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आप खेती में स्टार्टअप शुरू करना चाहते है, तो सरकार आपकी करेगी मदद

आप खेती में स्टार्टअप शुरू करना चाहते है, तो सरकार आपकी करेगी मदद

जो भी युवा या किसान खेती - किसानी के क्षेत्र में अपना खुद का बिजनेस या स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, उन्हें सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 25 लाख रुपए देगी. जिससे युवा और किसान पहले एग्रीकल्चर स्टार्टअप (Agriculture Startup) फिर यूनिकॉर्न तक का सफर तय करेंगे. यदि आपके पास खेती - किसानी से संबंधित कोई बढ़िया आइडिया है और आप अपनी 7 - 10 हजार महीने वाली नौकरी से तंग आ गए है, आपके पास खेती को और ज्यादा बहतरीन करने का आइडिया है तो आप खेती में स्टार्टअप शुरू कर सकते है. RKVY स्कीम के तहत सरकार आपकी मदद करेगी. इन लोगो को सरकार ने एग्रीप्रेन्योर (agripreneur) नाम दिया है.

खेती में आधुनिक उपकरण के इस्तमाल से किसानों को क्या फायदा ?

अभी के समय में हमारा देश किसी और देश से पीछे नहीं है. हमारा देश अब स्मार्ट इंडिया बन रहा है. सरकार कोशिश कर रही है कि किसान खेती में आधुनिक चीजों का इस्तमाल करे. हर किसान यही चाहता है की खेती में खर्च कम हो और पैदावार ज्यादा जो की सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (A.I) के इस्तमाल से ही संभव है. खेती में मशीनों के इस्तमाल से किसानों को महनत और समय दोनो कम लगेगा और साथ ही उत्पादन अधिक होगा और ज्यादा मजदूर न रखने होंगे जिससे खेती में खर्च भी काम होगा.

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देश की उन्नति स्टार्टअप बन रहे है यूनिकॉर्न, जानिए इसमें केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने क्या कहा:

आज के समय बहुत से स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन रहे है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश में 102 स्टार्टअप अब यूनिकॉर्न बन गए है. ये हमारे लिए गर्व की बात है.

कोरोना में जहां लोगो के पास रोजगार नहीं था वहां कैसे स्टार्टअप बन रहे है यूनिकॉर्न

कोरोना ने देश में बहुत से लोगो के रोजगार छीन लिए. जहां पर लोग रोजगार की समस्या से जूझ रहे थे, वही पर कई सारे स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन रहे थे और कुछ यूनिकॉर्न बनने के नजदीक है. इनमे से कुछ लोगो ने सरकार से मदद ली और कई ने घर में रखी जमा पूंजी को सही जगह निवेश किया और आज वो सक्सेस हो गए है.

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ऐसे में यदि आप लोग भी नौकरी में मिल रही सैलरी से संतुष्ट नही है तो आप भी खेती में स्टार्टअप शुरू कर सकते है. जिससे किसानों की भी मदद होगी और आप भी इससे पैसे कमा सकते है. खेती पे कई सारे स्टार्टअप तो शुरू भी हो चुके है.

सरकार भी ऐसे कामों में मदद करती है

यदि आप पशुपालक है आप मुर्गी और दुधारु जीवो का पालन कर रहे है. तो आप मशीनों की मदद से दूध को पैक कर उन्हें बेच कर ज्यादा पैसे कमा सकते है.

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ये भी एक तरीके का बिजनेस ही है. स्टार्टअप शुरू करने के बाद आप दूसरों को भी रोजगार दे सकते है जिससे देश की रोजगार की समस्या कम होगी.
हरियाणा के 10 जिलों के किसानों को दाल-मक्का के लिए प्रति एकड़ मिलेंगे 3600 रुपये

हरियाणा के 10 जिलों के किसानों को दाल-मक्का के लिए प्रति एकड़ मिलेंगे 3600 रुपये

ढैंचा, मक्का के लिए प्लान

झज्जर, रोहतक और सोनीपत के खेतों में नहीं भरेगा पानी

बीस हजार एकड़ जमीन पर जलभराव की समस्या का होगा निदान

हरियाणा में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (
Rashtriya Krishi Vikas Yojana (RKVY)) के अंतर्गत कृषि और किसान हित से जुड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान की गई है। यह प्रोजेक्ट 159 करोड़ रुपए का होगा। इस प्रोजेक्ट में किसानों की समस्याओं के समाधान के साथ ही फसलों की बेहतरी से जुड़े बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है।

