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टमाटर, अदरक के साथ साथ इन सब्जियों के भी बढ़ गए दोगुने दाम

टमाटर, अदरक के साथ साथ इन सब्जियों के भी बढ़ गए दोगुने दाम

भारत की राजधानी दिल्ली में टमाटर अब 200 से भी ज्यादा हो गया है। इसी प्रकार अदरक, भिंडी एवं शिमला मिर्च की कीमतें भी बढ़ चुकी हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि मानसून के दस्तक देते ही महंगाई रॉकेट की गति से बढ़ गई है। बतादें कि टमाटर के पश्चात वर्तमान में अदरक, प्याज और लहसुन समेत विभिन्न सब्जियां काफी महंगी हो गई हैं। इसकी वजह से आम जन मानस की थाली से विटामिन्स से भरपूर डिशेज विलुप्त हो गई हैं। महंगाई का कहर यहां तक है, कि 30 से 40 रुपए में उपलब्ध होने वाली हरी-सब्जियां ही खरीदना बंद कर दिया है। अब उसके स्थान पर वह चना सोयाबीन और आलू की सब्जियॉं खाकर अपने पेट का भरण पोषण करते हैं।

टमाटर की कीमतें 200 से भी ऊपर हुई

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में टमाटर 200 रुपये किलो से भी अधिक महंगा हो गया है। अदरक की तो चर्चा करना ही छोड़ दीजिए। यह 320 रुपये किलो हो गया है। जनता भाव सुनकर ही सब्जियों की दुकान से दूरियां बना ले रहे हैं। विशेष बात यह है, कि दिल्ली में इतनी महंगी सब्जियां तब है, जबकि यहां पर उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तराखंड से खाद्य पदार्थों की आपूर्ति होती है। ये भी पढ़े: इन राज्यों में 200 रुपए किलो के टमाटर को राज्य सरकार की मदद से 60 रुपए किलो में बेचा जा रहा है

धनिया हुआ 100 के भाव

ओखला सब्जी मंडी में टमाटर के अतिरिक्त बाकी सब्जियों की कीमतों में दोगुना से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अगर हम बात दिल्ली के रिटेल मार्केट की करें, तो यहां पर सब्जियों की कीमत सांतवें आसमान पर पहुंच गई है। टमाटर 220 रुपए तो शिमला मिर्च 100 से 110 रुपए किलो बिक रही है। यही स्थिति धनिया के साथ भी है। 40 से 50 रुपये किलो खुदरा मार्केट में बिकने वाले धनिया की कीमत 100 रुपए तक पहुँच चुकी है।

इन सब्जियों की बढ़ी कीमत

इसी प्रकार खीरे की कीमत में भी आग लग चुकी है। जो खीरा एक महीने पहले तक 20 रुपये किलो था, अब इसकी कीमत में दोगुना से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। लोगों को एक किलो खीरा खरीदने पर 40 से 50 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। इसी प्रकार भिंडी भी 50 रुपये किलो हो गई है। विशेष बात यह है, कि फूलगोभी तीन गुना महंगा हो गया है। जानकारी के लिए बतादें, कि 30 से 35 दिन पहले तक फूलगोभी 40 रुपये किलो था। वर्तमान में फूलगोभी कीमत 120 रुपये किलो हो गई है। इस कड़ी में 80 रुपये किलो नींबू 100 रुपये किलो हरी मिर्च और 60 रुपये किलो करेला बिक रहा है।
यह राज्य सरकार बाढ़ पीड़ित किसानों को 15 हजार प्रति एकड़ मुआवजा प्रदान करेगी

