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आम के फूल व फलन को मार्च में गिरने से ऐसे रोकें: आम के पेड़ के रोगों के उपचार

आम के फूल व फलन को मार्च में गिरने से ऐसे रोकें: आम के पेड़ के रोगों के उपचार

आम जिसे हम फलों का राजा कहते है,  इसके लजीज स्वाद और रस के हम सभी दीवाने है। गर्मियों के मौसम में आम का रस देखते ही मुंह में पानी आने लगता है। 

आम ना केवल अपने स्वाद के लिए सबका पसंदीदा होता है बल्कि यह हमारे  स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। आम के अंदर बहुत सारे विटामिन होते है जो हमारी त्वचा की चमक को बनाए रखती है। 

हां आपको मार्च में आम के फूल व फलन को गिरने से रोकने और आम के पेड़ के रोगों के उपचार की जानकारी दी जा रही है।

आम की उपज वाले राज्य और इसकी किस्में [Mango growing states in India and its varieties]

भारत में सबसे ज्यादा आम कन्याकुमारी में लगते है। आम के पेड़ो की अगर हम लंबाई की बात करे तो यह तकरीबन 40 फुट तक होती है। वर्ष 1498 मे केरल में पुर्तगाली लोग मसाला को अपने देश ले जाते थे वही से वे आम भी ले गए। 

भारत में लोकप्रिय आम की किस्में दशहरी , लगड़ा , चौसा, केसर बादमि, तोतापुरी, हीमसागर है। वही हापुस, अल्फांसो आम अपनी मिठास और स्वाद के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी काफी डिमांड में रहता है।

 

आम के उपयोग और फायदे [Uses and benefits of mango]

आम का आप जूस बना सकते है, आम का रस निकल सकते है और साथ ही साथ कच्चे आम जिसे हम कैरी बोलते है उसका अचार भी बना सकते है। 

आम ना केवल हमारे देश में प्रसिद्ध है बल्कि दुनिया के कई मशहूर देशों में भी इसकी मांग बहुत ज्यादा रहती है। आम कैंसर जैसे रोगों से बचने के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है। 

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आम के पौधों को लगाने के लिए सबसे पहले आप गड्ढों की तैयारी इस प्रकार करें [Mango Tree Planting Method]

आम के पेड़ों को लगाने के लिए भारत में सबसे अच्छा समय बारिश यानी कि बसंत रितु को माना गया है। भारत के कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर बहुत ज्यादा वर्षा होती हैं ऐसे में जब वर्षा कम हो उस समय आप आम के पेड़ों को लगाएं। 

क्योंकि शुरुआती दौर में आम के पौधों को ज्यादा पानी देने पर वो सड़ने लग जाते है। इसके कारण कई सारी बीमारियां लगने का डर भी रहता है। 

आम के पेड़ों को लगाने के लिए आप लगभग 70 सेंटीमीटर गहरा और चौड़ा गड्ढा खोल दें और उसके अंदर सड़ा हुआ गोबर और खाद डालकर मिट्टी को अच्छी तरह तैयार कर दीजिए। 

इसके बाद आप आम के बीजों को 1 महीने के बाद उस गड्ढे के अंदर बुवाई कर दीजिए। प्रतीक आम के पेड़ के बीच 10 से 15 मीटर की दूरी अवश्य होनी चाहिए अन्यथा बड़े होने पर पेड़ आपस में ना टकराए।

आम के पौधों की अच्छे से सिंचाई किस प्रकार करें [How to irrigate mango plants properly?]