फसल विविधता का लक्ष्य

देश के लिए तय फसल विविधता के लक्ष्य को साधते हुए, हरियाणा राज्य में भी फसल विविधीकरण के लिए फसल विविधता का कदम उठाया गया है।


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मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय अनुमोदन समिति ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत इस प्रोजेक्ट को अनुमति प्रदान की है। हरियाणा राज्य में फसल विविधीकरण के लिए 38.50 करोड़ रुपये के बजट पर मुहर लगाई गई।

मक्का और दलहन प्रोत्साहन राशि

हरियाणा में मक्का उत्पादक किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रोत्साहन राशि घोषित की है। प्रदेश में मक्का की पैदावार करने वाले किसानों को 2400 रुपए प्रति एकड़ के मान से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। दलहन फसलों से जुड़े किसानों के लिए भी प्रोत्साहन राशि का प्रबंध किया गया है। दलहन (Pulses) पैदावार करने वाले कृषकों को प्रदेश सरकार ने 3600 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार ने दलहनी और तिलहनी उपज को बढ़ावा देने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।


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फसल विविधीकरण का कारण

हरियाणा राज्य सरकार, किसानों का रुझान परंपरागत खेती के साथ अन्य लाभदायक फसलों की ओर खींचने के लिए फसल विविधीकरण कार्यक्रम पर खास फोकस कर रही है। फसल विविधीकरण से सरकार का लक्ष्य सिंचन जल संचय के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि करना है।

ढैंचा, मक्का के लिए प्लान

फसल विविधीकरण के लक्ष्य को साधने के लिए स्थानीय फसलों को प्रोत्साहित करने का सरकार का प्लान है। मुख्य सचिव ने कहा कि, हरियाणा के 10 जिलों में ढैंचा (Dhaincha, Sesbania bispinosa), मक्का और दलहनी फसलों के लिए योजना तैयार की गई है। फसल विविधीकरण की योजनाओं की मदद से इन फसलों के लिए 50 हजार एकड़ भूमि पर दलहन की पैदावार करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

इसके लाभ

फसल विविधीकरण से राज्य की भूमि के स्वास्थ्य संवर्धन में मदद मिलेगी। इस विधि से फसल चक्र बदलने से भूजल स्तर सुधरेगा। फसल चक्र बदलने से भूजल स्तर को गिरने से रोकने में भी मदद मिलेगी।

जलभराव से मुक्ति का लक्ष्य

हरियाणा में खेत में जलभराव की समस्या से परेशान किसानों की समस्या के लिए भी सरकार ने खास तैयारी की है।


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मुख्य सचिव के मुताबिक प्रदेश के किसानों को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए पोर्टल मदद प्रदान करेगा। इच्छुक किसान पोर्टल पर जानकारी प्रदान कर अपने खेत में भरे पानी की निकासी करवा सकता है। इस साल झज्जर, रोहतक, सोनीपत के किसानों की जलभराव संबंधी समस्या के समाधान का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अनुसार 20 हजार एकड़ भूमि की जलभराव संबंधी समस्या का निदान किया जाएगा।

स्वायल हेल्थ कार्ड

स्वायल हेल्थ कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) से हरियाणा में की जा रही मिट्टी की जांच के बारे मेें भी मुख्य सचिव ने ध्यान आकृष्ट किया।


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उन्होंने बताया कि, प्रदेश में किसानों को उनके खेत की जमीन की गुणवत्ता के अनुसार खाद, बीज आदि का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में मिट्टी की गुणवत्ता जांचने के लिए 100 मिट्टी जांच लेबोरेटरी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इन लैबोरेट्रीज की मदद से अब तक 25 लाख सैंपल लेकर जांच की गई है।

नो टेंशन किसानी

खेती किसानी में जोखिमों की अधिक संभावनाओं के बावजूद प्रदेश के किसानों की किसानी संबंधी चिंताओं को कम करने की सरकार द्वारा कोशिश की जा रही है। मुख्य सचिव ने एग्रीकल्चर रिस्क को कम करने के लिए प्रदेश में किए जा रहे प्रयासों पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया हरियाणा में कृषि की बेहतरी के लिए कृषि उत्पाद व्यापार को बढ़ावा देकर खेती को एक लाभकारी आर्थिक गतिविधि बनाने के लिए योजनाओं का सफल क्रियान्वन किया जा रहा है। कृषि एवं कृषक हित से जुड़ी इन योजनाओं के क्रियान्वन के लिए राज्य की प्रदेश स्तरीय अनुमोदन समिति की बैठक में अनुमति दी गई है। इन योजनाओं के लागू होने से कृषि आधारित उच्च तकनीक को विकसित करने में सहायता मिल सकेगी। इन योजनाओं से मुख्य लक्ष्य किसान की आमदनी भी बढ़ेगी।
इस राज्य में आमदनी दोगुनी करने वाली तकनीक के लिए दिया जा रहा 50 % अनुदान