यह राज्य सरकार बाढ़ पीड़ित किसानों को 15 हजार प्रति एकड़ मुआवजा प्रदान करेगी

बाढ़ में किसानों के फसल को होने वाले नुकसान के लिए राज्य सरकारें मुआवजा दे रही हैं, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। भारत में विगत कई दिनों से भारी बारिश की वजह फसलों को काफी क्षति पहुंची है। ऐसे में विभिन्न राज्य सरकारें अपने किसानों के फायदे के लिए कोई ना कोई कदम उठा रही हैं। हरियाणा राज्य की सरकार ने भी एक ऐसा ही कदम उठाया है। सरकार के अनुसार, इस भारी बारिश से उत्पन्न हुई बाढ़ में यदि किसी किसान की फसल 100 प्रतिशत तक खराब हो गई है, तो उसे 15000 रुपये प्रत‍ि एकड़ की दर से मुआवजा प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कम एकड़ में बर्बाद हुई फसलों को उसके अनुसार मुआवजा प्रदान किया जाएगा।

हजारों एकड़ में किसानों की फसल बर्बाद

हरियाणा सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े के अनुसार, राज्य में बाढ़ से अब तक तकरीबन 18000 से अधिक एकड़ की फसल बर्बाद हो चुकी है। राज्य के लगभग 1353 गांवों में जलभराव हो गया और अब तक कुल 35 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। राज्य सरकार के अनुसार, जिन जगहों पर फसलों को दोबारा लगाने की गुंजाइश है, वहां के किसानों के लिए भी अलग से मुआवजे का इंतजाम किया गया है। सरकार का यह भी कहना है, कि इस बाढ़ के चलते जिसके घर के किसी भी व्यक्ति की जान गई है तो उनके परिजनों को 4 लाख रुपये के मुआवजे का भी इंतजाम किया जायेगा। ये भी पढ़े: बारिश से किसानों की बर्बाद हुई फसल का सरकार मुआवजा प्रदान करेगी

मुआवजा प्राप्त करने के लिए इस तरह क्लेम करें

अगर आपकी फसल को इस बाढ़ से काफी क्षति पहुंची है, तो मुआवजे के लिए आप राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए ई-क्षत‍िपूर्त‍ि पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आपके आवेदन के उपरांत दिए गए विवरण का प्रमाणीकरण किया जाएगा और फिर एक वेरिफिकेशन के बाद ही मुआवजे की धनराशि आपके बैंक खाते में हस्तांतरित कर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त सरकार ने ड‍िजास्टर मैनेजमेंट फंड से बाढ़ प्रभाव‍ित क्षेत्रों के जानवरों के रख-रखाव के लिए भी मुआवजा देने का निर्णय लिया है। पशुओं को इस बरसात के सीजन में कोई बीमारी ना लग पाए इसके लिए 50 लाख पशुओं के टीकाकरण का भी इंतजाम किया जा रहा है।
इस राज्य में बारिश से क्षतिग्रस्त हुई फसल का राज्य सरकार मुआवजा प्रदान कर रही है

इस राज्य में बारिश से क्षतिग्रस्त हुई फसल का राज्य सरकार मुआवजा प्रदान कर रही है

फसल क्षति को देखते हुए सरकार ने मुआवजा धनराशि का वितरण शुरू भी कर दिया है। पठानकोट, रोपड़ , मोगा, मोहाली, संगरूर, पटियाला, जालंधर और लुधियाना जनपद में किसानों को मुआवजे के तौर पर 103 करोड़ रुपये दिए गए हैं। ऐसा कहा जा रहा है, कि इन जिलों में बहुत से गांव अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। किसानों को हमेशा किसी न किसी बाधा का सामना करना पड़ता है। कभी उनकी फसल को निराश्रित पशु नुकसान पहुँचाते हैं, तो कभी प्राकृतिक आपदाऐं। बतादें, कि इस वर्ष भारत के विभिन्न राज्यों में अभी तक औसत से कम बरसात हुई है। परंतु, पंजाब में इस बार इंद्र देवता ने खूब जमकर बारिश की है। इससे बहुत से जनपद में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे। यहां तक कि शहरों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई थी। इससे आम जनता को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। विशेष बात यह है, कि ज्यादा बारिश होने से पंजाब राज्य में सबसे ज्यादा किसानों को नुकसान वहन करना पड़ा है। लाखों हेक्टेयर में लगी धान की फसल पूर्णतय चौपट हो गई। ऐसे हालातों में किसानों को पुनः धान की बुवाई करनी पड़ी। परंतु, वर्तमान में पंजाब सरकार ने किसानों के फायदे के लिए बड़ा कदम उठाया है।