आम के पेड़ों को बहुत लंबे समय तक काफी ज्यादा मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। एक बार जब आम के बीज गड्ढों में से अंकुरित होकर पौधे के रूप में विकसित होने लगे तब आप नियमित रूप से पौधों की सिंचाई जरूर करें। 

आम के पेड़ों की सिंचाई तीन चरणों में होती हैं। सबसे पहले चरण की सिंचाई फल लगने तक की जाती है और उसके बाद दूसरी सिंचाई में फलों की कांच की गोली के बराबर अवस्था में अच्छी रूप से की जाती हैं। 

 जब एक बार फल पूर्ण रूप से विकसित होकर पकने की अवस्था में आ जाते हैं तब तीसरे चरण की सिंचाई की जाती हैं। सबसे पहले चरण की सिंचाई में ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं 

आम के पौधों को। सबसे अंतिम चरण यानी तीसरे चरण में आम के पेड़ों को इतनी ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती हैं। आम के पेड़ों की सिंचाई करने के लिए थाला विधि सबसे अच्छी मानी जाती हैं इसमें आप हर पेड़ के नीचे नाली भला कर एक साथ सभी पेड़ों को धीरे-धीरे पानी देवे। 

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आम के पौधों के लिए खाद और उर्वरक का इस्तेमाल इस प्रकार करें [How to use manure and fertilizer for mango plants?]

आम के पेड़ को पूर्ण रूप से विकसित होने के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटेशियम की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती हैं। 

ऐसे में आप प्रतिवर्ष आम के पौधों को इन सभी खाद और उर्वरकों की पूर्ण मात्रा में खुराक देवे। यदि आप आम के पौधों में जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है तो 40kg सड़ा हुआ गोबर का खाद जरूर देवे। 

इस प्रकार की खाद और सड़ा गोबर डालने से प्रतिवर्ष आम के फलों की पैदावार बढ़ जाती हैं।इसी के साथ साथ अन्य बीमारियां और कीड़े मकोड़ों से भी आम के पौधों का बचाव होता है।

आप नाइट्रोजन पोटाश और फास्फोरस को पौधों में डालने के लिए नालियों का ही इस्तेमाल करें। प्रतिमाह कम से कम तीन से चार बार आम के पौधों को खाद और उर्वरक देना चाहिए इससे उनकी वृद्धि तेजी से होने लगती हैं।

आम के फूल व फलन को झड़ने से रोकने के लिए इन उपायों का इस्तेमाल करें [Remedies to stop the fall of mango blossom flowers & raw fruits]

आम के फलों का झड़ना कई सारे किसानों के लिए बहुत सारी परेशानियां खड़ी कर देता है। सबसे पहले जान लेते हैं ऐसा क्यों होता है ऐसा अधिक गर्मी और तेज गर्म हवाओं के चलने के कारण होता है। 

ऐसे में आप यह सावधानी रखें कि आम के पेड़ों को सीधी गर्म हवा से बचाया जा सके। सबसे ज्यादा आम के पेड़ों के फलों का झड़न मई महीने में होता है। इस समय ज्यादा फलों के गिरने के कारण बागवानों और किसानों को सबसे ज्यादा हानि होती हैं। 

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप नियमित रूप से सिंचाई कर सकते हैं। नियमित रूप से सिंचाई करने से आम के पौधों को समय-समय पर पानी की खुराक मिलती रहती हैं इससे फल झड़ने की समस्या को कुछ हद तक रोका जा सकता है। 

आम के फलों के झड़ने का दूसरा कारण यह भी होता है कि आम के पौधों को सही रूप में पोषक तत्व नही मिले हो। इसके लिए आप समय-समय पर जरूरतमंद पोषक तत्व की खुराक पौधों में डालें। 

इसके अलावा आप इन हारमोंस जैसे कि ए एन ए 242 btd5 जी आदि का छिड़काव करके फलों के झाड़न को रोक सकते हैं। आम के पौधों को समय समय पर खाद और उर्वरक केकरा देते रहें इससे पौधा अच्छे से विकसित होता है और अन्य बीमारियों से सुरक्षित भी रहता है।

आम के पौधों में लगने वाले रोगों से इस प्रकार बचाव करें [How to prevent and cure diseases in mango plants]

जिस प्रकार आम हमें खाने में स्वादिष्ट लगते हैं उसी प्रकार कीड़ों मकोड़ों को भी बहुत ज्यादा पसंद आते हैं। ऐसे में इन कीड़ों मकोड़ों की वजह से कई सारी बीमारियां आम के पेड़ों को लग जाती हैं और पूरी फसल नष्ट हो जाती है। 

