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बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण खराब हुआ गेहूं भी खरीदेगी सरकार, आदेश किए जारी

बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण खराब हुआ गेहूं भी खरीदेगी सरकार, आदेश किए जारी

पिछले दिनों देश भर में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने कहर बरपाया है। इसका असर उत्तर प्रदेश में भी हुआ है। जिसके चलते प्रदेश के किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। इस मौसम परिवर्तन के कारण गेहूं की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है, जिससे किसान बेहद चिंतित हैं। बरसात के कारण गेहूं के दाने अपेक्षाकृत छोटे हुए हैं, इसके साथ ही गेहूं के दाने टूट भी गए हैं। जिससे किसानों को फसल बेंचने में परेशानी हो रही है। इस परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि अब टूटे-फूटे और सिकुड़े गेहूं की भी खरीद की जाएगी, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही सरकार ने शर्त रखी है कि विक्रय के लिए आए गेहूं में टूटे-फूटे और सिकुड़े गेहूं का प्रतिशत 18 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अभी तक जिस गेहूं के ढेर में 6 फीसदी से ज्यादा टूटा-फूटा और सिकुड़ा गेहूं होता था, उसे सरकार नहीं खरीदती थी। लेकिन अब सरकार ने मानकों को बढ़ा दिया है। सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि अब 18 फीसदी तक खराब गेहूं की खरीदी की जाएगी। खराब गेहूं की खरीदी के लिए उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। सरकार की ओर से कहा गया है कि यह फैसला किसानों के हितों को देखते हुए लिया गया है। यह भी पढ़ें: केंद्रीय स्तर से हरियाणा, पंजाब सहित इन राज्यों में भीगे गेहूं की होगी खरीद सरकार की तरफ से कहा गया है कि खराब गेहूं के विक्रय के दौरान रेट में कटौती की जाएगी। फिलहाल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं 2125 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। अगर गेहूं 6 प्रतिशत तक खराब है तो उसके भाव में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी। अगर गेहूं 6-8 प्रतिशत तक खराब है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 5.31 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती की जाएगी। 8-10 प्रतिशत तक टूटे व सिकुड़े होने पर 10.62 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती की जाएगी। इसी प्रकार 10-12 प्रतिशत पर 15.93 रुपये प्रति क्विंटल, 12-14 प्रतिशत पर 21.25 रुपये प्रति क्विंटल, 14-16 प्रतिशत पर 26.56 रुपये प्रति क्विंटल और 16-18 प्रतिशत पर 31.87 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से कटौती की जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि आपदा के कारण जिस गेहूं की चमक कम हो गई है ऐसे गेहूं को भी सरकार खरीदेगी। अगर गेहूं की चमक में 10 से लेकर 80 प्रतिशत तक की कमी आई है तो उसके भाव में  5.31 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती की जाएगी। वहीं अगर गेहूं की चमक 10 फीसदी से कम खराब हुई है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी।
यह राज्य सरकार किसानों की क्षतिग्रस्त फसल को खरीदने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी देगी 

यह राज्य सरकार किसानों की क्षतिग्रस्त फसल को खरीदने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी देगी 

किसानों को हमेशा किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ता है। बीते दिनों प्रचंड गर्मी उसके बाद तेज बारिश से लाखों हेक्टेयर में खड़ी रबी सीजन की फसलें चौपट हो गई हैं। फसल क्षति की पूर्ति के लिए यूपी सरकार के माध्यम से खराब फसल की खरीद सहित कृषि निवेश राहत धनराशि देने की घोषणा की है। इस वर्ष का मार्च का महीना कृषकों हेत अत्यंत नुकसानदायक साबित हुआ है। बेमौसम बारिश ने मध्य एवं उत्तर भारत में तबाही मचा दी है। फरवरी माह में अचानक तापमान अधिक होने की वजह से सरसों के साथ गेहूं की फसल को भी हानि पहुँच रही थी। परंतु, उसके बाद मार्च की बारिश से किसानों के परिश्रम को पूर्णतय विफल कर दिया है। खेतों में कटाई हेतु तैयार खड़ी गेहूं एवं सरसों के साथ-साथ मसूर व चना की फसलें बुरी तरह से प्रभावित हो गईं। किसानों पर विपदा की भांति आई इस संकट के समय में विभिन्न राज्य सरकारों ने किसानों को सहायता धनराशि के तौर पर मुआवजा देने की घोषणा तो कर दी। परंतु, किसान भाइयों हेतु बर्बाद हुई फसल चिंता का कारण बन चुकी है। ऐसे में प्रभावित किसानों की इस समस्या का निराकरण कर दिया गया है। हाल ही में यूपी की योगी सरकार ने अपने प्रदेश में बारिश एवं आंधी से क्षतिग्रस्त हुई फसलों को खरीने का ऐलान किया है।