पंजाब सरकार फसल हानि के लिए अनुदान प्रदान कर रही है

पंजाब सरकार ने किसानों को फसल क्षति के बदले में मुआवजा देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार का कहना है, कि किसानों को 6,800 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा प्रदान किया जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से 86 करोड़ रुपये की धनराशि जारी भी कर दी गई है। शीघ्र ही, किसानों के खाते में मुआवजे की धनराशि हस्तांतरित की जाएगी। हालांकि, जुलाई माह में सरकार ने किसानों के खाते में मुआवजे के तौर पर 103 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की थी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों को नुकसान की भरपाई करने के लिए यह अहम कवायद की है। यह भी पढ़ें: प्रचंड बारिश और भयावय बाढ़ से पीड़ित किसानों ने फसल बर्बादी को लेकर सरकार से क्या मांग की

लाखों हेक्टेयर फसल जलभराव से चौपट

आंकड़ों के अनुसार, जुलाई माह में पंजाब में औसत से 44 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। विशेष कर पंजाब के फरीदकोट में 256.2 मिलीमीटर और मोहाली में 472.6 मिलीमीटर अधिक वर्षा हुई। इसी प्रकार पटियाला एवं रूपनगर में क्रमश: 71 प्रतिशत और 107 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई। वहीं, जुलाई माह के दौरान तरनतारन में 151 प्रतिशत और जालंधर में 34 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। इससे इन जनपदों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, जिससे 6.25 लाख एकड़ में लगी धान की नवीन फसल जलमग्न हो गई। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को 2.75 लाख एकड़ में धान की पुनः रोपाई करनी पड़ी।

किसानों को अब तक कोई सहायता नहीं मिली है

बतादें, कि रबी सीजन के दौरान भी बेमौसम बरसात ने पंजाब में प्रचंड तबाही मचाई थी। ऐसे में हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल बारिश और ओलावृष्टि की वजह से बर्बाद हो गई थी। उस वक्त सरकार ने पीड़ित किसान भाइयों को फसल नुकसान के एवज में मुआवजा देने का वादा किया था। परंतु, किसानों को अब तक कोई मदद नहीं मिली है। किसान भाई बेहद जोखिम भरी परिस्थियों में खेती करते हैं।
जानिए बांस को किसानों का एटीएम क्यों कहा जाता है ?

जानिए बांस को किसानों का एटीएम क्यों कहा जाता है ?

बांस ने सिद्ध किया है, कि यह किसी भी हालत में अपना विकास करने में सक्षम है। क्योंकि यह अपनी जलवायु विविधता के मुताबिक परिवर्तन लाने की क्षमता की  वजह संजीवनी पौधा है। बतादें, कि चाहे बाढ़ हो अथवा सुखाड़, रेगिस्तान अथवा पहाड़ी इलाका हो, बांस बड़ी सहजता से उग जाता है। यह उपजाऊ अथवा बंजर भूमि में भी सहजता से उग सकता है। बांस किसानों के घर के आंगन से लेकर लड़ाई के मैदान में दुश्मनों के विरुद्ध लठ बजाने जैसे बहुतसे से कामों में सहारा देने वाला एक टिकाऊ बहुमुखी प्राकृतिक पौधा है। यह जीवन में भी शादी के मंडप से मृत्यु की शैय्या तक साथ देने की वजह से काफी उपयोगी होता है। बांस की मांग दिन-प्रतिदिन निरंतर बढ़ती जा रही है। इसलिए, इसे 'ग्रीन गोल्ड' कहा जाता है। इसको किसानों के लिए एक वास्तविक एटीएम के तौर पर जाना जाता है।