आम के पेड़ों में सबसे ज्यादा लगने वाला रोग दहिया रोग होता है इससे बचाव के लिए आप घुलनशील गंधक को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव अवश्य करें। इससे आम के पेड़ों में लगने वाला दहिया रोग मात्र 1 से 2 सप्ताह में पूर्ण रूप से नष्ट हो जाता है। 

इस घोल का छिड़काव आप प्रति सप्ताह दो से तीन बार अवश्य करें। छिड़कावकरते समय यह ध्यान अवसय रखे की ज्यादा मात्रा में घोल को आम के पेड़ों को ना दिया जाए वरना वो मुरझाकर नष्टभी हो सकते है। 

इसके अलावा दूसरा जो रोग आम के पेड़ में लगता है वह होता है कोयलिया रोग। से बचाव के लिए आप el-200 पीपी और 900 मिलीलीटर की मात्रा में घोल बनाकर सप्ताह में तीन से चार बार छिड़काव करें। 

इसका छिड़काव आप 20 20 दिन के अंतराल में जरूर करें और इसका ज्यादा छिड़काव करने से बचें। उपरोक्त उपायों से आप आम के फूल व फलन को गिरने से रोकने में काफी हद तक कामयाब हो सकते हैं ।

तोतापुरी आम की विशेषताएं

तोतापुरी आम की विशेषताएं

तोतापुरी आम, इस आम का नाम आपको सुनने में अजीब या अटपटा सा लग रहा होगा। तोतापुरी आम की विशेषताओं को जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें। हम आपको अपनी इस पोस्ट में तोतापुरी आम के हर से पहलू से रूबरू करेंगे। 

तोतापुरी आम

आम की विभिन्न किस्मों में से सबसे बेहतरीन किस्म तोतापुरी आम की होती है। जो दिखने में हल्का केसरी रंग का होता है इसका ऊपरी हिस्सा केसरी रंग और नीचे का हल्का हरा दिखाई देता हैं। 

तोतापुरी आम बेहद ही खूबसूरत होता है। यह तो बात हुई इस आम की ऊपरी रंगत कि अब हम बात करते हैं। इसके स्वाद की तोतापुरी आम स्वाद में बेहद ही मीठा होता है। 

आम की किस्मों में इसकी जगह टॉप फाइव के अंदर आती है। तोतापुरी आम के गोदे बहुत ही मीठे होते हैं चीनी की तरह मुंह में घुल जाता है।

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आम की इस किस्म को तोतापुरी आम क्यों कहते हैं

यदि आपने कभी तोतापुरी आम को हाथ में लिया होगा तो आप खुद समझ गए होंगे। कि इसे तोतापुरी आम क्यों कहते हैं। यदि आप इस बात से अभी तक अपरिचित है तो हम आपको बताते हैं। 

कि इस आम को तोतापुरी आम क्यों कहा जाता है: जब आप तोतापुरी आम को अपने हाथ में लेंगे तो आपको दिखाई देगा। कि इसका आकार चिड़िया की चोंच की तरह दिखाई देता हैं और इसका नीचे का हिस्सा पलटने पर पूछ की तरह निकला हुआ होता है। 

इसकी आकृति पूरी तरह से तोते की मानें होती है और जब आम छोटे होते है तो यह पूरी तरह ही तोते के रूप में नजर आते हैं। 

बाकी बड़े होने पर इनकी आकृति थोड़ी बहुत बदल जाती है। परंतु यह पूर्ण रूप से तोता के रूप में दिखाई देते हैं इसीलिए इसे तोतापुरी आम के नाम से पुकारा जाता है।

तोतापुरी आम का वजन

तोतापुरी आम का वजन लगभग 400 के ग्राम के ऊपर होता है। यह स्वाद में अलग होने के साथ अपनी खूबी के लिए भी जाने जाते हैं। वजन के आधार पर या मार्केट में ऊंचे दाम पर बिकते हैं।