किसानों की आधी से ज्यादा फसल चौपट हो चुकी है

यदि हम फसल के नुकसान पर नजर डालें तो मार्च के दूसरे पखवाड़े में बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं एवं सरसों की फसल में 50 प्रतिशत से अधिक हानि की अटकलें लगाई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के 10 जनपदों में हुई फसल हानि के आकलन के अनुरूप कृषि विभाग के अधिकारियों ने 34,137 हेक्टेयर फसल बर्बादी होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। ये भी पढ़े: अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम बेमौसम बारिश से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले जनपदों में उन्नाव, हमीरपुर, झांसी, प्रयागराज, चंदौली, आगरा, बरेली, वाराणसी और लखमीपुर खीरी शम्मिलित हैं। सरकार द्वारा कराये गए 15 मार्च तक के सर्वेक्षण में यह पाया गया है, कि मार्च के प्रथम पखवाड़े में मौसम परिवर्तन से प्रत्यक्ष रूप से 1.02 लाख किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

बागवानी फसलों को भी झेलना पड़ा है नुकसान

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च के समापन के दो दिनों में बदली परिस्थितियों से पूरे प्रदेश के कृषि क्षेत्र पर बेकार तरह प्रभावित हुई है। विशेष रूप से अलीगढ़, बरेली, सीतापुर, उन्नाव, सोनभद्र, हमीरपुर, संभल, मुरादाबाद और पीलीभीत में ओलावृष्टि से तैयार कटी हुई फसलें चौपट हुई हैं। इनमें से विभिन्न जनपदों में आलू की खुदाई चल रही थी। वहीं, आम के पेड़ पर बौर आ रहे थे। परंतु, खेत में सुखाने हेतु रखे हुए आलू तो बर्बाद हुए ही, आम के बौर भी पेड़ों से झड़कर भूमि पर गिर चुके हैं। किसानों के अतिरिक्त बागवान भी आम के उत्पादन के संबंध में काफी चिंतित हैं।

योगी सरकार ने फसल क्षति का सर्वेक्षण करने के दिए आदेश

किसानों के लिए आफत बनी बेमौसम बारिश का कहर अभी तक जारी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा पहले पखवाड़े में मूसलाधार बारिश के पूर्वानुमान की जानकारी दी गई थी। इधर आज भी बहुत सारे क्षेत्रों में फसल कटाई एवं नई फसल की बुवाई का कार्य सुचारू है। ऐसी स्थितियों पर ध्यान देते हुए योगी सरकार द्वारा फसल नुकसान का सर्वेक्षण करने के निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके आधार पर कृषि निवेश राहत सहायता धनराशि भी मुहैय्या कराई जाएगी।
इस राज्य में केंद्र से आई टीम ने गुणवत्ता प्रभावित गेंहू का निरीक्षण किया

इस राज्य में केंद्र से आई टीम ने गुणवत्ता प्रभावित गेंहू का निरीक्षण किया

जैसा कि हम जानते हैं, कि मार्च माह में देश के उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत बहुत सारे राज्यों में ओलावृष्टि सहित वर्षा हुई थी। इसकी वजह से लाखों हेक्टेयर के रकबे में खड़ी रबी फसल को काफी क्षति पहुंची है। अब उत्तर प्रदेश के कृषकों को चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। उनको भी हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसानों के समरूप ही गेहूं खरीद में ढिलाई दी जा सकती है। दरअसल, इसके लिए यूपी के किसान भाइयों को थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। दरअसल, फसल क्षतिग्रस्त का अंदाजा लगाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से यूपी में कुछ टीमें भेजकर खेतों में हुई फसल हानि का आकलन कराया जा रहा है। उसके बाद यह टीमें सरकार के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी, जिसके उपरांत एमएसपी की घोषणा की करदी जाएगी। इसके साथ ही गेहूं खरीद में भी राहत प्रदान करने हेतु मानक निर्धारित किए जाएंगे। भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से सोमवार को ही अपनी कई टीमों को उत्तर प्रदेश के कुछ जनपद में भेजी गई हैं। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, इन टीमों के अंतर्गत डिप्टी सेक्रेटरी के समेत बहुत सारे अधिकारी शम्मिलित हैं। यह टीमें खेतों में पहुँच कर गेहूं की फसल में हुई क्षति का आकलन करके अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रदान करेगी। इसके आधार पर मंत्रालय किसानों से गेहूं की खरीदारी करने के लिए मानक निर्धारित करेगा।