जानिए हरा सोना यानी कि बांस की उपयोगिता के बारे में 

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि बांस एक बहुउपयोगी पौधा है। इस वजह से ही इसे ग्रीन गोल्ड कहा जाता है। बांस का इस्तेमाल भवन निर्माण से लेकर खानपान एवं कुटीर उद्योग में बहुतायत से किया जाता है। अगरबत्ती उद्योग, पैकिंग उद्योग, कागज उद्योग एवं बिजली उत्पन्न करने आदि में भी उपयोग किया जाता है। सामान्य तौर पर शहरों-क़स्बों अथवा गांवों में सीमेंटेड घर बनाते वक्त, इसके इस्तेमाल पर आपकी नजर पड़ी होगी। परंतु, सजावटी, रसोई और घरेलू वस्तु बनाने में भी ये बेहद काम आता है। इसका उपयोग वाद्य-यंत्र एवं आयुर्वेदिक दवा के तौर पर होता है। इससे शानदार गुणवत्ता की चेचरी एवं मैट तैयार किए जाते जाते हैं। बतादें कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि भूकंप, तूफान और बाढ़ वाले क्षेत्रों में बांस से निर्मित घर ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, मृदा-क्षरण को रोकने में भी, बांस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बतादें, कि बाढ़ वाले क्षेत्रों में जहां अन्य फसलों को हानि होती है, वहां बांस सुरक्षित रहता है। 

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बांस को किसानों का एटीएम कहा जाता है 

बांस को किसानों का ATM कहा जाता है। इसका इस्तेमाल कई सारी चीजों में होने की वजह से बांस को बेचने में कोई दिक्कत नहीं रहती है। खरीदार अथवा  व्यापारी स्वयं, खेतों से बांस काटकर ले जाते हैं। ना बाजार का कोई झंझट, ना दाम की कोई चिकचिक। इसके साथ ही अन्य दूसरी फसलों में जहां हर समय नजर रखनी पड़ती है। उसमें मानव-श्रम काफी अधिक लगता है। इसके साथ ही बांस का बगीचा, एक बार लगा देने पर इसमें अधिक मानव-श्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके साथ ही 5 वर्ष उपरांत से लेकर, 30 साल तक इससे नियमित तौर पर आमदनी होती रहती है। बतादें, कि अपने इन्हीं खास गुणों की वजह से बांस को किसानों का ATM कहा जाता है। 

बांस की शानदार किस्में इस प्रकार हैं  

राष्ट्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान केंद्र झांसी के मुताबिक भारत में सामान्यतः बांस की 23 वंश की 58 किस्में पाई जाती हैं। यह प्रजातियां पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में हैं। भारत में सेंट एक्टस वंश 45 प्रतिशत, बॉम्बुसा बॉम्बे;13 प्रतिशत एवं डेंड्रोकैलामस मिल्टनी 7 फीसद पाई जाती है। बांस के बीज चावल की भांति होते हैं। बांस की टिश्यू कल्चर के माध्यम से तैयार पौध से रोपाई की जाती है।

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बांस की खेती से कम लागत में लाखों का मुनाफा 

प्रत्येक चार वर्ष उपरांत बांस के बगीचे तैयार हो जाते हैं। तब आप बांस की कटाई कर सकते हैं। चार वर्ष पर एक एकड़ से 15 से 20 लाख आमदनी ले सकते हैं अथवा मेड़ पर लगाकर प्रति वर्ष 20 हजार तक की आमदनी ले सकते हैं। बांस 30 वर्ष के जीवनकाल तक चलता रहता है। इस प्रकार बांस की बागवानी लगाकर आप बाढ़ वाले क्षेत्रों में भी अच्छी एवं निश्चित आमदनी कमा सकते हैं। ये हर समय बिक्री को तैयार रहने वाला पौधा है, जिस वजह से इसे ग्रीन गोल्ड भी कहा जाता है। भारत में इसकी खेती को प्रोत्साहन देने के लिए नेशनल बैंबू मिशन चलाया जा रहा है। वर्तमान में नेशनल बैंबू मिशन के अंतर्गत सरकार अनुदान भी प्रदान कर रही है। आप इसके सहभागी बन कर फायदा प्राप्त कर सकते हैं।  
यूपी सरकार द्वारा सोलर पंप पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सोलर पंप पर भारी छूट

