हरी मिर्च की खेती की पूरी जानकारी

By: MeriKheti
Published on: 12-Aug-2022

दोस्तों आज हम बात करेंगे हरी मिर्च की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक जानकारियों के बारे में, हरी मिर्च का नाम सुनते ही जबान में अलग सा तीखापन आ जाता है। हरी मिर्च का इस्तेमाल खाने में स्वाद बढ़ने के साथ खाने को जायकेदार भी बना देता है। हरी मिर्च की खेती की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें:

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हरी मिर्च की खेती:

हरी मिर्च जिसको हम कैप्सिकम एनम के नाम से भी पुकारते हैं, खाने, सब्जी ,चार्ट, मसाले , अचार आदि तरह-तरह की डिशेस बनाने के लिए हरी मिर्च का इस्तेमाल करना अनिवार्य है। आप कितना ही स्वादिष्ट खाना क्यूं न बना लें, परंतु यदि आपने हरी मिर्च का इस्तेमाल नहीं किया होगा तो खाने में कुछ कमी रह जाएगी, जो पूरी नहीं की जा सकती है। ऐसे में हरी मिर्च, मसालों में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हरी मिर्च एक गर्म मसाला कहा जाता है। मिर्च का इस्तेमाल सूखे पाउडर के रूप में, ताज़ी मिर्च तथा विभिन्न विभिन्न तरह से काम में आती है। स्वाद के साथ मिर्च में पौष्टिकता भी पाई जाती है। जैसे मिर्च में विटामिन और सी का प्रमुख स्त्रोत भी होता है। कुछ औषधियों में मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए मिर्च की खेती करने से किसानों को बहुत लाभ पहुंचता है।

हरी मिर्च की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु का होना:

किसानों के लिए हरी मिर्च की फसल आय के साधन के साथ ही साथ कम लागत वाली भी फसल है। इसलिए हरी मिर्च की खेती करने के लिए किसानों को विभिन्न प्रकार की उपयुक्त जलवायु की आवश्यकता पड़ती है। हरी मिर्च की खेती के लिए सबसे अच्छा तापमान 20 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान उचित माना जाता है। गर्म आर्द जलवायु फसल के लिए सबसे अच्छी होती है क्योंकि कभी-कभी ऐसा होता है, पाले के द्वारा फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है।

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हरी मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन :

हरी मिर्च की खेती करने के लिए सबसे उपयोगी मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी होती है। किसानों के अनुसार, बलुई दोमट मिट्टी में फसल की बुवाई करने से हरी मिर्ची की पैदावार उच्च कोटि पर होती है। खेतों मे जल निकास की व्यवस्था को जरूर बनाए रखें।

हरी मिर्च की खेती के लिए खेतों को तैयार करें:

मिर्च की खेती करने के लिए किसान भूमि की भली प्रकार से जुताई करते हैं। एक गहरी जुताई की प्राप्ति करने के बाद खेतों को तैयार किया जाता है। जुताई के बाद तकरीबन 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद को खेतों में डालें। यदि गोबर की खाद सही प्रकार से सड़ी हुई नहीं होगी, तो खेतों में दीमक लग सकते हैं। मिट्टियों को अच्छी तरह से भुरभुरा कर लेना चाहिए। खेतों में क्यारियों को अच्छी तरह से थोड़ी थोड़ी दूरी पर लगाएं।

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हरी मिर्ची की फसल की सिंचाई:

हरी मिर्च की फसल की सिंचाई किसान सर्वप्रथम बीज रोपण करने के बाद देते हैं। मौसम के अनुसार सिंचाई की जाती है। यदि गर्मी का मौसम है तो लगभग 6 से 7 दिनों के अंदर सिंचाई दी जाती है। यदि मौसम ठंडा है यानी सर्दी का है, तो यह सिंचाई लगभग 15 से 20 दिनों के अंदर दी जाती है। जब खेतों में हरी मिर्च के फल व फूल आने लगे तब एक हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। अगर ऐसी स्थिति में आप सिंचाई नहीं करेंगे, तो उत्पादकता और फसलों की बढ़ोतरी में कमी आ जाएगी। साथ ही साथ आपको इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि किसी भी प्रकार से खेतों में पानी का जमाव ना रहे।

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हरी मिर्च की फसल की निराई गुड़ाई करने का तरीका:

हरी मिर्ची की फसल के लिए निराई गुड़ाई करना बहुत ही ज्यादा उपयोगी होता है क्योंकि, निराई गुड़ाई करने से किसी भी प्रकार के कीट, रोग आदि फसलों में नहीं लगने पाते हैं व फसलों का बचाव होता है। निराई गुड़ाई दो से तीन बार हाथों द्वारा, तीन से चार बार गुड़ाई की जरूरत होती है। मिट्टियों को एक से दो बार चढ़ाना उपयोगी होता है।

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