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किसानों को मिलेगा चार हजार रुपए प्रति एकड़ का अनुदान, लगायें ये फसल

किसानों को मिलेगा चार हजार रुपए प्रति एकड़ का अनुदान, लगायें ये फसल

दलहन व तिलहन फसल लगाने पर अनुदान

देश में
दलहन एवं तिलहन फसलों का उत्पादन कम एवं माँग अधिक है. यही कारण है कि किसानों को इन फसलों के अच्छे मूल्य मिल जाते हैं. वहीँ दलहन या तिलहन की खेती में धान की अपेक्षा पानी भी कम लगता है। यही कारण है कि अलग-अलग राज्य सरकारें किसानों को धान की फसल छोड़ दलहन एवं तिलहन फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। केंद्र सरकार भी किसानों को दलहन और तिलहन की खेती करने के लिय प्रोत्साहित करती है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है की भारत खाद्य पदार्थों जैसे, धान, गेहूं आदि में तो आत्मनिर्भर है, पर दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर नहीं हो सका है। आज भी देश में बाहर से दलहन का आयात करना पड़ता है। स्वाभाविक है की राज्य सरकारें दलहन और तिलहन की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करती है। इसी नीति के तहत हरियाणा सरकार ने दलहन और तिलहन फसलों पर अनुदान देने का निर्णय लिया है.

ये भी पढ़ें: दलहन की फसलों की लेट वैरायटी की है जरूरत दलहन फसलों जैसे मूँग एवं अरहर और तिलहन फसलों जैसे अरंडी व मूँगफली की फसल लगाने पर किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये अनुदान का प्रावधान किया है. हरियाणा सरकार के अनुदान के फैसले के पीछे बड़ा उद्देश्य यह भी है की इससे किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके. इस योजना का दोहरा लाभ किसानों को होगा. क्योकि एक तो दलहन और तिलहन फसलों की कीमत भी किसानों को अधिक प्राप्त होगा और साथ ही साथ अनुदान की राशि भी सहायक हो सकेगा. सरकार ने इन फसलों को उगाने वाले किसानों को अनुदान के रूप में प्रति एकड़ चार हजार रुपए देने का निर्णय लिया है।

सात ज़िले के किसानों को मिलेगा योजना का लाभ :

हरियाणा सरकार की ओर से झज्जर सहित दक्षिण हरियाणा के सात जिलों का चयन इस अनुदान योजना के लिये किया गया है. इन सात जिलों में झज्जर भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, हिसार व नूंह शामिल है. हरियाणा सरकार नें इन सात जिलों के दलहन और तिलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए विशेष योजना की शुरुआत की है। इस योजना को अपनाने वाले किसानों को चार हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से वित्तीय सहायता दी जाएगी।

कितना अनुदान मिलेगा किसानों को ?

हरियाणा सरकार द्वारा फसल विविधीकरण के अंतर्गत दलहन व तिलहन की फसलों को बढ़ावा देने के लिए इस नई योजना की शुरुआत की गयी है। योजना के तहत दलहन व तिलहन की फसल उगाने वाले किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी. यह योजना दक्षिण हरियाणा के 7 जिलों: झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, महेन्द्रगढ, रेवाड़ी, हिसार तथा नूंह में खरीफ मौसम 2022 के लिये लागू की जायेगी.

ये भी पढ़ें: तिलहनी फसलों से होगी अच्छी आय हरियाणा सरकार नें प्रदेश में खरीफ मौसम 2022 के दौरान एक लाख एकड़ में दलहनी व तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय किया है. सरकार नें इस योजना के तहत दलहनी फसलें मूँग व अरहर को 70,000 एकड़ क्षेत्र में और तिलहन फसल अरण्ड व मूँगफली को 30,000 एकड़ में बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है.

किसान यहाँ करें आवेदन

चयनित सातों ज़िलों के किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इसके लिए किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल जाकर सबसे पहले पंजीकरण कराना होगा. वित्तीय सहायता फसल के सत्यापन के उपरान्त किसानों के खातों में स्थानान्तरण की जाएगी.  
खेत में पानी भरने से हुआ है नुकसान, तो सरकार देगी मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

खेत में पानी भरने से हुआ है नुकसान, तो सरकार देगी मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

बारिश के मौसम में अक्सर सुनने को मिलता है कि किसानों की फसल, खेत में जलभराव की वजह से खराब हो गई। अब किसानों को इस विषय में राहत देने के लिए हरियाणा सरकार ने गिरदावरी (Girdawari) का काम शुरू किया है, जिसके अंतर्गत जलभराव के कारण जो भी आपकी फसल का नुकसान हुआ है उसको लेकर सरकार को बता सकते हैं और आपकी फसल का जितना नुकसान हुआ है, उसके हिसाब से आपको मुआवजा मिल जाएगा। गिरदावरी का काम 5 सितंबर तक चलेगा, इसलिए अगर आपने अभी तक इसके अंतर्गत रजिस्टर नहीं कराया है, तो आज ही करा लें। गिरदावरी को आसान भाषा में कहें, तो अगर आपकी फसल की क्षति का ब्योरा राज्य सरकार के पास अभी नहीं है, तो आप भेज सकते हैं। चूंकि, अभी केवल एक हफ्ता ही बचा है, तो आपको इस बारे में विचार करने की जरूरत है। इसके लिए आपको उस खेत की फोटो खींचनी होगी जिसमें जलभराव की वजह से आपकी फसल की क्षति हुई है और उस फोटो को ब्योरे के साथ ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपलोड करना होगा। ई-फसल क्षतिपूर्ति सूचना देने के लिए 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पर फसल का पंजीकरण अनिवार्य है। इस तरह से आप अपनी मुआवजा प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा देंगे।