इस राज्य में आमदनी दोगुनी करने वाली तकनीक के लिए दिया जा रहा 50 % अनुदान

छत्तीसगढ़ राज्य के कृषक बड़े पैमाने पर शेडनेट तकनीक द्वारा फूलों का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी काफी बढ़ गई है। किसान केवल पारंपरिक फसलों की खेती से हटकर फूल उगाकर भी अच्छी आमदनी कर सकते हैं। फूलों की मांग भारत सहित पूरी दुनियाभर में है। यदि किसान भाई शेडनेट तकनीक से फूलों का उत्पादन करें, तब उनको अधिक आमदनी होगी। इस तकनीक से जरिए वर्षभर एक ही खेत में फूल का उत्पादन किया जा सकता है। शेडनेट तकनीक में खर्चा भी कम आता है। ऐसी स्थिति में किसान भाई शेडनेट तकनीक का उपयोग करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के अनुसार, छत्तीसगढ़ के किसान बड़े पैमाने पर शेडनेट तकनीक द्वारा फूलों का उत्पादन कर रहे हैं। नतीजतन, उनकी आमदनी भी काफी बढ़ चुकी है। साथ ही, इस तकनीक के चलते फूलों की पैदावार भी बढ़ गई है। विशेष बात यह है, कि यहां के कृषक शेडनेट के अतिरिक्त पॉली हाऊस, ड्रिप और मच्लिंग तकनीक द्वारा भी फूलों की खेती कर रहे हैं। इन किसानों द्वारा उत्पादित फूलों की मांग हैदराबाद, भुवनेश्वर, अमरावती और नागपुर जैसे बड़े शहरों में भरपूर है। 

शेडनेट तकनीक किसानों की मेहनत कम कर देती है

फूलों की खेती करने के लिए शेडनेट तकनीक बेहद फायदेमंद है। इस तकनीक के उपयोग से खेती करने पर फसल में कीट संक्रमण और रोगिक भय नहीं रहता है। अब ऐसी स्थिति में फूलों की पैदावार एवं गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता हैं। विशेष बात यह है, कि दीर्घकाल तक एक ही स्थान पर फसल के लगे रहने से कृषकों को परिश्रम कम करना पड़ता है। इससे उनकी आमदनी भी दोगुनी हो जाती है। 

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छत्तीसगढ़ सरकार शेडनेट तकनीक के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

जानकारों के अनुसार, इस तकनीक का उपयोग गर्मी से पौधों को संरक्षण देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। शेडनेट के अंतर्गत आप गर्मी के मौसम में नहीं उगने वाले पौधों का भी उत्पादन कर सकते हैं। साथ ही, बारिश के मौसम में भी शेडनेट के कारण फूल सुरक्षित रहते हैं। परंतु, फिलहाल छत्तीसगढ़ सरकार अपने प्रदेश में इस तकनीक के माध्यम से खेती करने वाले कृषकों को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार इसके लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत संरक्षित खेती हेतु 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। इस योजना के चलते किसान भाई ज्यादा से ज्यादा 4000 वर्गमीटर में शेडनेट स्थापित कर सकते हैं। 

किसान लगभग 10 लाख रुपये तक की आमदनी कर रही है

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जनपद के डोंगरगढ़ विकासखंड में किसान शेडनेट तकनीक के इतेमाल से बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। बतादें, कि ग्राम कोलिहापुरी के किसान गिरीश देवांगन ने जरबेरा, रजनीगंधा और गुलाब की खेती कर रखी है। इससे वर्षभर में लगभग 10 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। गिरीश देवांगन के अनुसार, उनके गांव में उत्पादित किए जाने वाले फूलों की अधिकांश मांग सजावट के उद्देश्य से हो रही है। इसके अतिरिक्त भुवनेश्वर, हैदराबाद, अमरावती एवं नागपुर में भी इस गांव से फूलों का निर्यात किया जा रहा है।