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तोतापुरी आम का उत्पादन

तोतापुरी आम की खेती साउथ इंडिया, तमिलनाडु, बेंगलुरु, कर्नाटक आदि शहरों में ऊंचे पैमाने पर होती है। तोतापुरी आम की फसल का उत्पादन इन सभी क्षेत्रों में हो रहा है। यहां तक कि पूर्वी उत्तर प्रदेश झारखंड या पश्चिमी बंगाल आदि शहरों में भी इनकी खेती शुरू हो गई है। 

तोतापुरी आम की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन

तोतापुरी आम की खेती के लिए सभी प्रकार की भूमि उपयुक्त होती है। तोतापुरी आम की खेती आप पहाड़ी पथरीली मिट्टी में भी कर सकते हैं। यह सभी भूमि तोतापुरी आम के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।

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तोतापुरी आम के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन

तोतापुरी आम के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती हैं। लेकिन किसान जिस मिट्टी का चयन करते हैं वह दोमट मिट्टी होती है। 

तोतापुरी आम की खेती आप कड़ी और शुष्क दोनों प्रकार की भूमि में कर सकते हैं। जब वर्षा का मौसम करीब आ जाए, तब आपको इस बात का ख्याल रखना होगा। कि किसी भी प्रकार से पानी इकट्ठा ना हो, सड़न की समस्या ना पैदा हो। इसके लिए आपको जल निकास का प्रबंध पहले भी कर देना चाहिए।

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तोतापुरी आम की सिंचाई

तोतापुरी आम का बीज रोपण करने से पहले आपको दो से तीन बार सिंचाई कर लेनी चाहिए। आवश्यकतानुसार दो से 5 बार आप सिंचाई करते रहे। जब पेड़ों में फल आने शुरू हो जाए, तो दो से तीन बार सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है। 

तोतापुरी आम का इतिहास

तोतापुरी आम के इतिहास के विषय में प्राप्त के जानकारी के अनुसार सन 1901 में फ्लोरिडा द्वारा एक मैसेज के रूप में और करीब 1960 दशक में इस आम की किस्म को तोतापुरी के रूप में आयात करना शुरू हो गया था। 

तोतापुरी आम दो प्रकार की किस्में फ्लोरिडा और एंडरसन तथा ब्रूक्स किस्मों के जनक कहे जाते हैं। तोतापुरी भारत में अन्य आम की किस्मों में सबसे प्रमुख है। 

तोतापुरी आम का अचार

आचार जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। अचार चाहे जिस भी प्रकार से बने हो चाहे वह मीठे हो, खट्टे हो, चटपटे हो सभी प्रकार के अचार खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं। 

अचार आप हर तरह से बना सकते है और हर प्रकार के आम का अचार बनता है। लेकिन सबसे अच्छा और बेहतर अचार तोतापुरी आम का होता है। क्योंकि तोतापुरी आम थोड़ा कम खट्टे होते हैं जिन्हें खट्टा कम पसंद हो उनके लिए तोतापुरी का अचार सबसे बेहतर होता है।

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तोतापुरी आम खाने के फायदे

तोतापुरी आम में विभिन्न प्रकार के आवश्यक तत्व मौजूद होते है। जिससे हमारे शरीर को लाभ पहुंचता है यह आवश्यक तत्व कुछ इस प्रकार है:

  • यदि आप तोतापुरी आम का सेवन करते हैं तो आपका पाचन तंत्र ठीक रहता है। आम में मौजूद प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर को स्वच्छ रखती है।
  • तोतापुरी आम खाने से हमें विटामिन डी और विटामिन सी इन दो महत्वपूर्ण तत्वों की प्राप्ति होती है।
  • रोजाना तोतापुरी आम का सेवन करने से त्वचा चमकदार और स्वस्थ रहती है।
  • शरीर का वजन घटाने और कार्य की क्षमता को बढ़ावा देता है।
  • आजकल हेयर फॉल की समस्या हर किसी को होती है। हेयर फॉर की समस्या कहे तो आम हो गई है। इस समस्या से बचने के लिए हमें आम का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद आवश्यक तत्व हेयर फॉल की समस्या को रोकते हैं।
  • तोतापुरी आम की फसल किसानों के हित में आय का बहुत अच्छा साधन स्थापित करती है। कम लागत में किसान इस फसल से अच्छा फायदा उठा लेते हैं।