सर्वेक्षण के लिए उत्तर प्रदेश भेजी गई टीमें

मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, विगत शनिवार को ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एमएसपी पर गेहूं की खरीद चालू करने की मांग केंद्र से की थी। इसके चलते उसने केंद्र द्वारा गेहूं खरीद में एमएसपी को लेकर मानक भी निर्धारित करने को कहा था। यही कारण है, कि केंद्र सरकार को अतिशीघ्र फसल हानि का आकलन करने हेतु उत्तर प्रदेश में अपनी टीमें भेजनी पड़ी हैं। यह भी पढ़ें: गेहूं की फसल बारिश और ओले के अलावा इस वजह से भी होगी प्रभावित दरअसल, मार्च के माह में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों में ओलावृष्टि के साथ-साथ बारिश हुई थी। इससे लाखों हेक्टेयर भूमि के रकबे में खड़ी रबी फसल को काफी हानि हुई है। विशेष रूप से गेहूं की फसल को सर्वाधिक हानि पहुँची है। राजस्थान राज्य में 3 लाख हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल को बेमौसम बारिश से काफी हानि पहुंची है। इसकी वजह से गेहूं की गुणवत्ता भी काफी प्रभावित हुई है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहू खरीद के नियमों में ढील प्रदान की गई है।

एमएसपी में कितने रुपए की कटौती की जाएगी

मतलब कि इन राज्यों में बारिश से गुणवत्ता प्रभावित गेहूं को भी एमएसपी पर खरीदा जाएगा। यदि इन तीनों प्रदेशों में गेहूं के दाने 6 फीसद से कम टूटे हुए मिलते हैं, उस स्थिति में एमएसपी में किसी प्रकार की कोई कटौती नहीं की जाएगी। यदि गेहूं के दाने 16 से 18 प्रतिशत के मध्य बेकार मिलते हैं, तब एमएसपी में 31.87 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती की जाएगी।

गुणवत्ता प्रभावित गेंहू के लिए मानक भी निर्धारित किए गए

इन सब बातों का सीधा सा मतलब है, कि रिपोर्ट पेश होने के उपरांत उत्तर प्रदेश के लिए भी केंद्र सरकार गेहूं खरीद के नियमों में ढ़िलाई प्रदान कर सकती है। इसके उपरांत यहां के किसान भाई भी पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर गुणवत्ता प्रभावित गेहूं को तय मानक के अनुरूप बेच सकते हैं। जानकारी के लिए आपको बतादें, कि केंद्र सरकार की तरफ से किसानों की दिक्कतों को कम करने हेतु खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की भी खरीद करने हेतु सरकारी एजेंसियों को निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही, इसके लिए मानक भी निर्धारित कर दिए गए हैं।
मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से केले की फसल बर्बाद, किसान मुआवजे की गुहार कर रहे हैं

मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से केले की फसल बर्बाद, किसान मुआवजे की गुहार कर रहे हैं

अचानक आई बेमौसम, बारिश की वजह से किसानों की फसलों को काफी हानि पहुंची है। मध्य प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि के चलते किसानों को काफी नुकसान हुआ है। किसान आर्थिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं। बेमौसम, बारिश से किसानों को होने वाली हानि रुकने का नाम नहीं ले रही है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं और सरसों की फसलों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त किया है। साथ ही, गेहूं, सरसों के अतिरिक्त बाकी फसलें भी प्रभावित हुई है। उत्तर प्रदेश और बिहार में लीची, टमाटर और आम सहित विभिन्न फसलों को क्षति पहुँचने की खबरें सामने आई हैं। मध्य प्रदेश से भी एक ऐसी ही फसल क्षति होने की बात सामने आ रही हैं। किसान सहायता की आशा भरी निगाहों से सरकार की तरफ देख रहे हैं।