यूपी सरकार द्वारा सोलर पंप पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सोलर पंप पर भारी छूट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा सोलर पंप योजना उत्तर प्रदेश (Solar Pump Scheme UP 2024) का आरम्भ किया गया है| यह योजना मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के किसानो के हित में आरम्भ की गयी है | यह किसानो के लिए एक बहुत ही लाभकारी योजनाओं में से एक है | वर्तमान समय में पेट्रोल और डीजल के दाम इतने ज्यादा अधिक बढ़ चुके है कि किसान खेतों में पानी डीजल इंजिन से लगाकर लाभ नहीं प्राप्त कर सकता है, और खेती में सिर्फ पानी देने की वजह से बहुत अधिक खर्च आ जाता है | इस समस्या से किसान बहुत अधिक परेशान रहते है| 


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इसके अलावा खेतों में पानी के लिए कई गांवों में अभी तक बिजली की समस्या बनी हुई है | जहाँ ट्यूबेल की लिए बिजली की समस्या अभी भी बनी हुई है| फसल को समय से पानी देने के लिए और किसानों को इसका कोई खर्च न उठाना पड़ें इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सोलर पंप योजना की शुरुआत करके नई सौगात दी है | सोलर पम्प योजना का लाभ प्राप्त कर किसानो को सिंचाई व्यवस्था में लाभ होगा इससे किसानो को अधिक खर्च की जरूरत नहीं होगी | उत्तर प्रदेश के 10,000 गावो में इस सोलर पंप को लगाने की योजना बनायीं गयी है | जिसमे एक सोलर पंप के जरिये कई किसानो की समस्याओ का समाधान होगा | यदि आप भी उत्तर प्रदेश में रहते है, और इस योजना का लाभ प्राप्त करना चाहते है, तो इस पोस्ट में आपको मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना 2024 उत्तर प्रदेश, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, UP Solar Pump Scheme से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया जा रहा है | 

इस राज्य में सोलर पंप लगाने के लिए भारी अनुदान, जानें पात्रता की शर्तें

इस राज्य में सोलर पंप लगाने के लिए भारी अनुदान, जानें पात्रता की शर्तें

किसान भाइयों को खेती के लिए सिंचाई की सही सुविधा हांसिल हो पाए, इसके लिए पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) चलाई जा रही है। 

इस योजना का संचालन भिन्न-भिन्न राज्यों में वहां की राज्य सरकार की तरफ से किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप (solar pump) लगाने के लिए 60% प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है। 

बतादें, कि इसी क्रम में यूपी सरकार की तरफ से राज्य के किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप मुहैय्या कराए जा रहे हैं। पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत राज्य में योजना के प्रथम चरण में लगभग 1000 सोलर पंप वितरित किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

इनमें से सबसे ज्यादा सोलर पंप का फायदा बनारस जनपद के कृषक को मिला है। यहां जनपद के 75 किसानों को फायदा प्राप्त हुआ, दूसरे वर्ष 56 किसान लाभान्वित हुए हैं। इस प्रकार जनपद में समकुल 131 किसानों को सोलर पंप का फायदा प्रदान किया गया है।

योजना के तहत कितने हजार सोलर पंप वितरित किए जाएंगे  

बतादें, कि योजना के अंतर्गत पूरे राज्य भर में 2023-24 में कुल 30,000 सोलर पंप का लक्ष्य रखा गया है। इसमें प्रथम चरण में राज्य में 1000 सोलर पंप पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 

इसमें वाराणसी के किसान पीएम कुसुम योजना का भरपूर फायदा लेने में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। यहां 2023-24 में कुल 131 किसानों का चुनाव इस योजना के अंतर्गत किया गया। 

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योजना के अंतर्गत सोलर पंप पर लगभग 90% प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके लिए किसान को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार 3 से लेकर 10 एचपी तक के सोलर पंप उपलब्ध कराती है।  

सोलर पंप पर दिया जा रहा है शानदार अनुदान ?  