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारा यह आर्टिकल तोतापुरी आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। हमने अपने इस आर्टिकल में तोतापुरी आम की खेती, तोतापुरी आम से होने वाले फायदे, तोतापुरी आम से जुड़ी हर प्रकार की आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारी अपने इस आर्टिकल में दी है।

यदि आप हमारी दी हुई जानकारी से संतुष्ट है। तो हमारे इस आर्टिकल को सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के साथ शेयर करते रहे। धन्यवाद।

हिमसागर आम की विशेषताएं

हिमसागर आम की विशेषताएं

दोस्तों आम की विभिन्न प्रकार की किस्में मौजूद है और हर किस्म का अपना एक अलग स्थान है। उसी तरह एक किस्म हिमसागर आम (Himsagar Mango) की भी है, जो अपनी विशेषताओं के लिए जाना जाता है। हिमसागर आम से जुड़ी सभी आवश्यक बातों को जाने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें।

हिमसागर आम

हिमसागर आम दिखने में पीला और नारंगी नजर आता है। इनका आकार काफी बड़ा होता है। यह वजन मे लगभग 250 ग्राम से लेकर 350 ग्राम तक के होते हैं हिमसागर आम मध्यम आकार के होते है। 

हिमसागर आम में लगभग गुदे की मात्रा 77% होती हैं। कहां जाता है कि हिमसागर आम की खूबियों के चलते इन्हें विभिन्न प्रकार की कविता और गानों से भी सम्मानित किया जाता है। सभी आमों की किस्मों में से हिमसागर आम की किस्म श्रेष्ठ मानी जाती है।

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हिमसागर आम का उत्पादन

हिमसागर आम का उत्पादन भारत के पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश के राजशाही क्षेत्रों में उत्पादन होता है। अपने बेहतरीन स्वाद और खुशबूदार सुगंध के चलते हिमसागर आम को दुनिया भर में सभी आमो से ऊपर रखा गया है। और हिमसागर आम को आमोकाराजा भी कहा जाता है।

हिमसागर आम की फसल का बीज उपचार

हिमसागर आम की फसल की सुरक्षा करने के लिए आपको इसके बीज रोपण करने से थोड़ी देर पहले या कुछ मिनटों पहले इस फ़सल के उपचार के लिए डाइमेथोएट का उपयोग करना चाहिए। 

डाइमेथोएट से फसलों की सुरक्षा होती है। कैप्टन कवकनाशी के इस्तेमाल से फंगल संक्रमण से हिमसागर आम की फसल सुरक्षित रहती है।

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हिमसागर आम की बुआई का समय

किसान हिमसागर आम की बुआई का समय मह जुलाई और अगस्त के बीच का बताते हैं। हिमसागर आम का बीज रोपण आमतौर पर वर्षा वाले क्षेत्रों में इन 2 महीनों में होता है।

सिंचित क्षेत्रों में फरवरी और मार्च के बीच इनकी बुवाई की जाती है। जिन क्षेत्रों मे वर्षा बहुत ज्यादा मात्रा में होती है वहां इन बीजों की बुवाई बरसात के आखिरी महीने में होती है।

हिमसागर आम की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु

किसानों के अनुसार हिमसागर आम की फसल के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय की होती हैं। कृषि विशेषज्ञों के द्वारा हिमसागर आम की फसल भारत देश में सभी क्षेत्रों में उगाई जाती है। 

किंतु 600 मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में या फिर व्यवसायिक रूप से या फसल आप नहीं उगा सकते हैं। हिमसागर आम की फसल ज्यादा ठंड को अपने अंदर बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। जब पौधे नए हो तब तो खासकर फसल का ख्याल रखना होता है।

