलियन फ्लेक्स-फ्यूल वाहन मोजूद थे।

इथेनॉल के उपयोग से प्रदूषण काफी कम होता है

इथेनॉल के उपयोग से संचालित वाहनों से प्रदूषण भी कम होता है। यह एक तरह से हरित ऊर्जा है। इससे पर्यावरण में प्रदूषण काफी कम होगा। पेट्रोल डीजल के मुकाबले में यह 20 प्रतिशत कम हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करता है। यानी कि प्रदूषण कम करता है। यह भी पढ़ें: नितिन गडकरी के इस आधुनिक तकनीकी मॉडल से अन्नदाता बनेगा ऊर्जादाता

इथेनॉल किस तरह से तैयार किया जाता है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इथेनॉल फसलों से निर्मित किया जाता है। साथ ही, इसको चावल, मक्का और गन्ना जैसी फसलों से तैयार किया जाता है। भारत में इन फसलों का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन होता है। गन्ना और मक्के से निर्मित होने के कारण इसे अल्कोहल बेस फ्यूल भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सामान्य पेट्रोल के मुकाबले में इथेनॉल की कीमत भी बेहद कम है।
पीएम मोदी से एथेनॉल निर्माताओं ने की एथेनॉल के खरीद भाव को बढ़ाने की मांग

पीएम मोदी से एथेनॉल निर्माताओं ने की एथेनॉल के खरीद भाव को बढ़ाने की मांग

एथेनॉल निर्माताओं ने अनाज एवं मक्के से निर्मित एथेनॉल के खरीद मूल्य में इजाफा करने के लिए पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है। एथेनॉल विशेष रूप से क्षतिग्रस्त अनाज एवं मक्के से तैयार हो रहा है। भारत में दो स्त्रोतो से एथेनॉल तैयार किया जाता है। इनमें से एक गन्ना एवं दूसरा अनाज (चावल मक्का) हैं।

एथेनॉल के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी की मांग 

एथेनॉल निर्माताओं के मुताबिक, अनाज (चावल) से तैयार होने वाले एथेनॉल का खरीद भाव 69.54 एवं मक्के से निर्मित एथेनॉल का खरीद मूल्य 76.80 रुपये प्रति लीटर किया जाए। ऐसा करने पर नवंबर माह से शुरू हो रहे 2023-24 के एथेनॉल आपूर्ति साल में लगातार आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।

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एथेनॉल के बढ़ते उत्पादन से पेट्रोल के दाम में होगी गिरावट, महंगाई पर रोक लगाने की तैयारी साल 2022-23 में क्षतिग्रस्त अनाज से निर्मित एथेनॉल का खरीद मूल्य 64 रुपये प्रति लीटर एवं मक्के से निर्मित एथेनॉल का खरीद भाव 66.07 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया गया था। एथेनॉल निर्माताओं ने खरीद मूल्य में इजाफा करने की मांग तब की, जब केंद्र सरकार ने गन्ने से निर्मित होने वाले एथेनॉल का खरीद मूल्य घोषित नहीं किया। सामान्य तौर पर यह नवंबर माह के आरंभ में घोषित हो जाता है। वही दूसरी तरफ भारतीय खाद्य निगम ने अतिरिक्त चावल की आपूर्ति बरकरार नहीं रखी हैं।

जीईएमए ने की फीडकॉस्ट के भाव निर्धारित करने की मांग 

अनाज एथेनॉल निर्माता एसोसिएशन (जीईएमए) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं पेट्रोलियम मंत्री श्री हरदीप पुरी से मांग की है, कि आज के समय में खुले बाजार में मौजूद फीडस्टॉक (क्षतिग्रस्त अनाज और मक्के) के खर्च के आधार पर लागत मूल्य निर्धारित किया जाए।

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तेल विपणन कंपनियों को कितना एथनॉल मुहैय्या करवाया गया है 

एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 में तेल विपणन कंपनियों को 2.9 अरब लीटर अनाज आधारित एथेनॉल उपलब्ध करवाया गया है। इसमें क्षतिग्रस्त अनाज (टूटे हुए चावल) की भागेदारी 54 प्रतिशत, एफसीआई से अनुदान प्रदान की गई आपूर्ति की 15 फीसद और मक्के की भागीदारी 31% प्रतिशत रही। तेल विपणन कंपनियों ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 में 15 प्रतिशत सम्मिश्रण एथेनॉल के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 8.25 अरब लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की निविदा जारी की है। इसके अंदर 2.9 अरब लीटर एथेनॉल की आपूर्ति अनाज आधारित स्रोतों से होती है। वहीं, शेष बची आपूर्ति गन्ना आधारित शीरे से होती है। अनाज आधारित एथेनॉल के निर्माताओं ने कहा है, कि संपूर्ण वर्ष के लिए गन्ना आधारित एथेनॉल को खरीदने का मूल्य निर्धारित किया जा सकता है। इसकी वजह यह है, कि गन्ने के भाव स्थिर रहते हैं। हालांकि, अनाज आधारित एथेनॉल के भाव प्रतिदिन के आधार पर निर्धारित होते हैं। बहुत बार आपूर्ति मांग के चलते घंटे के आधार पर भी निर्धारित होते हैं।