यूपी में पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) के तहत किसानों को 3 एचपी से लेकर 10 एचपी के सोलर पंप पर 60 प्रतिशत तक सब्सिडी (subsidy) का लाभ प्रदान किया जा रहा है। 

इसमें तीन हॉर्स पावर के पंप की कीमत 26,5439 रुपए है, जिसके लिए किसान को अपनी जेब से मात्र 26,544 रुपए जमा कराना है। 

मतलब कि किसान को केवल 10% प्रतिशत धनराशि ही देनी है। शेष धनराशि सरकार अनुदान के तौर पर दे रही है और 30% प्रतिशत की व्यवस्था बैंक ऋण से की जा सकती है।

किसानों को सोलर पंप के लिए बुकिंग कहां करानी होगी 

उत्तर प्रदेश में कुसुम योजना (Kusum Yojana) के तहत अच्छे खासे अनुदान पर सोलर पंप प्रदान किए जा रहे हैं। सोलर पंप के लिए किसान भाइयों को बुकिंग करानी होगी। बुकिंग कराने के दौरान किसान को 5,000 रुपए की टोकन मनी भी जमा करानी होगी तभी उसका पंजीकरण होगा। 

किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट www.agriculture.up.gov.in पर जाकर आप बुकिंग करवा कर टोकन मनी जमा कराकर सोलर पंप के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। 

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किसानों की बुकिंग जनपद के लक्ष्य की सीमा से 110 प्रतिशत तक पहले आओ पहले पाओ के आधार पर की जा रही है। ऐसे में जो किसान योजना के तहत सब्सिडी पर अपने खेत में सोलर पंप लगवाना चाहते हैं, वे इसके लिए ऑनलाइन बुकिंग करा कर ऑनलाइन ही टोकन मनी जमा कर सकते हैं।

सोलर पंप सब्सिड़ी के लिए निम्नलिखित शर्तों का पालन करें  

किसानों को अनुदान पर सोलर पंप हांसिल करने के लिए योजना के अंतर्गत निर्धारित की गई शर्तों में सबसे पहले किसान के पास खुद का बोरिंग होना जरूरी है। तभी वे सोलर पंप के लिए बुकिंग करा सकते हैं। अगर सत्यापन के समय खेत में बोरिंग नहीं पाया गया तो टोकन मनी की राशि जब्त की जा सकती है।

टोकन कंफर्म करने के 14 दिन के अंतर्गत किसान को शेष धनराशि ऑनलाइन टोकन उत्पन्न कर चालान द्वारा इंडियन बैंक की किसी भी शाखा या ऑनलाइन तरीके से जमा करनी होगी।

किसान बैंक से लोन लेकर कृषक अंश जमा करने पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से नियमानुसार ब्याज में छूट का लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।

2 एचपी के लिए 4 इंच, 3 व 5 एचपी के लिए 6 इंच तथा 7.5 एचपी एवं 10 एचपी के लिए 8 इंच की बोरिंग होना जरूरी है।

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बतादें, कि इसी तरह 22 फीट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 50 फीट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 150 फीट तक 3 एचपी सबमर्सिबल, 200 फीट तक 5 एचपी सबमर्सिबल, 300 फीट तक गहराई पर उपलब्ध जल स्तर के लिए 7.5 एचपी और 10 एचपी सबमर्सिबल सोलर पंप उपयुक्त माने गए हैं। इसी के अनुसार सोलर पंप की स्थापना की जानी चाहिए।

सोलर पंप की स्थापना होने के पश्चात किसान इसकी जगह को बदल नहीं सकते हैं। अगर स्थान बदला जाता है, तो संपूर्ण अनुदान की धनराशि किसान से वसूल की जाएगी।