मध्य प्रदेश में केला, प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है

मीडिया की खबरों के मुताबिक, मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में बारिश और ओलावृष्टि की वजह से कृषकों को ज्यादा हानि हुई है। ओलावृष्टि के साथ तेज आंधी की वजह हल्दी, केला और प्याज की फसलें गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। किसानों की हुई फसल क्षति को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से सर्वे कराने की मांग की है।

केले की फसल क्षति के लिए मुआवजे की गुहार कर रहे किसान

स्थानीय किसान राज्य सरकार से केले की फसलों को हुई क्षति की मांग कर रहे हैं। स्थानीय किसानों ने बताया है, कि विगत 3 सालों से केले की फसल का बीमा तक भी नहीं हो सका है। जो कि अतिशीघ्र होना चाहिए। इसके अतिरिक्त किसानों को हुए फसल हानि को ढाई लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए। इससे किसानों को अच्छी-खासी राहत मिल सकेगी। ये भी पढ़े: केले की खेती करने वाले किसान दें ध्यान, नही तो बढ़ सकती है मुसीबत: वैज्ञानिक

राज्य सरकार ने सर्वे कराने के निर्देश जारी किए

राज्य सरकार के स्तर से किसानों की समस्याओं को देखते हुए सर्वेक्षण करावाना चालू कर दिया है। कृषि विभाग एवं उद्यानिकी विभाग की एक ज्वाइंट टीम हुए फसलीय क्षति का आंकलन करने में लगी हुई है। टीमों के स्तर से सर्वे का काम तेज कर दिया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में बड़ी संख्या में किसान केले की खेती करते हैं। ऐसे में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से इन्ही किसानों को भारी क्षति हुई है। वहीं, बड़ी तादात में किसान ऐसे भी हैं, जोकि यह आरोप लगा रहे हैं, कि उनकी फसलों को काफी ज्यादा क्षति पहुँची है। लेकिन, सर्वे वाली टीम फसलीय क्षति का आंकलन काफी कम दिखा रही है।
मूसलाधार मानसूनी बारिश से बागवानी फसलों को भारी नुकसान

मूसलाधार मानसूनी बारिश से बागवानी फसलों को भारी नुकसान

भारत के कई राज्यों में अत्यधिक मानसूनी बारिश ने किसानों की फसलों को हानि पहुंचाई है। मानसूनी बारिश के चलते हिमाचल प्रदेश के किसानों की फसलों को भी काफी प्रभावित किया है। बतादें, कि सोलन जनपद में कई हैक्टेयर में लगी सब्जियों की फसल चौपट हो गई है। सावन के दस्तक देते ही भारत के विभिन्न राज्यों में अच्छी खासी बारिश ने हाजिरी दे दी है। बतादें, कि भारत की राजधानी समेत विभिन्न राज्यों में विगत कई दिनों से मूसलाधार बरसात हो रही है। इसके चलते विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में नदी नाले उफान पर आ चुके हैं। साथ ही, खेतों में जलभराव की स्थिति पैदा हो चुकी है। वहीं, मूसलाधार बारिश होने की वजह से धान की खेती करने वाले किसान बेहद खुश हैं, तो बागवानी एवं सब्जी उगाने वाले किसानों के लिए यह बरसात मुसीबत बन चुकी है। निरंतर हो रही इस बारिश की वजह से शिमला मिर्च, हरी मिर्च, फूलगोभी और टमाटर समेत विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियों को भारी हानि पहुंची है। इससे किसान भाइयों को आर्थिक तौर पर हानि उठानी पड़ी है।

मुरादाबाद में किसानों को भारी नुकसान

यदि हम बात उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की करें तो यहां पर बारिश के चलते हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसान काफी दुखी नजर आ रहे हैं। खेत में पानी भर जाने की वजह से भिंड़ी, लौकी और खीरा समेत विभिन्न प्रकार की फसल बर्बाद हो गई। परंतु, सबसे ज्यादा हानि हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों को वहन करनी पड़ी है। किसानों का कहना है, कि इस साल हरी मिर्ची की फसल अच्छी हुई थी। ऐसे में उनको आशा थी कि हरी मिर्च बेचकर उन्हें अच्छी खासी आमदनी होगी। परंतु, बारिश ने उनके सारे सपनों चकनाचूर कर दिया। ये भी पढ़े: बेमौसम बरसात या ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर KCC धारक किसान को मिलती है ये सुविधाएं