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गौर करने वाली बात है कि बारिश के सीज़न में कई खेतों में पानी भर जाने से राज्य सरकार ने गिरदावरी का काम 5 अगस्त से शुरू कर दिया था। इसके अंतर्गत जो भी फसलें बर्बाद हुई होंगी, उनका मुआवजा सरकार देगी। हाल ही में इस बारे में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए बताया। उन्होंने इस दौरान कहा कि जिन किसानों के खेतों में जलभराव देखने को मिला है, उसको लेकर सरकार गंभीर है और उचित कदम उठा रही है। उन्होंने इस दौरान कहा कि हर चीज़ को लेकर पारदर्शिता बरती जा रही है। लेकिन अगर किसान को फिर भी लग रहा है कि उसकी गिरदावरी सही नहीं हुई है, तो वे अपनी फसल का ब्योरा, पोर्टल पर फोटो सहित अपलोड कर सकते हैं। इस तरह से पटवारी एक बार फिर से, फसल में हुए नुकसान का आंकलन करेगा और रिपोर्ट पेश करेगा। इसके अलावा उप मुख्यमंत्री ने एक और बात कही। उन्होंने कहा कि बारिश के सीज़न में गरीबों के मकानों को काफी नुकसान पहुंचता है। ऐसे में सरकार इसको लेकर जल्दी ही बड़ा फैसला लेने वाली है। उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में गरीबों के मकानों को नुकसान पहुंचने पर उन्हें 80 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी। इसके लिए कानून में संशोधन करना होगा, इसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

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मुआवजे की प्रक्रिया हमारे देश में कितनी जटिल है, ये सभी जानते हैं। इसी बात पर जोर देते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए संबंधित उपायुक्त को शक्ति दी जाएगी, ताकि मुआवजे की राशि को जल्दी से जल्दी प्रभावित लोगों के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जा सके। उन्होंने इस दौरान कहा कि इसके पहले मुआवजे का प्रावधान बाढ़ के समय पर मकानों को नुकसान होने पर ही मिलता था, लेकिन गरीबों के मकान तो बरसात में भी गिर जाते हैं। इसमें खेत में ट्यूबवेल पर बने कमरे के नुकसान को लेकर भी गरीबों की मदद की जाएगी।
हरियाणा में फसल बेचने के लिए करवाएं रजिस्ट्रेशन, फिर से खुला 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल

हरियाणा में फसल बेचने के लिए करवाएं रजिस्ट्रेशन, फिर से खुला 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल

इन दिनों देश में खरीफ की फसल लगभग तैयार हो चुकी है और कई राज्यों में इस फसल की कटाई भी प्रारम्भ हो चुकी है। इसको देखते हुए कई राज्यों में MSP के तहत फसलों की खरीदी प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। अन्य राज्यों के साथ ही हरियाणा सरकार भी धान की खेती को MSP के तहत खरीदेगी, जिसके तहत सरकार ने खरीदी प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। हरियाणा में किसानों को अपनी फसल को MSP पर बेचने के लिए आवश्यक रूप से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसलिए किसानों की सहूलियत को देखते हुए एक बार फिर से हरियाणा सरकार ने 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल किसानों के लिए खोल दिया है। जो भी किसान इस पोर्टल में अपना रजिस्ट्रेशन करवाने से चूक गए हैं, वो शीघ्र ही अपना रजिस्ट्रेशन करा लें, ताकि उन्हें अपनी फसल को MSP पर बेचने में किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।

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हरियाणा सरकार की पूरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसान MSP पर अपनी फसल को बेचकर उचित लाभ कमा सकें। इसलिए सरकार ने किसानों के लिए कई नियम बनाये हैं, जिससे MSP फसल बेचने पर किसान को फायदा हो और इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की धांधली न होने पाए। हरियाणा सरकार इसके पहले भी एक बार अपना पोर्टल 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' किसानों के लिए खोल चुकी है। यदि जिन भी किसानों ने तब अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया था, उन्हें दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाने की जरुरत नहीं है। हरियाणा सरकार ने एक बार फिर से यह पोर्टल मात्र 3 दिनों के लिए खोला है। इस पोर्टल में किसान 22 सितंबर से लेकर 24 सितंबर तक अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

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हरियाणा सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर ने ट्वीट करके जानकारी दी कि, यह किसानों के लिए आखिरी मौका है। इसके बाद पोर्टल दोबारा नहीं खोला जाएगा। इच्छुक किसान अपना रजिस्ट्रेशन 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' की ऑफिसियल वेबसाइट https://fasal.haryana.gov.in पर जाकर करवा सकते हैं।