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हिमसागर आम की फसल की सिंचाई

जब हिमसागर आम के पौधे नए होते हैं। तब लगातार सिंचाई की जरूरत होती है। बाकी हिमसागर आम की फसल की सिंचाई मिट्टी के प्रकार और जलवायु पर निर्भर होती है। 

किसान भाइयों के अनुसार हल्की लगातार सिंचाई हर फसल के लिए बहुत ही ज्यादा सर्वोत्तम मानी जाती है। दो से तीन के अंतराल पर लगातार सिंचाई करते रहें।

हिमसागर आम की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी

वैसे तो हिमसागर आम की फसल के लिए हर तरह की मिट्टी उपयुक्त हैं। परंतु सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी कही जाती हैं। 

जब आप बीज रोपण करें, तो इस बात का ख्याल रखें। कि जल निकास की व्यवस्था उचित होनी चाहिए। ताकि किसी भी तरह का जलभराव ना हो जिससे कि फसल खराब हो जाए।

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हिमसागर आम के फायदे

हिमसागर आम अपने स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता हैं हिमसागर आम को आमो का राजा भी कहा जाता है। यही कारण है कि लोग इसे खाना बहुत ज्यादा पसंद करते।

  • कभी कभी उल्टा सीधा खाना खा लेने से कब्ज जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। और यह समस्या बच्चे, बड़े, बूढ़े आदि सभी को होती है। ज्यादा दिन कब्ज की समस्या होना अच्छा नहीं है, इससे भिन्न प्रकार की बीमारियों का जन्म भी हो सकता है। हिमसागर आम में मौजूद विटामिन सी और फाइबर जैसे गुण पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं। जिससे कब्ज जैसी भयानक समस्या से आप अपने शरीर का बचाव कर सकते हैं।
  • जब गर्मी का मौसम आता है तो खूब तेज धूप और साथ ही साथ भयानक लू चलती हैं। जिसकी वजह से व्यक्तियों को तेज बुखार या फिर सरदर्द जैसी विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। कभी-कभी लू के चपेट में आ जाने से मृत्यु भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में आपको कच्चे हिमसागर आम का पना बनाकर सेवन करना चाहिए जिससे आप अपने शरीर का बचाव करें।
  • आंखों की रोशनी समय के साथ कम होती रहती है। परंतु यदि आप रोजाना आम का सेवन करते हैं तो आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है। हिमसागर आम में मौजूद विटामिन ए की भरपूर मात्रा होती है। जिससे हमारी आंखों की रोशनी में और बढ़ोतरी होती है इसीलिए आप लगातार हिमसागर आम का सेवन करें।
  • हड्डियों को मजबूत बनाना बेहद ही जरूरी होता है। परंतु हमारे शरीर को उस प्रकार का आहार नहीं मिल पाता जिस प्रकार से हमारे शरीर को जरूरत होती है। हिमसागर आम में भरपूर मात्रा में आयरन मौजूद होता है, जो हमारी हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • हिमसागर आम में एंटीकैंसर जैसे आवश्यक गुण होते हैं जो विभिन्न विभिन्न प्रकार के कैंसर से शरीर का बचाव करते हैं।
  • हिमसागर आम पथरी के रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होता है। क्योंकि इसमें विटामिन बी मौजूद होता हैं जिससे पथरी की समस्या दूर हो जाती है।
  • हिमसागर आम में मौजूद फाइबर से हमारे शरीर का वजन सामान्य रहता है। तथा बालों के लिए भी बहुत ही उपयोगी होता है, हृदय स्वस्थ रहता है।
  • हिमसागर आम में मौजूद एंटी-अस्थमैटिक गुण से दमा जैसे रोगों से भी बचाव होता है।

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दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल हिमसागर आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में हिमसागर आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक जानकारियां मौजूद है। 

जैसे हिमसागर आम कहां उत्पादन होता है हिमसागर आम के आवश्यक तत्व, गुण आदि। यदि आप हमारी दी गई जानकारियों से संतुष्ट है तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें। धन्यवाद।