बागवानी फसलों को काफी हानि पहुंची है

यह कहा जा रहा है, कि जिले के मिर्च उत्पादक किसानों को बरसात की वजह से काफी हानि वहन करनी पड़ी है। वर्तमान में किसान फसल बर्बादी से हताश होकर सरकार के आगे मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मुरादाबाद के देवापर के सैनी वाली मिलक में बारिश होने की वजह से कृषकों की कई लाख रूपए की हरी मिर्च की फसल चौपट हो गई है। इसी प्रकार शामली जनपद में भी बारिश के चलते टमाटर, लौकी, तोरी और हरी मिर्च की फसल चौपट हो गई है।

अधिकारियों को हानि का आँकलन करने के निर्देश दिए गए हैं

हिमाचल प्रदेश में भी मूसलाधार बारिश से किसानों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। सोलन जनपद में कई हेक्टेयर में लगी सब्जियों की फसल बर्बाद हो गई। इससे सैकड़ों किसानों को लाखों रुपये की आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। ज्यादा बारिश से टमाटर और शिमला मिर्च की फसल खेतों में तैर गईं। साथ ही, पानी में निरंतर भिंगने के चलते टमाटर और शिमला मिर्च सड़ने भी लगे हैं। किसानों का कहना है, कि बारिश से जनपद में 30% फसल बर्बाद हो चुकी है। इसी कड़ी में किसानों की मांग पर नुकसान का आकलन करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। ये भी पढ़े: ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसल हुई बर्बाद

किसानों को वर्ष भर में करोड़ों की हानि

बतादें, कि सोलन जनपद में 5800 हेक्टेयर में किसान टमाटर की खेती करते हैं। सोलन जनपद में टमाटर से वार्षिक 80 करोड़ रुपये का व्यवसाय होता है। उधर, इसी तरह यहां के किसान वर्ष में 26290 क्विंटल शिमला मिर्च की पैदावार करते हैं, जिसे बेचकर 41.20 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। यदि बारिश से 30 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है, तो किसानों को करोड़ों रुपये की हानि हो सकती है।
किसानों पर बरपा कुदरत का कहर तबाह हुई फसलें

किसानों पर बरपा कुदरत का कहर तबाह हुई फसलें

बीते दो दिनों में मौसम में आए बदलाव के कारण फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। इस समय रबी की फसलें पक कर तैयार खड़ी थी कुदरत के कहर ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बीते दो दिनों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में तेज बारिश, ओलावृष्टि और आंधी तूफान ने फसलों को बहुत नुकसान पहुँचाया है। 

जिससे किसानों को फसल बर्बाद होने के कारण बहुत पीड़ा हुई है। खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। किसानों को इससे काफी नुकसान हुआ है।

किसानों की साल भर की मेहनत मौसम की मार से बर्बाद हो गई है। बारिश, ओलावृष्टि और आंधी तूफान ने फसलों को बहुत नुकसान पहुँचाया है। किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल खत्म होने के करीब है। 

ये भी पढ़ें: मौसम की बेरुखी ने भारत के इन किसानों की छीनी मुस्कान

उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा अगर उपज अच्छी नहीं हुई, कुदरत की इस बर्बादी ने खाद्य उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी है। तैयार फसल को बर्बाद होते देखकर किसान बेहोश हैं!

रबी की फसलें हुई बर्बाद 

बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर ग्रहण लगाया है। मौसम में हुए इस बदलाव ने खेतों में खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया है। वहीं, बारिश के साथ आई आंधी और ओलावृष्टि ने भी फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया। बारिश और आंधी ने गेहूं, चना, मटर, सरसों, आलू और टमाटर की फसलों को सबसे अधिक प्रभावित किया है।

किसानों का कहना है की फसलों को 90 प्रतिशत नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि सरकार को उनकी मदद के लिए जल्द से जल्द मुवाजा प्रदान करना चाहिए जिससे किसानों का खर्च वसूल हो सके।